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शंख कितने प्रकार के होते हैं और उनके क्या फायदे हैं भाग-2

Pahado Ki Goonj

शंख कितने प्रकार के होते हैं और उनके क्या फायदे हैं भाग-1  भाग एक  शेष

*पौण्ड्र शंख :-*

पोंड्रिक या पौण्ड्र शंख महाभारत में ‍भीष्म के पास था।

जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो उन्हें यह पौण्‍ड्र शंख रखना चाहिए। इसके घर में रखे होने से मनोबल बढ़ता है। अधिकतर इसका उपयोग विद्यार्थियों के लिए उत्तम माना गया है। इसे विद्यार्थियों के अध्ययन कक्ष में पूर्व की ओर रखना चाहिए।

*कामधेनु शंख :-*

ये शंख भी प्रमुख रूप से दो प्रकार के हैं।
एक गोमुखी शंख और दूसरा कामधेनु शंख।

यह शंख कामधेनु गाय के मुख जैसी रूपाकृति का होने से इसे गोमुखी कामधेनु शंख के नाम से जाना जाता है।

कहते हैं कि कामधेनु शंख की पूजा-अर्चना करने से तर्कशक्ति प्रबल होती है और सभी तरह की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। इस शंख को कल्पना पूरी करने वाला भी कहा गया है।

कलियुग में मानव की मनोकामना पूर्ति का एकमात्र साधन है। यह शंख वैसे बहुत दुर्लभ है। कामधेनु शंख हर तरह की मनोकामना पूर्ण करने में सक्षम है।

महर्षि पुलस्त्य ने लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस शंख का उपयोग किया था। पौराणिक शास्त्रों में इसके प्रयोग द्वारा धन और समृद्धि स्थायी रूप से बढ़ाई जा सकती है।

*कौरी शंख :-*

कौरी शंख अत्यंत ही दुर्लभ शंख है। माना जाता है कि यह जिसके भी घर में होता है उसका भाग्य खुला जाता है और समृद्धि बढ़ती जाती है। प्राचीनकाल से ही इस शंख का उपयोग गहने, मुद्रा और पांसे बनाने में किया जाता रहा है। कौरी को कई जगह कौड़ी भी कहा जाता है। पीली कौड़िया घर में रखने से धन में वृद्धि होती है।

*हीरा शंख :-*

इसे पहाड़ी शंख भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल तांत्रिक लोग विशेष रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए करते हैं। यह दक्षिणावर्ती शंख की तरह खुलता है। यह पहाड़ों में पाया जाता है। इसकी खोल पर ऐसा पदार्थ लगा होता है, जो स्पार्कलिंग क्रिस्टल के समान होता है इसीलिए इसे हीरा शंख भी कहते हैं। यह बहुत ही बहूमुल्य माना गया है।

*मोती शंख :-*

यदि आपको घर में सुख और शांति चाहिए तो मोती शंख स्थापित करें। सुख और शांति होगी तभी समृद्धि बढ़ेगी। मोती शंख हृदय रोगनाशक भी माना गया है।

मोती शंख को सफेद कपड़े पर विराजमान करके पूजाघर में इसकी स्थापना करें और प्रतिदिन पूजन करें।

यदि मोती शंख को कारखाने में स्था‍पित किया जाए तो कारखाने में तेजी से आर्थिक उन्नति होती है। यदि व्यापार में घाटा हो रहा है, दुकान से आय नहीं हो रही हो तो एक मोती शंख दुकान के गल्ले में रखा जाए तो इससे व्यापार में वृद्धि होती है।

यदि मोती शंख को मंत्र सिद्ध व प्राण-प्रतिष्ठा पूजा कर स्थापित किया जाए तो उसमें जल भरकर लक्ष्मी के चित्र के साथ रखा जाए तो लक्ष्मी प्रसन्न होती है और आर्थिक उन्नति होती है।

मोती शंख को घर में स्थापित कर रोज ‘ॐ श्री महालक्ष्मै नम:’ ११ बार बोलकर १-१ चावल का दाना शंख में भरते रहें। इस प्रकार ११ दिन तक प्रयोग करें। यह प्रयोग करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है।

*अनंतविजय शंख :-*

युधिष्ठिर के शंख का नाम अनंतविजय था। अनंत विजय अर्थात अंतहीन जीत। इस शंख के होने से हर कार्य में विजय मिलती जाती है। प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त के लिए अनंतविजय नामक शंख मिलना दुर्लभ है।

*मणि पुष्पक और सुघोषमणि शंख :-*

नकुल के पास सुघोष और सहदेव के पास मणि पुष्पक शंख था। मणि पुष्पक शंख की पूजा-अर्चना से यश कीर्ति, मान-सम्मान प्राप्त होता है। उच्च पद की प्राप्ति के लिए भी इसका पूजन उत्तम है।

*वीणा शंख :-*

विद्या की देवी सरस्वती भी शंख धारण करती है। यह शंख वीणा समान आकृति का होता है इसीलिए इसे वीणा शंख कहा जाता है। माना जाता है कि इसके जल को पीने से मंदबुद्धि व्‍यक्ति भी ज्ञानी हो जाता है। अगर वाणी में कोई दोष है या बोल नहीं पाते हैं तो इस शंख का जल पीने के साथ-साथ इसे बजाएं भी।

*अन्नपूर्णा शंख :-*

अन्नपूर्णा का अर्थ होता है अन्न की पूर्ति करने वाला या वाली। इस शंख को रखने से हमेशा बरकत बनी रहती है। यह धन और समृद्धि बढ़ाता है। गृहस्थ जीवन-यापन करने वालों को प्रतिदिन इसके दर्शन करने चाहिए।

*ऐरावत शंख :-*

इंद्र के हाथी का नाम ऐरावत है। यह शंख उसी के समान दिखाई देता है इसीलिए इसका नाम ऐरावत है। यह शंख मूलत: सिद्ध और साधना प्राप्ति के लिए माना गया है। माना जाता है कि रंग और रूप को निखारने के लिए भी इस शंख का उपयोग किया जाता है। इस शंख में २४ से २८घंटे जल भर करके रखें और फिर उसको ग्रहण करेंगे तो चेहरा कांतिमय बन जाएगा। ऐसा प्रतिदिन कुछ दिनों तक करना चाहिए।

*विष्णु शंख :-*

इस शंख का उपयोग लगातार प्रगति के लिए और असाध्य रोगों में शिथिलता के लिए किया जाता है। इसे घर में रखने भर से घर रोगमुक्त हो& जाता है। प्रतिदिन इस शंख के जल का सेवन करने से कई तरह के असाध्य रोग भी मिट जाते हैं।

*गरूड़ शंख :-*

गरूड़ की मुखाकृति समान होने के कारण इसे गरूड़ शंख कहा गया है। यह शंख भी अत्यंत दुर्लभ है। यह शंख भी सुख और समृद्धि देने वाला है। माना जाता है कि इस शंख के घर में होने से किसी भी प्रकार की विपत्ति नहीं आती है।

*शंख के अन्य प्रकार :-*

१. देव शंख,
२. चक्र शंख,
३. राक्षस शंख,
५. शनि शंख,
६. राहु शंख,
७. पंचमुखी शंख,
८. वालमपुरी शंख,
९. बुद्ध शंख,
१०. केतु शंख,
११. शेषनाग शंख,
१२. कच्छप शंख,
१३. शेर शंख,
१४. कुबार गदा शंख,
१५. सुदर्शन शंख आदि।

उपरोक्त सभी तरह के शंख किसी न किसी विशेष कार्य और लाभ के लिए घर में रखे जाते हैं। इनमें से अधिकतर तो दुर्लभ है जिनके यहां मात्र नाम दिए जा रहे हैं। भगवान शंकर रुद्र शंख को बजाते थे जबकि उन्होंने त्रिपुरासुर के संहार के समय त्रिपुर शंख बजाया था।

साभार शेष आगे प्रकाशित करने पर पढें,,

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