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आज का हिन्दू पंचांग-ज्योतिषाचार्य पंडित वीरेन्द्र प्रसाद पैन्यूली

Pahado Ki Goonj

*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
🌞 ज्योतिषाचार्य पंडित वीरेन्द्र प्रसाद पैन्यूली🌞
*⛅दिनांक – 19 फरवरी 2024*
*⛅दिन – सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् – 2080*
*⛅अयन – उत्तरायण*
*⛅ऋतु – वसंत*
*⛅मास – माघ*
*⛅पक्ष – शुक्ल*
*⛅तिथि – दशमी सुबह 08:49 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र – मृगशिरा सुबह 10:33 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग – विष्कम्भ दोपहर 12:01 तक तत्पश्चात प्रीति*
*⛅राहु काल – सुबह 08:36 से 10:02 तक*
*⛅सूर्योदय – 07:10*
*⛅सूर्यास्त – 06:38*
*⛅दिशा शूल – पूर्व*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 05:29 से 06:20 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:28 से 01:18 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण – छत्रपति शिवाजी महाराज जयन्ती (दि. अ), भक्त पुंडलिक उत्सव (पंढरपुर), वसंत ऋतु प्रारम्भ*
*⛅विशेष – दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸जया एकादशी – 20 फरवरी 24🔸*

*🔹एकादशी 19 फरवरी सुबह 08:49 से 20 फरवरी सुबह 09:55 तक ।*

*🔹व्रत उपवास 20 फरवरी मंगलवार को रखा जायेगा । 19, 20 फरवरी दो दिन चावल खाना निषिद्ध है ।*

🔹एकादशी को चावल खाना वर्जित क्यों ?🔹

🌹 संत डोंगरेजी महाराज बोलते थे कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए । जो खाता है, समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है । संत की वाणी में हमारी मति-गति नहीं हो तब भी कुछ सच्चाई तो होगी । मेरे मन में हुआ कि ‘इस प्रकार कैसे हानि होती होगी ? क्या होता होगा ?’*

🌹 तो शास्त्रों से इस संशय का समाधान मेरे को मिला कि प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक वातावरण में से, हमारे शरीर में से जलीय अंश का शोषण होता है, भूख ज्यादा लगती है और अष्टमी से लेकर पूनम या अमावस्या तक जलीय अंश शरीर में बढ़ता है, भूख कम होने लगती है । चावल पैदा होने और चावल बनाने में खूब पानी लगता है । चावल खाने के बाद भी जलीय अंश ज्यादा उपयोग में आता है । जल के मध्यम भाग से रक्त एवं सूक्ष्म भाग से प्राण बनता है । सभी जल तथा जलीय पदार्थों पर चन्द्रमा का अधिक प्रभाव पड़ने से रक्त व प्राण की गति पर भी चन्द्रमा की गति का बहुत प्रभाव पड़ता है । अतः यदि एकादशी को जलीय अंश की अधिकतावाले पदार्थ जैसे चावल आदि खायेंगे तो चन्द्रमा के कुप्रभाव से हमारे स्वास्थ्य और सुव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ता है । जैसे कीड़े मरे या कुछ अशुद्ध खाया तो मन विक्षिप्त होता है, ऐसे ही एकादशी के दिन चावल खाने से भी मन का विक्षेप बढ़ता है । तो अब यह वैज्ञानिक समाधान मिला कि अष्टमी के बाद जलीय अंश आंदोलित होता है और इतना आंदोलित होता है कि आप समुद्र के नजदीक डेढ़-दो सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र के पेड़-पौधों को अगर उन दिनों में काटते हो तो उनको रोग लग जाता है ।*

🔹अभी विज्ञानी बोलते हैं कि मनुष्य को हफ्ते में एक बार लंघन करना (उपवास रखना) चाहिए लेकिन भारतीय संस्कृति कहती है : लाचारी का नाम लंघन नहीं… भगवान की प्रीति हो और उपवास भी हो । ‘उप’ माने समीप और ‘वास’ माने रहना – एकादशी व्रत के द्वारा भगवद्-भक्ति, भगवद्-ध्यान, भगवद्-ज्ञान, भगवद्-स्मृति के नजदीक आने का भारतीय संस्कृति ने अवसर बना लिया ।*

🔹19 फरवरी से 19 अप्रैल तक क्या करें ?🔹

🔸1] कड़वे, तीखे, कसैले, शीघ्र पचनेवाले, रुक्ष (चिकनाईरहित) व उष्ण पदार्थों का सेवन करें । (अष्टांगह्रदय, योगरत्नाकर )

🔸2] पुराने जौ तथा गेहूँ की रोटी, मूँग, साठी चावल, करेला, लहसुन, अदरक, सूरन, कच्ची मूली, लौकी, तोरई, बैंगन, सोंठ, काली मिर्च, पीपर, अजवायन, राई, हींग, मेथी, गिलोय, हरड, बहेड़ा, आँवला आदि का सेवन हितकारी है ।

🔸3] सूर्योदय से पूर्व उठकर प्रात:कालीन वायु का सेवन, प्राणायाम, योगासन – व्यायाम, मालिश, उबटन से स्नान तथा जलनेति करें ।*

🔸4] अंगारों पर थोड़ी-सी अजवायन डालकर उसके धूएँ का सेवन करने से सर्दी, जुकाम, कफजन्य सिरदर्द आदि में लाभ होता है ।

5] २ से ३ ग्राम हरड चूर्ण में समभाग शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से रसायन के लाभ प्राप्त होते हैं ।

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