आज वट सावित्री व्रत है, सभी सुहागिन महिलाएं अपने सुखद,खुशहाल ,दाम्पत्य जीवन,पति की लंबी आयु और सन्तान प्राप्ति सहित अनेक मनोकामना पूर्ति हेतु इस व्रत को करती है,हालाँकि ये व्रत पूरे देश में नही मनाया जाता तथापि देश के एक बड़े भूभाग में इस व्रत को मनाने की परम्परा सदियों से हैं।वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है,और इस वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या ,सोमवती अमावस्या और शनि जयंती का संयोग आज ही पड़ रहा है।यह व्रत पतिव्रता सावित्री का उसके पति सत्यवान के प्रति अटूट प्रेम,श्रदा और समर्पण को दर्शाता है।सावित्री ने श्रेष्ठ पतिव्रता धर्म निभाकर सदैव के लिए सभी स्त्रियों के लिए एक बड़ा आदर्श स्थापित किया है कि अपने जीवन साथी के प्रति सदैव समर्पित रहे,वफादार रहे,और हर दुःख ,सुख में उसका साथ निभायें।सावित्री भद्र देश के राजा अश्वपति की वरदानी पुत्री थी,जो माता सावित्री के आशीर्वाद से पैदा हुई थी,इसी कारण उसका नाम सावित्री ही रखा था,जबकि सत्यवान साल्व देश के राजा धुम्मतसेन के पुत्र थे,धुमत्सेन का राज पाठ छीनने का कारण वो जंगलों में निवास करते थे।जब सावित्री का विवाह हुआ तो पता लगा सत्यवान की मौत जल्द आने वाली है और सावित्री विधवा हो जायेगी,लेकिन सावित्री ने अपने पति के प्रति सदैव सच्ची श्रद्धा और निष्ठा के साथ अटूट प्रेम बनाये रखा,काल चक्र अपने हिसाब से चलता ही रहता है एक दिन जब सावित्री और सत्यवान जंगल में लकड़ी काट रहे थे तो यमराज जी सत्यवान के प्राण लेने पहुंचे,सावित्री भी यमराज के पीछे पीछे जाती रही,जब यमराज ने देखा कि सावित्री उनका पीछा नही छोड़ रही तो उन्होंने उससे 3 वरदान मांगने को कहा, सावित्री ने कहा हे प्रभु,मेरे सास ससुर की आँखे ठीक हो जाये,मेरे ससुर का राजपाठ उन्हें वापस मिल जाये और मेरे 100 पुत्र हो यमराज जी ने तथास्तु कहा और आगे बढ़ते गये,जब बहुत दूर जाने पर उन्होंने देखा कि सावित्री अभी भी उनके पीछे आ रही है तो उन्होंने कहा अब तो तुम्हे वरदान दे चुका हूँ तुम लौटती क्यों नही? तो सावित्री बोली हे प्रभु आपने मुझे 100 पुत्रों का वरदान दिया है और दूसरी तरफ मेरे पति के प्राण ले जा रहे हो,जब मेरे पति ही न रहेंगे तो मेरे पुत्र कैसे होंगे,इसलिए उनके प्राण लौटा दीजिये,यमराज जी ने वरदान दिया था पुत्रवती का तो उन्हें एक सुहागिन पतिव्रता,पवित्र महिला के समर्पण के आगे झुकना पड़ा और सत्यवान के प्राण वापस लौटा दिए,माना जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ही श्रेष्ठ पतिव्रता सावित्री ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस लाये,जिस कारण आज के ही दिन देश भर में या हिन्दू सनातन धर्मावलंबी,सुहागिन महिलाएं इस व्रत को रखती है।लेकिन आज के दौर मे पति पत्नी के रिस्तों में बड़ी कड़वाहट देखने सुनने को मिल रही है,लगता नही कि हम सती सावित्री जैसी पतिव्रता के देश के वासी है,हमारे ऊपर पश्चिमी देशों की हवा हावी हो चुकी है,हम अपने पति पत्नी से किसी गैर के वजह से जन्मों जन्मों का रिश्ता तोड़ने से तक नही झिझक रहे हैं, और सोशल मीडिया के प्रसार ने तो सभी को अति महत्वकांक्षी बना दिया है,हर दिन तलाक,या एकाकी जीवन जीने की खबरें पढ़ने को मिल रही है,कोई अपने पति की आय से सन्तुष्ट नही तो कोई उनके रहन सहन से,कोई शारीरिक रूप से खुश नही तो किसी को बेहद ऐशो आराम की जिंदगी चाहिए,आदि कई तरह की बातें तलाक के कारणों के रूप में सामने आ रही हैं।कभी भी कोई खबर देखो वो आपके आस पास के शहरों या गॉव से सम्बंधित भी हो सकती है जो बेहद चौंकाने वाली होती है,खबरे कैसी होती है 2 बच्चों की माँ प्रेमी संग फरार,पड़ोसी के साथ भागी विवाहिता,या फेसबुक,व्हाट्सअप चैटिंग करते करते पनपा प्यार,विवाहिता हुई फरार,या कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र संग फरार हुई अधेड़ महिला,आदि आदि खबरें, आखिर हम किस ओर जा रहे हैं? क्या यही पूर्ण संतुष्टि है कि जब तक किसी की जेब गर्म तब तक वो मेरा और नही तो किसी और पर डालो डोरा, ये हमारे देश की संस्कृति नही,ये राक्षसिपन हवसीपन, अहिल्या,सीता, तारा,सावित्री के देश में आखिर क्यों बढ़ रहा है?ये बेहद ही चिन्तनीय विषय है।यहाँ पर मैं हर मातृशक्ति के लिए नही बल्कि उन महिलाओं को इंगित करना चाह रहा हूँ,जो किसी भी रिस्तों की मान मर्यादा को नही समझती,उनके लिए ऐशो आराम और विलासितापूर्ण जीवन ही महत्व रखता है,उन्हें न अपने सास,ससुर से मतलब न अपने पति से यहाँ तक कि अपने बच्चों को तक छोड़ने से नही हिचकिचा रही है ऐसी धूर्त महिलाएं,आखिर नैतिक मूल्यों में ऐसी गिरावट आयी कहाँ से,आखिर एक शादी शुदा महिला देर रात या पूरी पूरी रात भर अपने घर ,पति या सासुराल वालो से छुपाकर किससे और क्यों सोशल मीडिया या फोन कॉल्स पर व्यस्त दिख रही है? ये तमाम बातें जो कई लोगों को कड़वी लगती हो लेकिन ये आज के समय घटित हो रही हैं ,रिश्ते तार तार हो रहे हैं, ये सब हमारे श्रेष्ठ संस्कृति के देश में हो रहे हैं।
मेरा तो यही मानना है कि सिर्फ वट सावित्री या कोई भी व्रत त्यौहार दिखावे के लिए न मनाये,बल्कि आप अपने जीवन साथी के प्रति वफादार बनिए, उनके सुख दुख में साथ दीजिये,वही लम्बी उम्र और सफल् जीवन की गारंटी होगी,यदि आप अपने हैसियत से ऊपर वालो से अपने जीवन की तुलना करें और अपने जीवन साथी को उसी तरह की लग्जरी जीवन जीने के लिए दबाव बनाते रहे तो निश्चित उसका जीवन बढ़ने के बजाय कम होता जायेगा,आप वट सावित्री व्रत से यही सीख लें कि हम पूर्ण समर्पण और निष्ठा के साथ हर परिस्थिति में जीवन साथी संग डटकर खड़ा रहेंगे,सावित्री की तरह पति को कठिन से कठिन परिस्थति में साथ देंगे,न कि दूसरों के गाड़ी,बंगले,रईसी अंदाज देखकर अपने बने बनाये घर को उजाड़कर किसी और क साथ भाग निकले,कई बार तो कई महिलाएं दिखावे के चक्कर में लव जेहाद जैसे खतरनाक चंगुल में फंस जाती है,अतः अपने पतिव्रता धर्म का पालन सभी को करना चाहिए,सिर्फ स्त्री ही नही पुरुषों को भी औरत को सिर्फ भोग की वस्तु नही समझनी चाहिए क्योंकि यदि कोई महिला बर्बाद हो रही है तो कहीं न कहीं उसको बहलाने,फुसलाने वाला कोई न कोई मर्द ही है।आज की कई महिलाएं वट सावित्री व्रत तो जरूर रखती है पर साथ ही उनके मन में या विचारों में या हकीकत में किसी गैर मर्द के साथ सम्बन्ध होते हैं, ये व्रत श्रेष्ठ पतिव्रता का संदेश देता है,कभी भी अपने जीवन साथी को धोखा न दें, जिस तरह सावित्री ने अपने सास ससुर की आँखों की रौशनी और खोया राज पाठ वापस माँगा,तो कम से कम आज की विवात महिलाएं अपने सास ससुर को अपने ऊपर बोझ न समझे,बल्कि उन्हें हर स्थिति में साथ ही रखें।सावित्री का अर्थ पवित्र या गायत्री भी होता है,अतः वट सावित्री व्रत का असली फल अपने घर परिवार पति के प्रति सच्ची,श्रदा,निष्ठा,समर्पण और अटूट प्रेम है, यदि हम हर परिस्थिति में अपने साथी के साथ खड़े हो तो हर विपत्ति जरूर दूर होगी और हमारा जीवन खुशहाल रहेगा,सभी सुहागिन महिलाओं को पुनः वट सावित्री व्रत की हार्दिक शुभकामनाएं, सभी के घरों में अटूट प्रेम बना रहे,सभी के पति लम्बी उम्र जियें और सभी ताउम्र सुहागिन बनी रहें, साथ ही शनि जयंती,सोमवती अमावस्या के पावन अवसर परपोर्टल परिवार की देशवासियों को हार्दिक बधाई।
चन्द्रशेखर पैन्यूली।