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उत्तराखंड के गांधी स्व इंद्रमणि बडोनी जी के जन्मदिन परराज्यात्मा की एकमात्र आवाज़ हैं भू-क़ानून.. हिमांचल की तर्ज़ पर हों भू-क़ानून.. प्रश्नों सहित सुझाव…

Pahado Ki Goonj

मातृशक्ति का68वें दिन उत्तराखंड के गांधी जी को श्रद्धांजलि देने के बाद धरने पर बैठे सभी ने कहा कि उनको सच्ची श्रद्धांजलि भूक़ानून लागू करने पर होगी।

सेवा में

श्री पुष्कर सिंह धामी
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तराखंड सरकार
देहरादून

द्वारा- अध्यक्ष महोदय
भू-क़ानून समिति
देहरादून उत्तराखंड

विषय- राज्यात्मा की एकमात्र आवाज़ हैं भू-क़ानून.. हिमांचल की तर्ज़ पर हों भू-क़ानून.. प्रश्नों सहित सुझाव…

महोदय।
निवेदन सहित सम्मानित समिति को अवगत कराना अभियान का राज्य कर्तव्य हैं.. की भू-अध्यादेश अधिनियम अभियान उत्तराखंड पिछले कई सालों से लगातार राज्य में हिमांचल की तर्ज़ पर हों भू-क़ानून को लेकर जनजागरण करते आया हैं.. राज्य के 24 लाख परिवारों के दहलीज तक इस आवाज़ को पहुंचाने में अभियान का अहम रोल रहा हैं..

सभी

vdo देखिए

https://youtu.be/FBqEt3hgucc

ध्यानसे 30 मिनट मन लगा कर सुनियेगा औऱ11 लोगों को अवश्य शेयर कीजिएगा।
11 का बड़ा महत्व खुसहाली के लिए है। 11 गते मंन्गशीर्ष महिने में भगवान श्रीकृष्ण के वहाँ से जनता से विदा लेकर गुप्त सेम में गुप्तवास लिया है। पैन्यूली जीतमणि

 के वायु मंडल में जो भू-क़ानून की अनुगूंज सुनाई दे रही हैं इसके पिछे अभियान की सेमिनार परिचर्चा मैराथन व साईकिल यात्रा सहित लगातार सोशियल मीडिया तथा यू-ट्यूब चैनल भू-टी वी का अथक परिश्रम रहा हैं.. वर्तमान सरकार के सभी मुख्यमंत्रियों को कई दौर की वार्ताओं सहित ज्ञापन प्रेषित किया गया हैं.. तत्पश्चात राज्य के सभी धामों सहित प्रसिद्ध लोक देवी देवताओं के श्रीचरणों में अर्जी अर्पित करते हुए राज्य में दो हज़ार किलोमीटर की यात्रा करते हुए अभियान ने जनजागरण को गतिमान रखा हैं.. वर्तमान में अभियान 18 अक्टूबर 2021 से अनसनरत हैं…

सम्मानित समिति से अभियान निम्नलिखित बिंदुओं पर इंगित प्रश्नों का राज्यभावना के अनुरूप उत्तर चाहते हुए ध्यानाकर्षण करना चाहता हैं..

https://youtu.be/csh0J2SF1O8

1.. क्या किसी पृथक राज्य को अपने भू-क़ानून मागने का हक़ नहीं हैं..?
2.. ऐसा क्या कारण रहें हैं की 21 साल बाद भी अभी तक उत्तराखंड राज्य का अपना भू-क़ानून (भू-अधिनियम) नहीं बन पाया हैं..?

https://youtu.be/_pTddXKOmjs

3.. ज़ब हम 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से पृथक हों गये थे तो अभी तक upzla 1950 का धारा 154 ही यहाँ क्यों लागू किया गया हैं..?

https://youtu.be/w-po9Jjmb7g

4.. Upzla 1950 की धारा 154 की कई उपधाराओं में लगातार संसोधन कर यहाँ भूमि विक्रय क़ानून को शिथिल किया गया..?
5.. ऐसे क्या कारण थे की राज्य गठन से लेकर 2018 तक यहाँ केवल भू-अध्यादेश से ही भूमी खरीद फरोख्त का काम किया गया..?

https://youtu.be/RSbBQkKOss8

6.. राज्य गठन के समय उत्तराखंड की क़ृषि योग्य भूमि का कुल रकबा 7.70 लाख हैक्टियर था इन 21 सालों में 1.20 लाख हैक्टियर भूमि आख़िर कैसे और किन नियमों के तहत बिक गयी..?

https://youtu.be/75oV2d2g4_g

7.. गठन से लेकर अभी तक कितनी जमीनों को राज्य सरकार विभिन्न कंपनियों, निकायों या संस्थाओ को किस प्रयोजनार्थ अधिग्रहण करने की राज्याज्ञा दी गयी हैं.. क्या इसका विवरण आजतक सरकारों ने जनहित विज्ञापित करवाया हैं..?
8.. जिस प्रयोजानार्थ जमीनों को ख़रीदने या आवंटन की राज्याज्ञा दी गयी थी क्या शासनादेशानुसार उन जमीनों में वहीं प्रयोजन निहित हुए हैं.. या उनकी प्रकृति बदलदर उनकी प्लॉटिंग करके राज्य के भोलेभाले लोगों को ही बेच दी गयी हैं..?
9.. यदि ऐसा किया गया हैं तो शासन व सरकार ने कितने ऐसी कंपनियों से ज़मीन वापस राज्य सरकार में निहित करवाई हैं..
10.. ऐसा कृत्य राज्य गठन से लगातार होते आ रहा हैं की जमीनों को शासनादेश के विपरीत जाकर प्लॉटिंग करके लगातार बेचा जा रहा हैं.. क्या ऐसा कोई मामला समिति के संज्ञान में लाया गया हैं..?
11.. आख़िर क्या वजह हैं की आज सम्पूर्ण उत्तराखंड में
हिमांचल की तर्ज़ पर हों भू-क़ानून.. की मांग का एक प्रचंड वेग गुंजायमान हों रहा हैं.. इसके पिछे लगातार जमीनों उपरोक्त खेल हों रहा हैं…

सम्मानित समिति 2004 में एक अध्यादेश में 500 वर्ग मीटर प्रति परिवार.. और 2007 में 250 वर्ग मीटर प्रतिव्यक्ति को ख़रीदने देने की पिछे का क्या रहस्य था आज तक उत्तराखंड की जनता को इसका भी स्पस्टीकरण किसी शासन व सरकार नहीं दिया..
नार्थ ईस्ट (नेफा) सहित हिमांचल राज्य को ज़ब ये अधिकार हैं की वो अपना एक विशेष भू-क़ानून बना सकते हैं और अपने राज्य को सुरक्षित व संरक्षित रख सकते हैं.. तो उत्तराखंड राज्य को ऐसा अधिकार से वंचित रखने का क्या अभिप्राय हैं..? जबकी ये राज्य दो देशों के सीमाओं से घिरा हैं.. सुरक्षा के दृष्टिकोण सहित पर्यावरणीय व परास्थितिकीय दृष्टिकोण से भी यह राज्य देश की सुरक्षा के लिए भी अतिमहत्वपूर्ण हैं…
2018 में त्रिवेंद्र जी की सरकार ने आखिर किसके दबाव में ऐसा निर्णय लिया..? की पूरे राज्य को तस्तरी में रखकर बेचा जा सके और जो भी बाहरी व्यक्ति या कंपनी चाहे वो सही हों या फ़र्ज़ी जितनी मर्ज़ी उतनी ज़मीन खरीद लें…
2018 के भूमी संसोधन बिल से पूरे राज्य में उबाल व्याप्त हैं.. इस बिल को तत्काल प्रभाव से वापस लेते हुए.. राज्य की मूलभावना के आधार पर यानी हिमांचल की तर्ज़ पर हों भू-क़ानून.. को तुरंत लागू किया जाय… तभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जनता पार्क में अनसन मातृशक्ति सहित पूरा उत्तराखंड का अामजनमानस को पूर्ण सकून मिल पायेगा… नहीं तो ज़ब तक हिमांचल की तर्ज़ भू-क़ानून लागू नहीं होता.. तब तक अवनवरत अनसन जारी रहेगा… सभी सहयोगी संगठनों द्वारा…

शंकर सागर
संस्थापक/मुख्यसंयोजक
भू-अध्यादेश अधिनियम अभियान उत्तराखंड…

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उत्तराखंड क्रांति दल के चौबट्टाखाल विधानसभा, विधायक प्रत्याशी विरेन्द्र सिंह रावत, केंद्रीय अध्यक्ष खेल प्रकोष्ठ/ केंद्रीय प्रचार सचिव, पूर्व प्रसिद्ध फुटबाल खिलाडी, नेशनल कोच, क्लास वन रेफरी, अनगिनत इंटरनेशनल, नेशनल और स्टेट अवार्ड से सम्मानित, समाजिक कार्यकर्त्ता,

राज्य आंदोलनकारी, क्रन्तिकारी, राज्यहितकारी ने प्रेस वार्ता देहरादून के प्रेस क्लब मे कर यू के डी के केंद्रीय अध्यक्ष श्री काशी सिंह ऐरी, संसदीय बोर्ड के समस्त पदाधिकारियों का तह दिल से धन्यवाद दिया की और कहा की एक खिलाडी, कोच और रेफरी होते हुवे जिस प्रकार उत्तराखंड का नाम भारत वर्ष और विदेशों मे कमाया और हजारों खिलाड़ियों का भविष्य बनाया निस्वार्थ भाव से, लाखो करोड़ो खिलाड़ियों ने और जनता ने जिस प्रकार मुझे प्यार और आशीर्वाद दिया 22 सालों से उसको जीवन भर नहीं भूल सकता, उसी तरह राजनीति मे भी राज्य के विकास के लिए समर्पित कर दूंगा आज जो भी मान सम्मान मुझे मिला है वो सब उत्तराखंड और भारत के लोगो का प्यार है खेल के विकास के लिए हमने नौकरी छोड़ी, कर्ज लिया, जमीन बेची, जेल गया, शोषण सहा, कई बार घायल हुवा लेकिन अपना हौसला नहीं छोड़ा आज भी भारत के विभिन्न राज्यों से अवार्ड मिल रहे है लगातार, कोरोना काल ने दो साल से हमारी खेल की समस्त गतिविधियों को समाप्त कर दिया था, कोरोना के दौरान मन मे आया की कियू ना अच्छी और साफ सुथरी राजनीति की जाए समाज ने शोशल मिडिया के माध्यम से कहा की आप जैसे लोगो को राजनीति मे आना चाहिए तभी राज्य और देश का विकास होगा और जनता ने कहा की आपने सही निर्णय लिया और कहा की ज़ब आपके साथ खेल मे गंदी राजनीति इन 21 सालों मे हुई तो कियू ना राजनीति मे जाकर अच्छी राजनीति करो, बस फिर क्या था हमने छेत्रीय पार्टी जिसने राज्य बनाया, बलिदान दिया, हमारी माताजी स्वर्गीय श्रीमति समुद्रा देवी और हम भी वर्ष 1994 के राज्य आंदोलनकारी बनकर आंदोलन मे बढ़ चढ़ कर भाग लिया जिसमे हमने अपने परम् मित्र रविन्द्र सिंह रावत को अपने सामने शहीद होते हुवे देखा हम तो किस्मत से बच गए, फिर हमने 14 फरवरी 2021 अपने उम्र के 52 वर्ष के प्रवेश मे देहरादून के केंद्रीय कार्यलय मे यू के डी की सदस्यता ली गयी फिर क्या था हम लग गए छेत्र और राज्य के विकास के लिए, कई बार गिरफ्तार हुवे, मुकदमा हुवा बस चलते रहे संघर्ष कर रहे है उत्तराखंड की मूल सुविधा के लिए, भू क़ानून लागू हो , स्थाई राजधानी गैरसेण् हो , चिकित्सा अच्छी हो गांव मे , शिक्षा अच्छी हो गांव मे , खेल निति हो, स्पोर्ट्स कोटा हो, पलायन रुके, रोजगार हो, भ्रष्टाचार मुक्त हो, भू माफियों से मुक्ति मिले, रोड हो, बिजली पानी हो, जंगली जानवरों से गांव वासियों की रक्षा हो, बंजर खेती मे अनाज हो, बुजुर्गो को हर प्रकार की सुविधा हो, नशे से दूर हो, अपनी गढ़वाली, कुमाउनी, जौनसारी, गोर्खाली और जो भी मूल निवासी है उत्तराखंड मे सबका विकास हो, लेकिन दुःख इस बात का है 10 साल बीजेपी,10 साल कांग्रेस ने उत्तराखंड मे राज किया लेकिन उत्तराखंड जिसके लिए हमने माँगा था उसका विकास नहीं हुवा नाश हुवा लूट लिया उत्तराखंड के 70 विधायकों ने इन 21 सालों मे अब विरेन्द्र सिंह रावत ने कसम खाई है ज़ब तक उत्तराखंड के मूल निवासियों को, गांव वासियो को मूल सुविधा नहीं मिलेगी अंतिम सांस तक संघर्ष करेगा, और विरेन्द्र सिंह रावत ने महत्वपूर्ण घोषणा उत्तराखंड सरकार के 100 रुपय के ई स्टेम्प पेपर मे लिखित मे भी की है कि अगर चौबट्टा खाल विधानसभा से जनता का प्यार और आशीर्वाद मिला और उत्तराखंड के वर्ष 2022 के चुनाव मे विधायक बना तो जो विधायक को महीने की सैलरी 3,50,000/- ( तीन लाख पचास हजार ) मिलेगी उसे उत्तराखंड के जरूरतमंद जनता को वितरित की जाएगी और तो और जो भी साल मे लगभग चार करोड़ विधायक निधि से जो पैसा मिलेगा उससे उस छेत्र का विकास किया जाएगा और जरूरतमंदों की सहायता की जाएगी, भरस्टाचार पर नकेल कसी जाएगी एक पहाड़ी ऐसा भी, एक खिलाडी रेफरी कोच, एक युवा नई सोच
उपस्थित सदस्य केंद्रीय अध्यक्ष महिला प्रकोष्ठ प्रमिला रावत, देहरादून जिलाध्यक्ष दीपक रावत, कार्यकारी अध्यक्ष किरण रावत, मुकेश कुंडरा, कमल कांत, जितेंद्र, सोमेश बुढ़ाकोटी, सुनील ध्यनी, सलोचना ईस्टवाल, शिव प्रसाद सेमवाल, उमेश खंडूरी, शान्ति प्रसाद भट्ट, प्रीति थपलियाल, संजय बहुगुणा, किशन मेहता आदि उपस्थित रहे.।

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