भारत मे 78 वर्ष आजादी के बीत जाने के बाद अभी भी आदमी पशुओं की भांति व्यबहार करता है।उसको लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहने के लिए लोहे के सांचे के अन्दर से गुजरना पड़ रहा है।अभि भी लोग अपने आप लाईन में लग कर अपनी बारी का इंतजार नहीं कर पाते।यानि अभी हमारी मनन करने की इच्छा नहीं है।जब आदमी मनन नहीं करता है ।ऐसी स्थिति के कारण ही यह एक साथ साथ आदमी को लाईन से सामग्री लेने की कोशिश 78 वर्षों से की जारही है पर भारत का आदमी अपने देश मे यह सब करने को तैयार नही
उपराष्ट्रपति एम. वैंकैया नायडू, स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डिग्रीयां दी
Tue Dec 5 , 2017