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उत्तराखंड में फसल १०-१५ कि०मी०पर अलग -अलग

Pahado Ki Goonj

 

उत्तराखंड में फसल छतिपूर्ती 50000हजार प्रति हेक्टेयर दिया जाय

पहाड़ों की गूंज राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्र उत्तराखंड के पलायन रोकने के लिये बिगत कई बर्षों से कृषि को बढ़ावा देकर सरकारों का ध्यान आकृष्ट करते आरहा है।उत्तराखंड में१०-१५ कि०मी०पर अलग -अलग भोगोलिक स्थिति है असिंचित खेतों के लिये समय पर वर्षा होना जहां बरदान साबित होता है वहीं सिंचित जमीन पर धान,दालो के लिए वर्षा अभिशाप होजाता है।उत्तराखंड में १६ प्रकार की भौगोलिक स्थिति में लघु एवं सीमांत किसान १६प्रकार से ज्यादा फसलो को उगाने के लिये लालायित रहते हुये संघर्ष करते हैं कि फसल इस वर्ष होगी, अगले वर्ष होगी पर किसान प्रकृति ,की मार ज्यादा वर्षा ,सूखा ,ओला बृष्टि,चक्रबात ,झेलते झेलते थकजाता है।पहाड़ों पर खेती करना घाटे का सौदा साबित ज्यादा तर हो रहा है।जहाँ प्रकृति इतनी मार करते हुए संघर्ष के लिये मजबूर करती है।वहीं बन्दर,हिरन,सुवर, भालू,लंगूर किसानों के लिए कैंसर की बीमारी बन गई
1-अलग अलग पट्टी छेत्र मे ———————————
अलग अलग पैदावार
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इसकी जानकारी के लिये देहरादून से उत्तरकाशी जाते समय मेरी जिज्ञासा बस पर बैठे सह यात्रियों से हुई ।उनमे जिसे हर जगह की जानकारी हो साथ ही कास्तकार को व्यक्तिगत जानता हो बस पर बैठने के बाद मेरी बगल की सीट पर जो सज्जन बैठे उनसे पूछताछ करने पर पहला सकुन मिला कि वह अपने गावँ क्यारदा घर पर रह कर अपनी यजमानों के यहां पूजा पाठ करने जाते हुये गावँ में रहन सहन कर आवाद किये हैं।औरों को गावँ न छोडने की प्रेरणा दे रहे है। उनसे परिचय लिया तो उन्होंने अपना नाम कि चंडी प्रसाद नोटियाल बताया ।उन्होने जो फसल पैदावार के आकंड़े दिये ।मेरा किसानी करने के प्रति वर्ष1973 की ओला बृष्टि,1982 , 1987 का सूखा राज्य बनने के बाद दैविय आपदाओं से झेल रहे कठिनाई का जीवन मे राम सबरी के पास ज़रूर आएंगे अच्छी फसल के पैदावार में भगवान तो साथ देगा ही। सरकार इन 17 भौगोलिक स्थिति को एकहि लाठी से हाँक रही है। जो कि गलत है छोटा राज्य सुभिदा देने केलिये बना है। नकि उलझाने के लिये । उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह पंवार विधायक के गावँ के पास किसान उपेन्द्र सिंह ग्राम किट्टा ,थान भवान ने जँहा 1क्विंटल आलू लगाया था वहां 24 क्विंटल हुये पर फसल विक्री कम भाव होने पर लाभ अच्छा नही मिल पाया ।यहाँ धान की पैदावार की जानकारी उनसे ली तो उन्होंने किसान मय चंद सिंह महर ग्राम घोन, पीपल सारि पट्टी नगुण पट्टी टिहरी गढ़वाल की धान पैदावार का जहाँ 1 बोरी होती थी वहां 2 से 4 बोर की पैदावार हुई ।अब इस स्थान से हवाई दूरी 15 किमी सम्पदाक के लिखवॉर गावँ टिहरी गढ़वाल खेतों की है जहां 4.5 बीघा सिंचित जमीन पर 11.55क्विंटल धान की पैदावार होती थी वहीं इस समय वर्षा से परागण नहोंने से फसल खराब होगई अब मात्र 2क्विंट के आसपास धान सूखा कर होने का अनुमान है क्या आगे के लिये बीज रखें क्या खायँ? यदि 2क्विंटल धान के चावल बनाये 120 कि ग्राम मिलेंगे उनको 80 ₹किलो कीमत लगाई कुल 9600₹ मिलेंगे अब आपका ध्यान इनकी लागत की ओर लेजाना चाहता हूँ अपनी घर की मेहनत छोड़ कर 19500 ₹ लागत आई अब आप अंदाजा लगा सकते है कि 9900₹ का नुक्सान किसान कैसे झेल पायेगा । जूनन ही विगत वर्ष दैविय आपदा का मरहम सरकार ने किसानों को प्रति पूर्ति अपने संसाधनों से देकर लगाया ये आकड़े हैं अब केन्द्र राज्य की लोक प्रिय सरकार को उत्तराखंड 25सौ करोड़ का कार्पस फंड किसानों के लिये बनाया जाय ।उसके व्याज से जिन किसानों की फसल की छति हुई उनकी छतिपूर्ती दी जाय किसान ही भूख मिटाने के लिये अपने को समाप्त कर रहा है ।देश के मीडिया TV पर बहस 3 तलाख की बहस कर जनता का ध्यान असली मुदो से भटकाते हैं किसानो को50000₹ छतिपूर्ती दी जाय इससे पलायन रोकेगा, क्रमश 2-10-2017को

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