मदन पैन्यूली बडकोट: चन्द्रशेखर पैन्यूली संवाद दाता पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय पत्र ukpkg. com ने कहा है कि मेरी आवाज को दबाने की साजिश रचने वालों ये न भूलो हमारा इतिहास गौरवशाली रहा है,स्वतन्त्रता से पूर्व हमारे देश में राजशाही थी,उसी समय में एक छोटी रियासत जो पहले गढ़वाल और बाद में टिहरी गढ़वाल रियासत के नाम से थी,जो आज टिहरी,उत्तरकाशी जिलों में बंटा है,तब राजतंत्र में भी हमारे पूर्वजों की आवाज गूंजी,पैन्यूली वंश के विद्वान पुरुषों ने वर्षो तक राजशाही में महत्वपूर्ण पद दीवान की पदवी पर रहकर कई ऐतिहासिक कार्य किये,हमारे पूर्वज राजशाही के जमाने में भी पढ़े लिखे थे और राजमहल में पढ़ने लिखने के सभी कार्यो को करते थे,इसलिए हमें लिखवार भी कहा जाता है,जो कि बाद में मूल गाँव पनियाला के बाद सिद्ध पुरुष जी द्वारा बसाए गये गांव के नाम को लिखवार गाँव नाम दिया गया,जब राजतंत्र का विरोध हुआ तो आदरणीय परिपूर्णा नन्द पैन्यूली जी,सचिदानन्द पैन्यूली जी ,स्व लक्ष्मी प्रसाद पैन्यूली जी,स्व नर हरिदत्त पैन्यूली जी जैसे लोगों ने राजतंत्र को हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,आदरणीय परिपूर्णा नन्द जी,आदरणीय सचिदानन्द जी तत्कालीन समय के महान स्वतन्त्रता सेनानी और प्रखर पत्रकार रहे।स्वतन्त्रता के बाद जब टिहरी राजशाही खत्म हुई टिहरी उस वक्त अलग राज्य बना तो प्रजामण्डल के तत्कालीन अध्य्क्ष आदरणीय श्रीमान परिपूर्णानन्द पैन्यूली जी ही नये राज्य के पहले प्रधानमंत्री बने थे।पैन्यूली जी दो बार हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर रह कर हिमाचल प्रदेश के विकास नीव रखी है ।खैर टिहरी सिर्फ एक जिले के रूप में ही आस्तित्व में आया,लेकिन तमाम विरोधों के बावजूद भी पैन्यूली की आवाज कभी कमजोर नही हुई। स्वतन्त्रता के बाद 1971 में आदरणीय परिपूर्णानन्द जी ने महाराजा मानवेंद्र शाह को चुनाव में शिकस्त देकर एक इतिहास लिखा,इतिहास ये कि 8 बार साँसद रहे मानवेंद्र शाह जी यदि कभी और किसी से हारे तो सिर्फ पैन्यूली जी से ही हारे,तो आप समझ ही सकते हैं जब हमारी आवाज राजतंत्र और उसके बाद ऐसे माहौल में नही दबी जहाँ कड़ी से कड़ी सजा होती थी आवाज बुलंद करने की तो ,आज तो लोकतांत्रिक देश में हम रह रहे हैं, मैं अपने सभी पूर्वजों को नमन करता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि आप जैसे महान ओजस्वी,तेजस्वी,प्रकाण्ड विद्ववानों का आशीर्वाद मुझ सहित सभी वंशजो पर बना रहे,आप लोगों ने महान आदर्श स्थापित किये हैं, हमारी कोशिश रहेगी हम आपके पदचिन्हों पर चलकर आपकी चरणधूलि से अपने को गौरवान्वित करेंगे। हमारे वंश के प्रखर पत्रकार आदरणीय श्रीपरिपूर्णानन्द पैन्यूली(पूर्व साँसद),आदरणीय श्री सचिदानन्द जी ने उच्च आदर्श स्थापित किये हैं, वो हमेशा निडर,निर्भीक होकर अत्याचार,शोषण के विरुद्ध लिखते रहे कभी अंग्रेजों के अत्याचार को तो कभी राजा के शोषण को लिखते रहे,तो उन्ही के वंश का एक छोटा सा बच्चा उनकी चरणधूलि मात्र होकर भी मेरी यही कोशिश रहेगी कि मैं भी कभी किसी से क्षेत्र,समाज,देश की घटनाओं की सच्चाई को अपनी कलम से लिखता रहूँगा,बाकि यही कहूंगा जिसने भी मेरे खिलाफ इस तरह की साजिश रची भगवान उसको सद्बुद्धि दे,ताकि वो अच्छे ,बुरे में अंतर समझ सके।हम न तब झुके,न अब झुकेंगे,जब अवाम की आवाज बनेंगे तो निजी जीवन में आने वाली कठिनाइयों से क्या डरना।मेरे साथ मेरे पूर्वजों का आशीर्वाद है,मेरे चाहने वालों की दुवाएँ है,मेरे शुभचिन्तको की शुभकामनायें है,मेरे ईष्ट की कृपा है तो मैं क्यों डरूँ?बाकि साजिश करने वाले तेरा भी भला हो ।