जय बदरिविशाल सम्मानित देश के पत्रकार साथियों को सादर प्रणाम, देश में पत्रकार साथियों को संवैधानिक अधिकार और अन्य मांगों के लिए प्रथम प्रेस महा कुम्भ का आयोजन हरिद्वार में 06 January 2024 को हरिद्वार men किया जा रहा है। मा o प्रधानमंत्री मोदी जी ने नवंबर 2021 अमेरिका के राष्ट्रपति के द्वारा बुलाए गए 110 राष्ट्रों के वर्चुअल सम्मलेन में सच्चाई कह्ते हुए कहा था कि हम पत्रकारों को और अधिक अधिकार देंगे।
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महाष्टमी पर ये छोटे-छोटे चमत्कारी लक्ष्मी पूजा उपाय बना देंगे धनवान.? Press महा कुम्भ के liye करें dan
देहरादून, हरिद्वार, सांसारिक नजरिए से धन ऐसा साधन है जो व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक तौर पर इज्जत, रुतबा और पद का हकदार बनाता है। इसी पहलू को उजागर करती बात शास्त्रों में भी लिखी गई है कि – “धनेन बलवांल्लोके धनाद्भवति पण्डित:”
“प्रेस महा कुम्भ 06 January 2024 हरिद्वार Uk आपको duniya men पहचान दिलाने का काम करेंगे. ” pahle आने की सूचनाएं मिलते hi कुम्भ स्थान के najdik rhne की व्यवस्था ki जाय gi संपर्क 7983825336 पर कीजिएगा
सरल शब्दों में अर्थ है धन से इंसान ताकतवर बनता है। इस बात के दूसरे पहलू पर गौर करें तो धन से अवगुण, दोष या बदसूरती भी ढंक सकती है। यानी धनवान व्यक्ति की गिनती गुणी, विद्वान और योग्य लोगों में होने लगती है।
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A grand and best Ramlila was staged with Shurpankha Leela and Sita Haran and the aartee of Mahakaal.
ज्योतिषाचार्य नवरत्न वत्स कहते हैं धन की यही अहमियत भी एक वजह है कि दरिद्रता से बचने व धनी बनने की चाहत स्वाभाविक रूप से तकरीबन हर इंसान में मौजूद होती है। ताकि धन के जरिए सारी सुख-सुविधाओं को भोगना मुमकिन बनाया जा सके।
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अगर आप भी ठाठ से जीवन बिताने का सपना पूरा करना चाहते हैं तो खासतौर पर शक्ति पूजा के आखिरी चरण यानी महाष्टमी व महानवमी पर महालक्ष्मी की उपासना बहुत शुभ मानी गई है।
माता लक्ष्मी सुख-समृद्धि, धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी है। किंतु कई लोग धार्मिक कर्म और उपासना की अधिक जानकारी नहीं होती, या फिर कार्य की व्यस्तता के चलते वे देवी उपासना का वक्त नहीं निकाल पाते। ऐसे लोगों के लिए महाष्टमी, महानवमी पर माता लक्ष्मी की उपासना के लिए ये सरल उपाय भी बहुत ही सुख-ऐश्वर्य देने वाले बताए गए हैं।
ज्योतिषाचार्य नवरत्न वत्स कहते हैं दुर्गाष्टमी व दुर्गानवमी विष्णुपत्नी देवी लक्ष्मी की पूजा के धनकुबेर बनाने वाले ये आसान उपाय –
महाष्टमी व महानवमी की अचूक तिथियों पर देवी लक्ष्मी की पंचोपचार पूजा गंध, पुष्प, धूप, दीप व नैवेद्य से करें और लक्ष्मीजी की आरती कर आखिरी में खासतौर पर शंख व डमरू बजाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से घर से दरिद्रता, कलह व दोष फौरन दूर हो जाते हैं।
– देवी लक्ष्मी को कमल के फूल चढ़ाकर पूजा करें और किसी भी लक्ष्मी मंत्र का 108 बार कमलगट्टे का माला से स्मरण करें।
– महाष्टमी व महानवमी पर भगवान विष्णु के मंदिर में पति-पत्नी दोनों साथ जाएं और पीला (पीतांबरी) वस्त्र चढ़ाएं तो घर-परिवार में लक्ष्मी कृपा के साथ धन-संपत्ति भी बढ़ेगी।
– महाष्टमी व महानवमी तिथियों पर शाम को गाय के गोबर से बना दीपक मीठा तेल व थोड़ा सा गुड़ डालकर प्रज्जवलित करें। इसे घर के प्रवेश द्वार के नजदीक रखने से घर में लक्ष्मी आती है।
– तुलसी विष्णुप्रिया पुकारी गईं हैं और देवी लक्ष्मी भी विष्णु पत्नी हैं। इस तरह लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी के पत्तों की माला बनाकर महालक्ष्मी के चरणों में चढ़ाने से घर-परिवार में धनवृद्धि होती है।
– महाष्टमी व महानवमी पर देवी लक्ष्मी को चढ़ाए श्यामा तुलसी के पत्ते तिजोरी में रखने से धन की तंगी कभी नहीं होगी।
– इन शुभ तिथियों पर दोपहर में विष्णु स्वरूप अश्वत्थ यानी पीपल के पेड़ की परछाई में खड़े होकर उसकी जड़ में दूध, घी व शक्कर मिला पवित्र गंगाजल चढ़ाएं। शाम को इसी स्थान पर दीपक जलाकर पीपल के पेड़ की परिक्रमा करें तो लक्ष्मी कृपा से अपार धनलाभ होता है।9
– देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन में प्रकट होने से देवी लक्ष्मी समुद्र की पुत्री और समुद्र से ही निकले दक्षिणावर्ती, मोती शंख व गोमती चक्र देवी लक्ष्मी के भाई माने गए हैं। इसलिए महाष्टमी व महानवमी पर देवी पूजा में ये शुभ फलदायी शंख व गोमती चक्र की पूजा से खुशहाल व समृद्ध कर देते हैं।
– कमल पर विराजित होने से मां लक्ष्मी को कमला भी पुकारा जाता है। यह दस महाविद्याओं में भी एक हैं। इसी तरह गोमय यानी गोबर, आंवले व शंख में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है। इसलिए इन तिथियों पर इनमें से किसी का भी पूजा या कामों में उपयोग सुख-शांति देने वाला होता
– पौराणिक मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान प्रकट देवी लक्ष्मी को पाने के लिए जब देव-दानवों में होड़ लगी, तो इस संघर्ष के दौरान देवी लक्ष्मी ने बिल्व वृक्ष में विश्राम किया, इसलिए नवरात्र के दौरान महाष्टमी व महानवमी के दिन बिल्वपत्र के पेड़ की पूजा या जल चढ़ाना भी लक्ष्मी की अपार कृपा बरसाने वाला उपाय माना गया है।
– दुर्गाष्टमी व दुर्गा नवमी पर महालक्ष्मी मंदिर में विद्वान ब्राह्मणों द्वारा विधि-विधान से अभिमंत्रित श्रीयंत्र घर में लाकर देवालय में स्थापित कर लक्ष्मी पूजा व स्मरण करें तो घर में धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
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– महालक्ष्मी धन व समृद्धि देने वाली तो श्रीगणेश ऋद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं, इसलिए महाष्टमी व महानवमी के दिन किसी देवालय में स्थापित सिंदूर चढ़े श्वेतार्क यानी आंकडे के गणेश को 21 दूर्वा व यथाशक्ति लड़्डुओं का भोग लगाएं। इस उपाय से न केवल विघ्ननाश होगा, बल्कि अकूत धन-दौलत के स्वामी भी बनेंगे।
– आप नौकरीपेशा या कारोबारी हैं तो काम पर निकलने से पहले मन ही मन या घर के देवालय में माता लक्ष्मी के सामने यह मंत्र – “श्रीं महालक्ष्मी मम गृह धनं पूरय पूरय चिन्तायै दूरय दूरय स्वाहा” बोलते हुए बाहर निकलें। इससे लक्ष्मी कृपा पद, पैसा व प्रतिष्ठा बढ़ाएगी।
– देवालय या फिर घर के आस-पास ही मौजूद अशोक के पेड़ में जल अर्पित कर पूजा करने से दुःख दूर होंगे और समृद्धि बढ़ेगी।
– दोनो ही तिथियों की रात को देवी पूजा में गन्ने की जड़ की भी पूजा करें तो दरिद्रता खत्म हो जाएगी।
– दुर्गाष्टमी व दुर्गानवमी पर देवालय में लाल आसन पर बैठ देवी लक्ष्मी को लाल फूल व लाल अनार चढ़ाकर लाल चंदन की माला से “ऊं पद्मावती पद्मनेत्रे लक्ष्मीदायिनी सर्वकार्य सिद्धि करि करि ऊं श्रीं पद्मावल्ये नमः” इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। घर से धन, रोग, शोक व आर्थिक परेशानियां दूर हो जाएंगी।
– हिन्दू धर्म मान्यताओं में गाय भी लक्ष्मी स्वरूपा है। महाष्टमी व महानवमी पर गाय की पूजा करें, घास के अलावा गोग्रास देना न चूकें। घर के कोने-कोने में संभव हो तो गोमूत्र व गंगाजल छिड़कें। कलह व दरिद्रता दूर होगी।
– लक्ष्मीपती भगवान विष्णु को लगाया केसर चंदन “ऊं नमो भगवते वासुदेवाय” इस महामंत्र के स्मरण से साथ मस्तक पर लगाएं। भगवान विष्णु जगतपालक व महालक्ष्मी के स्वामी होने से दुर्गाष्टमी व महानवमी पर यह उपाय आमदनी व धनलाभ देने के अलावा मनचाही नौकरी, पद व तरक्की की चाहत पूरी करेगा।
– कन्या पूजा करें व सुहागिन स्त्रियों का सुहाग सामग्री का दान भी जरूर करें। क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि जहां स्त्रियों का सम्मान होता है, वहां लक्ष्मी का वास हो जाता है।
– दान से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। खासतौर पर चावल व गेहूं का दान जरूरतमंदों को करें।
– अगर आप ज्यादा पूजा-पाठ या मंत्र नहीं जानते तो कम से कम इन तिथियों पर पर “ऊं महालक्ष्म्यै नमः” यह मंत्र कमलगट्टे की माला से 5, 11 या 21 बार या यथाशक्ति स्मरण करें।
– दुर्गाष्टमी व नवमी पर इन सभी उपायों के शुभ फल पाने के लिए सबसे जरूरी है कि मन, वचन और कर्म में पवित्रता व संयम को उतारें। क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि देवी लक्ष्मी पवित्रता, धर्म व सत्य का पालन करने वाले पर अपार कृपा करती है। इसलिए महानवमी पर खान-पान, विचार की पवित्रता व इंद्रिय संयम के साथ ही देवी लक्ष्मी पूजा के ये उपाय धनकुबेर बनाने वाले सिद्ध होंगे।
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