संविधान दिवस के कार्यक्रम में मीडिया को अछूत माना गया

Pahado Ki Goonj

 

देहरादून,26 नवम्बर को संविधान दिवस के उपलक्ष में संसद के केन्द्रीय हाल के अन्दर सरकारी प्रोग्राम रखा गया । इसमें संविधान संरक्षक राष्ट्रपति महोदय के साथ लोकतंत्र के तीन स्तम्भों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया ।

इसमें उपराष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री व केन्द्रीय मंत्रियो ने हिस्सा लिया । भारतीय मीडिया को सभी लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहते हैं परन्तु चेहरे और जवाबदेही वाले कानूनी अधिकार से वंचित रखने के कारण उन्हें कार्यक्रम के स्टेज से निचे फोटो खिचने के लिए रखा गया ।

संवैधानिक पदों पर बैठे सभी लोग मीडिया वालों को अल्पबुद्धि व बेवकूफ समझते हैं इसलिए उन्हें चौथे स्तम्भ की लालीपाप पकडाकर अपना काम निकालते रहते हैं । इन्हें ये लालची व पैसें के पीछे दुम हिलाने वाला समझते हैं इसलिए पैसा फेकने या 2-4 विज्ञापन देने से उनकी गाडीयों के पीछे भागते रहेंगे और लोगों को दिखा दिखा कर उन्हें महान बनाते रहेंगे ।

चौथा स्तम्भ कहना यानि राजनीति की साम नीति से चुप रखना, पैंसा देना या विज्ञापन देना राजनीति के दाम नीति से मुंह बन्द रखना, सच बताने पर डण्डे व जेल का डर बताना राजनीति की भेद नीति और अपने कार्यक्रमों में रिपोटिंग और फोटो खिचवाने के लिए फोन करके बुलाना भेद नीति हैं ताकि जनता इन्हें अपने से अलग समझ दूर रखें ।

संविधान दिवस पर डॉ भीमराव अम्बेडकर को विशेष रूप से याद किया जाता हैं और संविधान की प्रस्तावना पढी जाती हैं क्योंकि वो संविधान सभा के अध्यक्ष थे । इन्होंने संविधान इस उद्देश्य से बनाया ताकि सभी दलित, निचले, अपेक्षित व घृणित माने जानी वाली जातियों को समान अधिकार मिले । यहां तो उल्टा मीडिया को अछूत दिखा देश व पीड़ीत लोगों की आवाज़ को अखबार की रद्दी व टेलिवीजन पर मनोरंजन का साधन बनाया जा रहा हैं।

यदि मीडिया चौथा स्तम्भ नहीं हैं तो इसके बोलने व प्रसारण पर रोक लगा दे और जो भी यह झूठ फैलाये उसे जेल में डाल दे । देश के लोगों को सच्चाई में जिने दे ताकि दिखावटी संविधान की प्रस्तावना बोलने से मुक्ति मील जाये ।

मीडियाकर्मियों को ख्याली देशभक्ति और संविधान की गरिमा के आदर्श से बहार निकाले ताकि वो बार्डर, दंगों, लडाई झगडों में रिपोटिंग के लिए जाकर अपनी जान का दांव न लगाये उन्हें एक इंडस्ट्री की तरह चलने दे । इसके साथ राष्ट्रीय कार्यक्रमों के प्रसारण, राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री और संवैधानिक पदों के लाईव प्रसारण की मुफ्त बाध्यता से मुक्त करे ।

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