चंद्रशेखर पैन्यूली देहरादून:किसी भी देश समाज,क्षेत्र,गॉव के लिए उसके प्राचीन रीति रिवाज, उसके प्राचीन सांस्कृतिक, धार्मिक,ऐतिहासिक धरोहरें उसके अतीत को बयां करता है,हमारा देश जो की सोने की चिड़िया के नाम से विख्यात था,जिसे विश्व गुरु कहा जाता था,जहाँ कई धरोहरों ने हमे सदैव गौरवान्वित किया ऐसे महान भारत में विश्व विरासत दिवस के मौके पर उन सभी सांस्कृतिक,धार्मिक विरासतों को नमन करने और उन्हें सहेजने,संवारने की तरफ एक जागृति लाने हेतु ही जमीनी स्तर पर प्रयास करने का दिन भी है,आज हमारी कई विराजते जर्जर अवस्था में है, कई विरासतें लुप्त होने की कगार पर है उन्हें सहेजने की जरूरत है,तभी हम हमारी विरासतों को सुरक्षित रख सकेंगे,विश्व विरासत दिवस (World Heritage Day) प्रत्येक वर्ष ’18 अप्रैल’ को मनाया जाता है। ‘संयुक्त राष्ट्र’ की संस्था यूनेस्को ने हमारे पूर्वजों की दी हुई विरासत को अनमोल मानते हुए और लोगों में इन्हें सुरक्षित और सम्भाल कर रखने के उद्देश्य से ही इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया था। किसी भी राष्ट्र का इतिहास, उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है। जिस देश का इतिहास जितना गौरवमयी होगा, वैश्विक स्तर पर उसका स्थान उतना ही ऊँचा माना जाएगा। वैसे तो बीता हुआ कल कभी वापस नहीं आता, लेकिन उस काल में बनीं इमारतें और लिखे गए साहित्य उन्हें हमेशा सजीव बनाए रखते हैं। विश्व विरासत के स्थल किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और उसकी प्राचीन संस्कृति के महत्त्वपूर्ण परिचायक माने जाते हैं। इतिहास पहला ‘विश्व विरासत दिवस’ 18 अप्रैल, 1982 को ट्यूनीशिया में ‘इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स’ द्वारा मनाया गया थायूनेस्को द्वारा 1983 में आज के दिन को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाने को मान्यता दी,तब से आज के दिन 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस के रूप में मनाया जाता है।हम आधुनिक बने,समय के साथ बढ़े लेकिन ध्यान रहे हमारी विरासत हमारा गौरव है,जिसने भी अपनी विरासत को बिसराया उसका अस्तित्व ही खत्म हुआ है,हमारी महान संस्कृति,हमारे विरासत हमारे लिए प्रेरणा के स्त्रोत्र है।हमारे देश में हजारों स्थल,है जो हमे हमारे पूर्वजों के अथक प्रयासों उनकी मेहनत से प्राप्त हुए है, हमारे गॉव या गॉव के आसपास भी कई ऐसे स्थल होंगे जो हमे विरासत में प्राप्त हुए जिनका निर्माण कई सौ वर्षों पूर्व हुआ लेकिन वो आज भी एक अजूबा ही है,ऐसे ही एक विरासत हमारे गांव लिखवार गॉव में है,कहा जाता है कि लगभग 400 वर्ष पूर्व तत्कालीन गढ़वाल नरेश के दीवान साहब(हमारे कुल के पूर्वज) ने 36 कमरों का एक आलीशान भवन बनाया था,जिसे तब बनाने में पत्थर और उड़द की दाल के मेल से बनाया गया,तब वो घर सभी गॉव वालों का था,आज वो जर्जर हालात में है,जिसे हम सब ठुला कुड़ा(बड़ा घर )कहते हैं, आज जर्जर स्थिति में है, इस बड़े मकान ने 19वीं सदी के कई भूकंप को झेलने के कारण इसके निर्माण करने वाले साधरण मिस्त्रीयों को आज के मास्टर इंजीनियरिंग करने वालों से ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान था जिसकी चर्चा होती रहती है।यह विश्व धरोहर है जिसके रखरखाव हेतु भारतीय पुरातत्व विभाग को जल्द कदम उठाने चाहिए साथ ही मेरे गॉव के नजदीक कोटाल गॉव के नीचे जहाँ हमारे खेत है वहाँ पर बड़े बड़े पत्थरों का बना एक चबूतरा है जिसे स्थानीय भाषा में चौंरा कहा जाता है,अब वो कब बना किसने बनाया इस पर अभी अध्य्यन जारी है मुझे सटीक जानकारी नहीं मिल सकी लेकिन उसे देखकर आप अचंभित होंगे कि खेतो के बीच इतने बड़े बड़े पत्थर किसने और कैसे लाये होंगे,क्योंकि जब इसका निर्माण हुआ होगा तब न तो कोई मशीने थी न आधुनिक यंत्र,कहीं न कहीं हमारे पूर्वजों के पुरुषार्थ को ये सभी विरासतें दर्शाती है,ऐसे ही हमारे टिहरी जनपद के वीर भड़ माधो सिंह भंडारी द्वारा पहाड़ को खोदकर गूल बनाने का भी किस्सा है जो हमारे श्रेष्ठ विरासत को बयां करता है,ऐसे ही आपके भी गांव,क्षेत्र या आसपास के इलाको में कुछ न कुछ धरोहर होगी जिसे देखकर आप अचंभित होते होंगे कि तब इसको कैसे बनाया गया होगा,कैसे इसकी शुरुआत हुई होगी,आदि बातें।
हमारे उत्तराखण्ड प्रदेश के विभिन्न भागों में सैकड़ो विरासतें,मठ, मन्दिर,किताब,भवन के रूप में हमारी गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है,हमारा देश तो विरासतों की खान है, इसके कई भूभागों में एक से बढ़कर एक विरासतें हमारे पूर्वजों की महान सोच,कठिन परिश्रम और दूरदर्शी सोच को दर्शाता है,अपने अभी पूर्वजों को नमन जिन्होंने हमे हमारी पुरानी विरासतों से देश के तत्कालीन जीवन शैली से परिचित करवाया,आज जरूरत है हमारी जर्जर और लुप्त हो रही विरासतों को सहेजने का ,आज कई राजमहल,कई मठ, मन्दिर ,मस्जिद,गुरूद्वारे ,भवन जीर्ण शीर्ण स्थिति में है जिन्हें सहेजने की नितांत आवश्यकता है,ताकि हम हमारी श्रेष्ठ विरासत पर सदैव गर्व करके आने वाली पीढ़ी को भी इससे अवगत कराएं,विश्व धरोहर दिवस की सभी को पत्र परिवार की हार्दिक शुभकामनाएं।