HTML tutorial

उत्तराखंड सरस मेला दे रहा ग्रामीण को रोजगार

Pahado Ki Goonj

देहरादून: उत्तराखंड की राज्यपाल श्रीमती  बे बी रानी मौर्य ने  सरस मेले का शुभारम्भ कर ग्रमीण परिवेश के लिए प्रोहत्सान करने वाले जनहित के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए अधिकारियों को आदेश दिये उन्होंने स्टालो का निरीक्षण कर उत्पाद को देखा ।दुसरे दिन  उच्च अधिकारी रिवन्द्रि मंद्रवाल ने स्टालों  कमी का निराकरण करने का प्रयास किया।

उत्तराखंड में परेड ग्राउंड में चलने वाले सरस मेले में 250 से ज्यादा स्टाल लगे हैं उत्तराखंड के अलावा बाहरी राज्यों के स्वयं सहायता समूह भी प्रति भाग कर रहे हैं ।जैविक कृषि की फसल के उत्पाद समूहों के ला रखे हैं  आइफैड ने देश के सभी प्रकार के कार्य करने वाले समूह को देहरादून में एक मंच देकर रोजगार के अबसर बढ़ाने में सहयोग का काम किया है देश से ज्यादा समूह ग्रामीण प्रवेश के है जिसमें काफी मेहनत से उत्पन्न कर बाज़ार तक उत्पाद को पहुंचाने में आइफैड मदद करता है।

सरस् मेले में बाजार भाव से कम कीमतों पर समान  देने के लिये प्रयास सरकार को करने की आवश्यकता है ।अपने अपने भाव  समूह तय करेंगे तो ग्रहाक भृमित रहेगा इसके लिए भी समूहों को विचार करने की आवश्यकता है जैसे सोयाबीन बाजार में ₹ 40 kg₹60 kgहै वहाँ पर ₹60 /kgसफेद ₹ 100/kg 120/kg काले सोयाबीन मील रहा है।  शहद ₹400kg से लेकर ₹600 kg है।सुभिधा सरकार देरहि है तो भाव भी सरकार  उनके साथ मिल कर के तय करने की  आवश्यकता है । मेला 18 तक चलेगा ।सुधार करना जरूरी है ताकि ज्यादा से ज्यादा बिक्री हो ।तो अगले साल ग्रामीण क्षेत्र में लोग ज्यादा उत्पादन करेंगे। रोजगार गावँ शहर के समूह में बढ़ेगा साथ ही नगर वासी

देहरादून विकास नगर,हरिद्वार ,ऋषिकेश कोटद्वार, हल्द्वानी ,उधम सिंह नगर ,काशीपुर, बाजपुर की जनता  प्रति परिवार 25%घर का सामान सरस् मेले या अन्य समूह की दुकानों से पहाड़ या मैदान के उत्पाद ख़रीद ने का प्रयास करें तो  ग्रामीण क्षेत्रों की वेरोजगारी दूर होगी साथ ही देश की सुरक्षा की इनर लाइन पर मानव रहने वाले लोगों की घर वापसी होगी

इसके लिये समूह को ओर प्रोहत्सान देने की आवश्यकता है  ।

Next Post

द्वितीय विश्वयुद्ध में शहीद हुए देश के रणवांकुरों शत शत नमन

रविवार 11 नवम्बर यानि प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति की शताब्दी तारीख यानि 100वर्ष पूर्ण हो चुके हैं प्रथम विश्व युद्ध को,28जुलाई 1914 से 11नवम्बर 1918 तक चला पहला महायुद्ध ,यूँ तो भारत उस वक्त अंग्रेजों के अधीन था,भारत में स्वतन्त्रता की चिंगारी भड़की ही हुई थी,लेकिन जैसे ही प्रथम […]

You May Like