पृथक यमुनोत्री जिले की मांग को भूख हड़ताल की तैयारियां पूरी
-15 अगस्त से तहसील बड़केट में शुरू होगी भूख हड़ताल
बड़कोट। यमुनोत्री पृथक जनपद की मांग को लेकर हो रहे आंदोलन को वृहद रूप देने व 15 अगस्त से बड़कोट तहसील में होने वाली भूखड़ताल की सभी तैयारियां तथा रूपरेखा पूरी कर ली गई है। सोमवार को यमुनोत्री पृथक जनपद संघर्ष समिति ने प्रेसवार्ता कर आंदोलन की रूपरेखा के बारे में जानकारी साझा की। संघर्ष समिति ने पृथक जनपद की मांग के वृहद एवं अटूट एवं अखंड बनाने के लिए कार्यक्रम भी तय कर लिये हैं।
पांच दशकों से चली आ रही पृथक रवांईघाटी जनपद की मांग आज भी पूरी नहीं होने पर रवांईघाटी के रवांल्टाओं ने आर-पार की लड़ाई के लिए ताल ठोक दी है। 15 अगस्त 2011 को उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने प्रदेश में चार जिले बनाने की घोषणा की थी। जिनमें रवांईधाटी को सौगात देकर उनमें एक यमुनोत्री जिला भी शामिल था। परंतु यह घोषणा आज सात साल बीतने के बाद भी सरकारी फाईलों में गुम है। जिससे आक्रोशित रवांईघाटी लामबंद होकर बड़कोट, नौगांव, पुरोल और मोरी सभी जगह आंदोलन करने की रणनीति बनाई है। पत्रकारों से बातचीत में संघर्ष समिति के अध्यक्ष अब्लचंद कुमांई, सचिव रामानंद डबराल, भरत सिंह चौहान, महिपाल सिंह असवाल, शांति प्रसाद बेलवाल, किताब सिंह आदि ने अपने-अपने बक्तव्य में कहा है कि सन् 1960 में उत्तरकाशी जिला बनने के बाद विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण रवांइघाटी के लोंगों को जिला मुख्यालय जाने में भारी कठिनाइयां होने लगी तो सन् 1975 में पहली बार रवांईघाटी पृथक जनपद की मांग उठी। लेकिन आज उत्तराखंड बनने के 18 साल बीतने के बाद भी लोगों के सपने साकार नहीं हो सके। उत्तराखंड बनने से लोगों की अपेक्षाएं थी कि प्रदेश में छोटी-छोटी प्रशासनिक इकाईयां बनेंगी, जिससे गांवों तक विकास की किरण पहुंचेगी। लेकिन आज भी लोगों की आशाएं धरी की धरी रह गई हैं। रवांईघाटी से देहरादून जाना आसान है लेकिन उत्तरकाशी जिलामुख्यालय जाने के लिए लोगों को कई बार सोचना पड़ता है। कहा है कि तीन महीने बरसात तथा तीन महीने बर्फबारी के कारण रवांईघाटी से जिला मुख्यालय जाना प्रभावित रहता है। अब आंदोलन मांग पूरी न होने तक जारी रखने की चेतावनी दी है। समिति ने बताया है कि आंदोलन की संपूर्ण रूप रेखा तैयार कर ली गई है। इसमें 15 अगस्त से पहले दिन दो लोग भूख हडताल पर बैठेंगे और जब उन्हें किसी प्रकार से उठाया गया तो उनके स्थान पर और लोग भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे। यानि भूख हड़ताल पर बैठे दो लोगों की क्रमबद्धता को टूटने नहीं दिया जाएगा। वहीं 16 अगस्त से 31 अगस्त तक बारी-बारी ग्राम सभाओं से ग्रामीण ढ़ोल-नगाड़ों के साथ जुलूस लेकर तहसील पहुंचेंगे तथा प्रदर्शन करेंगे। जिसके बाद यह क्रमबद्धता निरंतर चलती रहेगी।