देहरादून,संविधान ने हमें अपनी बात कहने का अधिकार दिया है तब कहना चाहते हैं कि जो अपने अधिकारों के लिए नहीं कह , लिख सकते हैं उनको लोकतंत्र में चौथा स्तम्भ मीडिया ही कहते हैं। जबकि
विश्व के समक्ष मा0प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी 9, 10 दिसम्बर2021 को अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा 110 राष्ट्र प्रमुखों के बुलायेगये वर्चुअल सम्मेलन में बच्चन दिया है
https://madhyauday.com/मीडिया-के-इस्तेमाल-की-जंग/
[31/10, 10:08 pm] Virsnsari: Amar Ujala
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लोकतंत्र पर संवाद: दो-दो हाथ करने के मूड में अमेरिका, ताइवान समेत 110 देशों को भेजा …
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‘लोकतंत्र पर चर्चा’ के लिए अमेरिका ने 110 देशों को दिया न्यौता, चीन-तुर्की को किया बाहर …
NDTV.in
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US राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लोकतंत्र पर सम्मेलन में 110 देशों को बुलाया, लिस्ट में …
टाइम्स नाउ नवभारत
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Summit on democracy: अमेरिका ने 110 देशों को दिया न्यौता, चीन-रूस-तुर्की सहित … https://www.google.com/amp/s/www.aajtak.in/amp/india/news/story/pm-narendra-modi-speech-in-summit-for-democracy-hosted-by-us-president-joe-biden-ntc-1371023-2021-12-10
कि मीडिया को ज्यादा अधिकार देकर सशक्त बनाना चाहते हैं। मोदी है तो मुमकिन है।
इस सम्मेलन को यूट्यूब पर आप देख सकते हैं।उसके अनुसार खबरें रोज स्थाई स्तम्भ बना कर अधिकार मिलने तक रोज प्रकाशित कर सकते हैं।
जनता के धन से विधाईका, कार्यपालिका, न्यायपालिका चल रही है। संविधान दिवस पर सरकारी कार्यक्रम में मा0 विधायक से लेकर राज्यपाल का सफर के अनुभव कर देश के कमजोर जनता की पीड़ा को मा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी ने व्यक्त करते हुए कहा कि जेलों में बन्द बेगुनाह लोगों की जानकारी देने ,उनकी पैरवी करने के लिए जनता का दर्द अपना दर्द समझते हुए वयां कर चुकी है।
“गुरु, डॉक्टर और वकील को लोग भगवान मानते हैं’, संविधान दिवस पर राष्ट्रपति ने दिया भावुक भाषण
संविधान दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के सभागार में कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने बेहद भावुक भाषण दिया. उन्होंने कहा कि मैं बहुत छोटे गांव से आई हूं. बचपन से देखा है कि हम गांव के लोग तीन ही लोगों को भगवान मानते हैं गुरु, डॉक्टर और वकील. राष्ट्रपति के भाषण से सभागार में मौजूद सभी लोग भावुक हो उठे.
संविधान दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के सभागार में कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान अंग्रेजी में औपचारिक सरकारी भाषण के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने हिंदी में अपनी भावनाएं सबके सामने रखीं, तो सुप्रीम कोर्ट का पूरा सभागार तालियों की गड़गड़हाट से गूंज गया.
राष्ट्रपति ने कार्यक्रम के दौरान अंग्रेजी में पहले औपचारिक लिखित भाषण पढ़ा, लेकिन अपने मन की बातें हिंदी में अनौपचारिक रूप से कहीं. राष्ट्रपति के हिंदी में दिए भाषण पर सभागार में मौजूद लोग भी भावुक हो उठे.
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपना अंग्रेजी भाषण पूरा करने के बाद पन्ने समेटे और कहा कि मैं बहुत छोटे गांव से आई हूं. बचपन से देखा है कि हम गांव के लोग तीन ही लोगों को भगवान मानते हैं गुरु, डॉक्टर और वकील. गुरु ज्ञान देकर, डॉक्टर जीवन देकर और वकील न्याय दिलाकर भगवान की भूमिका में होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के सभागार में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने अपने पहले विधायक कार्यकाल के दौरान विधानसभा की कमेटी के अपने अनुभव साझा किए. साथ ही अपनी उम्मीदों के सच न होने का अफसोस जताया. फिर राज्यपाल होने के दौरान हुए अनुभव साझा किए. राष्ट्रपति ने भावुक अंदाज में जजों से कहा कि जेल में बंद लोगों के बारे में सोचें. थप्पड़ मारने के जुर्म में लोग वर्षों से जेल में बंद हैं. उनके लिए सोचिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें न तो अपने अधिकार पता हैं न ही संविधान की प्रस्तावना, न ही मौलिक अधिकार या संवैधानिक कर्तव्य. उनके बारे में कोई नहीं सोच रहा. उनके घर वालों की उनको छुड़ाने की हिम्मत नहीं रहती. क्योंकि मुकदमा लड़ने में ही उनके घर के बर्तन तक बिक जाते हैं. दूसरों की जिंदगी खत्म करने वाले हत्यारे तो बाहर घूमते हैं, लेकिन आम आदमी मामूली जुर्म में वर्षों जेल में पड़े रहते हैं. राष्ट्रपति ने कहा कि और ज्यादा जेल बनाने की बात होती है, ये कैसा विकास है. जेल तो खत्म होनी चाहिए.”
https://www.google.com/amp/s/www.aajtak.in/amp/india/news/story/president-droupadi-murmu-gives-emotional-speech-constitution-day-people-consider-guru-doctor-lawyer-as-god-ntc-1584099-2022-11-27
राष्ट्रपति का सम्बोधन
आज के लोकतंत्र के 75 वर्षों में पैदा हुए हालातो के सफर में उनको ढूंढ कर लाने ,जेलों से बाहर निकालने के लिए मीडिया ही सक्षम दिखाई देता है ।उनको संवैधानिक अधिकार देने के लिए ज्यादा लोकवित्त खर्च करने की या संसद के दोनों सदनों को बुलाने की आवश्यकता नहीं है।
मा0 राष्ट्रपति मा0 सुप्रीम कोर्ट के 5 ,7 मा0बरिष्ट जजों की संविधान पीठ की राय मिलने पर उसके अनुसार मीडिया को अधिकार देकर तब राष्ट्रपति मीडिया को आदेश देसकते हैं । सत्य को उजागर करने, गरीब न्याय दिलाने का कार्य मीडिया संवैधानिक अधिकार मिलने पर कर सकते हैं। पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र में विस्तार से ज्वलंत मुद्दे पर गत शनिवार के अंक में प्रकाशित किया गया है।
बंचितो को न्याय देने के लिए मीडिया को संवैधानिक अधिकार दो आज दो अभी दो ।आज 6 दिसम्बर को डॉ भीमराव आंबेडकर जी स्मृति दिवस पर हार्दिक श्रद्धांजलि ,शत शत नमन – जीतमणि पैन्यूली संपादक मो,वट्सप न0 7983825336
देहरादून,सुधी पाठकों से अनुरोध है कि
करोड़ों लोगों, गाँव से लेकर संसद ,राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट एंव गुरूप से देश विदेश तक प्रचार प्रसार के लिए प्रयास करते हुए देश मे प्रतिष्ठित पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र,न्यूज पोर्टल नव वर्ष2023 का कलेंडर प्रकाशित करने जारहा है।
आप अपनी ओर से सहयोग दान और विज्ञापन के रूप में नव वर्ष की शुभकामनाएं देने के लिए बॉक्स बाएं से दाएं तरफ 1,2,5 को छोड़ कर 3,4,6,7,8,9,10,12,14,15,16 में प्रत्येक स्थान के 5000 हजार रुपए में 50 कलेंडर प्राप्त करने के लिए अग्रिम धन राशि के साथ संपर्क किजयेगा ।विज्ञापन के प्रूफ सही करके प्रकाशन के लिए 21 दिसम्बर 2022 तक वट्सप न0 7983825336 या ईमेल-pahadonkigoonj@gmail.com से भेज दीजयेगा।
paytm no 9456334283a/c ,name: pahadon ki goonj