नैनीताल। पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया मामले पर सरकार के अध्यादेश लाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई 16 सितम्बर तक टल गई है। नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को याचिका में पक्षकार बनाया गया। मगर भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाने के बाद उनको पक्षकार नहीं बनाया गया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह बात चीफ जस्टिस को बताई गई तो उन्होंने कोश्यारी को पक्षकार न बनाए जाने का कारण पूछा जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कोश्यारी को पक्षकार बनाने के लिए समय मांगा।
बता दें कि 3 मई 2019 को हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं की बकाया वसूली के मामले पर फैसला दिया था। अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था कि सभी पूर्व मुख्यमंत्री 6 महीने के अंदर सभी सुविधाओं का बाजार भाव से पैसा जमा करेंगे। ऐसा न किए जाने पर राज्य सरकार को इनसे वसूली की कार्रवाई करनी होगी।
हाईकोर्ट के इस आदेश को निष्प्रभावी करने के लिए राज्य सरकार अध्यादेश ले आई, जिसे 5 सितम्बर को राज्यपाल ने स्वीकृति दे दी। याचिकाकर्ता अवधेश कौशल ने बुधवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि जो अध्यादेश सरकार लेकर आई है वह असंवैधानिक है. याचिका में कहा गया है कि अध्यादेश संविधान की धारा 14 व 21 के विपरीत है। याचिकाकर्ता ने इसमें तीन मुख्यमंत्रियों भुवन चंत्र खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल निशंक और विजय बहुगुणा को पार्टी बनाया है। चूंकि भगत सिंह कोश्यारी अब महाराष्ट्र के राज्यपाल बन गए हैं इसलिए उन्हें संविधान के अनुच्छेद 361(4) के तहत नोटिस भेजा गया है।
गुरूवार को कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को पक्षकार न बनाए जाने पर सवाल किया तो याचिकाकर्ता ने कोर्ट से पूर्व सीएम व अब महाराष्ट्र के राज्यपाल बन चुके भगत सिंह कोश्यारी को पक्षकार बनाने के लिए समय मांग लिया। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई अब सोमवार को करेगा।