क्यों धूमिल होरही मुख्यमंत्रीयों की छवि

Pahado Ki Goonj

धूमिल हो रही मुख्यमंत्रीयों की छवि

उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि इन अठारह साल तक कोई सर्व मान्य नेता उत्तराखंड में पैदा नही हो पाया ।नित्यनाद स्वामी को गदी से उत्तारने कद लिए 9नवम्बर 2000 से  भगत सिंह कोश्यारी लगे रहे ।जबकि उनको उत्तर प्रदेश में आर यस यस के वरिष्ठ  होने के नाते सदस्य विधान परिषद तक रहने को  सीमित क्यों रखा गया।उतारखण्ड की निर्वाचित सरकारें नारायण दत्त तिवारी केमुख्यमंत्री बनने से सुरु हुई हरीश रावत ने 1दिन भी सरकार चलाने में सहयोग नहीं किया।जो नारयण तिवारी 1600 करोड़ के बजट से पारी सुरू कर आज आर्थिक रूप से उत्तराखंड को मजबूत करने का काम सूरु किये वही इन पूरे नहीं हुए ।इन 15 सालों में नेताओं की उठक पटक से बाहरी लोगों को नेताओं ने उनसे सुभिधा शुल्क लेकर उत्तराखंड के लोगों को द्वयम दर्जे का नागरिक बनाने का  काम किया।इससे उत्तराखंड देव भूमि अपराध भूमि बनाने में कोई कोर कसर हमारे मुख्यमंत्री यों ने नहीं कि चट तेरी पट मेरी का खेल के चलते जिनके  पास गाड़ी का किराया आने जाने के लिये नहीं होता था वह आज अरबों पति इन सालों में जनता की सेवा के नाम पर होगये ।यह प्रश्न दैत्य के रूप में खड़ा हो रहा है। इसको कोन रोकेगा।नैतिकता नाम उत्तराखंड से गायब करने के लिए नंगे भूखे मोहम्मद गजनी की भांति उत्तराखंड मेंलूटने में लगें हैं ।खण्डूड़ी मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने ने जमीन सम्बंधित बाहरी व्यक्ति200 गज तकलेने के लिये कानून बनाया ।मेडिकल में दाखिला देना ।पर तब रमेश पोखरियाल निशंक जी बने उनको उत्तरा तो खण्डूड़ी के नामसे चुनाव लड़ा ।तब कोटद्वार की जनता ने वोट देने में कंजूसी कर दी । कांग्रेस पुनः लोटी तो मुख्यमंत्री बनने की हरीश रावत की इच्छा को पूरी करने को रोका गया।उन्होंने विधायक कैद कर दिये जो कार्यकर्ता चुनाव से पुर्व कांग्रेस को हराने में लगे रहे वह चुनाव के बाद दिल्ली दिखाई दिया तो उनकी लिस्ट बनगई ।अब मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बनगए । टिहरी बांध से प्रभावित प्रतापनगर की जनता के दुख दर्द को महसूस कर दूर करने के लिये ।वर्ष 1998 से सांसद का चुनाव लड़ने के लिये थोपे गये विजय बहुगुणा ही सहारा दिखने लगे उनके पाप धोने के लिए चुनाव लड़ने की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर 22अगस्त 1998 को भेजी उसके लिये चुनाव परिणाम आने से पहले  उन्होंने  कहा कि आपने हमे डरा दिया तो मैंने कहा कि जबतक प्रजेक्ट के अनुसार कार्य नहीं होगा तब तक विजय होना सम्भव नही है । प्रोजेक्ट के अनुसार 2007 के चुनाव काम हुआ ।विजय विजय होगये । कि टिहरी बांध से हम ज्यादा प्रभावित हैं । सुझाव दिया कि प्रतापनगर को तब तक जिला बनाया जाय जब तक टिहरी बांध की झील भरने तक  इसका व्यय भार टिहरी बांध को उठाना है।मतलब साफ था कि हम सबसे सुभिधा में हैं हमें कृतिम रूप से प्रभावित किया जारहा है ।तो उन्होंने जिला बनाने की बात 1998 में स्वीकार की। इतने चुनाव लड़ना कोई मामूली खेल तो नहीं था बड़ी मुश्किल से राजा मानवेन्द्र साह की मृत्यु के बाद चुनाव जीतना उनके लिये हाथी का बच्चा पैदा जैसे हुआ ।

उनका साक्षात्कार लेने मेरे साथ 2007 में पत्रकार अखलेश व्यास गये उन्होंने प्रताप नगर जिला बनाने

की बात स्वीकार की।प्रतापनगर जिला उत्तराखंड राज्य बनने केबाद नहीं बन पाया तो अपनी बात पूरी कैसी होगी इन आठ सालों में जिला नहीं बन पाया तो विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनायाजाय  तो उनके  सांसद होने पर सांसद निधि के दलालों की जहां अपनी अपनी सोच के लिये 8 सितम्बर2007 को लंबगांव बाजार भाषण होरहे थे तो संपादक को बोलने का मौका दिया गया तो हमे जिला बनाना दिखाई दे रहा था ।जब मैने कहा विजय बहुगुणा हमारे मात्र सांसद नही है भावी मुख्यमंत्री मंत्री हैं।बहुगुणा ने सोचा बड़ी मुश्किल से तो बिली के भगासे छींका टूटा जीतमणि  पैन्यूली क्या कहरहे है  उनका माथा यकदम मेरी तरफ घुमा मैंने कहा कि जिला तभी बनेगा जब बहुगुणा मुख्यमंत्री होगा ।मैने बहुगुणा जी के पिता स्वर्गीय श्री हेमवतीनंदन बहुगुणा जी से 22,23फरवरी1974उत्तरप्रदेश के चुनाव के समय पौड़ी आगमन पर कहा था ।कि लंबगांव कोटाल गावँ केमुण्डा खाल सडक़ बनाने में राजनीति होरही है ।यह सामरिक दृष्टि से डिफेंस के उपयोग की सड़क है ।इसमें डी आई आर लगा कर ही कार्य हो पना सम्भव है। मेरे साथ पत्रकार चारु चन्द्र चन्दोला थे।पुनः चुनाव केबाद मुख्यमंत्री बनकर 2,3जून 1974 बहुगुणा जी पौड़ी आये तो पुनः पत्रकार चारु चन्द्र चन्दोला जी खुशहाल सिंह पोखरियाल 99साहब मेरे साथ गये ।बारी बारी से सबको मिले मैंने पुनः सड़क की याद दिलाया तो बोले उसकी कार्यवाही होगई ।इतनी याद है हमने अबतक मालूम भी नहीं किया ।खुशहाल सिंह भाई जी ने 1962 की लड़ाई में सिलिप फेंकने की बात की तो बोले12सालमे याद आया ।देश मेरा है तुम्हारा भी तो देश है । ऐसे महान नेता के कार्य करने का अद्भुत करिश्मे करोड़ों लोगों में करोड़ों पत्रों की कारवाही की याद रखने वाले नेता के पुत्र के रूप में स्वप्न हमने देखा विजय बहुगुणा से ।पर मुख्यमंत्री बनने के बाद वह सब भूल गए तब उनके इलाहाबाद के संगम की तरह सरस्वती लुप्त होगई ।तो हमने अंतर मनसे जनता की बात की।  इसकी सूचना प्रातः वंदनीय हरीश रावत जी को तुरंत पहुंचा दीगई ।परन्तु उनको तो मैंने प्रतापनगर की जनता को फेकवाल बनाने के लिये प्रति निधि के रूप गंगोत्री से दिल्ली तक सद्भावना पद यात्रा में ले गया गंगाजल कलश 22अगस्त 1991 को विसम्बर दास मार्ग स्थित घर पर आश्रीबाद के रूप में देदिया था ।6दिसम्बर 2000से लगातार विना वेतन के प्रदेश कार्यालय में 2002 मार्च तक बैठ कर अपना कीमती समय गवाना। 6दिसम्बर के बाद तो कांग्रेस कार्यलय को उनके अध्यक्ष बनने पर सांप सूंघ गया था ।कोई आने की हिम्मत नही जुटा पाया हम तो मुख्यमंत्री देखना चाहते थे ।क्योंकि प्रतापनगर की समस्या मुख्यमंत्री के स्तर से दूर होसकती है।य जीतमणि पैन्यूली से । पर उन्होंने हमारी नहीं मानी।  यानी वह चुनाव नही लडे वह उनकी भूल थी ।तब यह सब  संघर्ष प्रदेश को पीछे लेजाने के लिए नेताओं के कारण न करने पड़ते ।परन्तु उनका मैं सुक्रगुजार हूँ कि मेरे द्वारा वर्ष 1969 से छेड़ गये फेकवाल बनाने के आंदोलन को उहोंने सरलता से स्वीकार कर लागू कर दिया। परन्तु उनको भी चलने नही दिया वह भी 48 से ज्यादा राज्य मंत्री अल्मोड़ा की तरफ से बना गये बजट का70%से ज्यादा वहाँ लगा कर भी 1सीट उनके एवं परिवार के सदस्य के लिये वहाँ की जनता देपाई तो कुमाऊ में यह बड़ी विडम्बना है  उनके सम्मान गढ़वाल से मिला और कांग्रेस गढ़वाल से कमजोर करदी । पर  कोई माई का लाल हरीश रावत यवम उनके परिवार के लिये इतना सब करने के बाद नेता बनने के लिये जमीन तैयार नही कारपाये । मैं हरीश रावत का हृदय से आभारी हैं उनका बहुत ऋणि हूँ कि उन्होंने कहा कि आपके आंदोलन के सामने सब दायत्व छोटे हैं ।अब टी यच डी सी वाले आपसे डरते नही ।टिहरी बाँध के विरोध करने को रोकने के लिये की गई फ़ौज ने जहां खूब कामयाब हुये ।हम बांध कर समर्थन  में तापटेरिस में सभी नेताओं से बांध बनाने के फायदे से होने वाली आय से अपने छेत्र का भला होना देखता था । हरीश रॉवत जी को जन हित यह सब मालूम होने के नाते उन्हों ने कहा कि यह सम्मान सब दायत्व छोटे लग रहे हैं । नही दूंगा आगे देखेंगे ।जब येे एक बार बोल दिया तब मनुष्य के  लिए बार बार बोलने  की  जरूरत नहीं  पड़ती । शेष क्रमशः

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