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ऐतिहासिक लिखवार गाँव प्रतापनगर टेहरी में

Pahado Ki Goonj

उत्तराखंड में स्थित टिहरी गढ़वाल  पूर्व टिहरी रियासत का ऐतिहासिक लिखवार गाँव बड़ा मकान मंदिर के नीचे तीसरी पंगती में बड़ा जिसके पूर्व की ऒर 2 कमरों की छवाई टूट गयी झाड़ि जम गई। सिंघौली के संधि से पूर्व का निर्मित है। इसमें टेहरी रियासत के राजा को छिपा कर रखा गया था 400 साल से ज्यादा पुराना माकन है। यह माकन 2सबसे बड़े भूकम्प बर्ष 1904 एवम  बर्ष 1991 को झेलते हुये, आज तक इसलिये खड़ा है।

बड़े मकान के ऊपर वाली पन्गति में दाएं मकानों के बीच इष्ट बटूकुभैरव  का चबूतरा है इसके  ऊपर बकरी ने बाघ को मार गिराया है। यह सिद्ध स्थान है।

लिखवार गावँ धार्मिक गावँ होने के नाते वहां धर्म दिखाई देता है ।वर्ष 1986-87 में जब प्रतापनगर में भयंकर सुखा पड़ा उस समय संपादक द्वारा रोजगार देने के लिये गंगायमुना ग्रामीण बैंक लिखवार गाँव खुलवाने  के चलते भवन निर्माण कराया ।जिस समय सूखे के चलते पानी के स्रोत सुख गए थे उस समय मकान की नीब में 35 यल.पी.यम.पानी के स्रोत मिलने पर आश्चर्य से कम नहीं था। विष्णु भगवान के रूप मे प्रकट होकर  जनता को अच्छे कार्य करते रहने का संदेश लाखों चलते राह गिर ,गंगोत्री धाम से लंबगांव चमियाला मोटर मार्ग की.मी 9 पर निर्मल जल से प्यास तो बुझाते ही है।साथ ही भगवान बिष्णु के रूप में साथ भी लेजाते है श्री केदारनाथ जाने वाले तीर्थ यात्रियों को लाभ  दे रहा है। कुछ यात्रियों ने इस पानी मे भगवान श्री बद्रीनाथ की कृपा का आशीर्वाद माना है। धार्मिक गावँ के निवासियों की सद्भावना से ही ऐसी अछि घटना समाज में अच्छे कार्य करने के लिये शिक्षा पाने के लिये भगवान जन्म देता है राष्ट्र के निर्माता अभियन्ता ओं के हृदय में अच्छे मजबूत कार्य करने की प्रबृति उनमे जन्म ले सके। आजके अभियन्ता 400वर्ष पूर्व में काम करने वाले साधारण मिस्त्री के सामने कहाँ खड़े हो सकते हैं ।यह सोच बिकसित करने की आवश्यकता है इस भवन को यूनेस्को संस्थान को ,भारत सरकार को हेरी टेज के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है।

गावँ समुद्र तल से 1720मी0ऊँचाई।गॉव 85’डिग्री के कोण पर बसा है पुरे गावँ की  फोटो ग्राफर फोटोग्राफ कैमरे में कैद कोई नहीं कर सकता है ।गावँ केपीछे गावँ का 400 वर्ष पूर्ब अपना पोषित अपनी खेती के बीच में है घना जंगल है।।जंगल के पू .खेती प.खेती उत्तर मे खेती द०खेती है गावँ के लोग सारे छेत्र के लोगों की बीमारी का इलाज करते थे। गावँ में श्री? ऋषि राम वैद्य ,श्री धर्मानंद वैद्य ,रूप राम वैद्य,श्री दया राम वैद्य,बन्यानि में बच्चों के पेट मे जोंक की दवाई आज भी मिलाती है। आकाशीय विजली ,बादल फटने की घटनाये हुआ करती थी। जब भारतीय संचार निगम का टॉवर लगा है।तब से गावँ आकाशिय बिजली गिरने से सुरक्षित है।

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