रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जुलाई में एक ही दिन में डेढ़ लाख पौधे लगाए जाएंगे। दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र में एक ही दिन में एक साथ पौधे लगाने का रिकॉर्ड बनेगा। पौधे लगाने के लिए गड्ढे खोदने का कार्य 5 मई से शुरू हो जाएगा। रिस्पना नदी के स्रोत से शिखर फाॅल और राजपुर हेड से यह कार्य शुरू किया जाएगा। इस बारे में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने शुक्रवार को सचिवालय में तैयारियों की समीक्षा की। कहा कि इस मिशन में वन विभाग, इको टास्कफोर्स, सिंचाई विभाग के अलावा जन सहभागिता भी सुनिश्चित की जाय। विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं, विद्यार्थियों का भी सहयोग लिया जाय।
बैठक में बताया गया कि रिस्पना नदी के क्षेत्र को हेड से टेल तक ब्लॉकों में बांटा गया है। कार्य की सुविधा के लिए सब-ब्लॉक भी बनाये गए हैं। नदी की सफाई का कार्य शुरू कर दिया गया है। पौध रोपण के गड्ढे खोदने के लिए झाड़ियों की सफाई का कार्य शुरू हो गया है। 75 हजार एकड़ क्षेत्रफल में 25 एकड़ भाग पहुंच में है। शेष 50 एकड़ दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र है। सभी स्थानों पर पौध रोपण के लिए कार्य योजना बना ली गई है। वन विभाग और इको टास्कफोर्स को डेढ़ लाख पौधों की व्यवस्था करने के लिए कहा गया है। निर्देश दिए गए कि कम से कम 50 हजार फलों के पौधे लगाए जाए। जिससे कि जंगली जानवरों को खाने के लिए जंगल में ही फल मिल सके। मानव वन्यजीव संघर्ष को रोका जा सके। आम, बेल, आंवला, जामुन आदि के पौधे लगाए जाएंगे।
बैठक में प्रमुख सचिव सिंचाई आनंद बर्धन, सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी, डीएम देहरादून एस.ए.मुरुगेशन, नगर आयुक्त विजय जोगदंड, वीसी एमडीडीए आशीष श्रीवास्तव, वन संरक्षक पीके पात्रो, इको टास्कफोर्स के मेजर करन, मैड संस्था के अभिजय नेगी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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