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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किया खुलासा

Pahado Ki Goonj

इंडिया टीवी। (11/सितंबर/2017) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खुलासा किया है कि रेप मामले में दोषी करार दिए जाने के तुरंत बाद गुरमीत राम रहीम को पंचकूला कोर्ट से भगाने की ‘बड़ी साजिश’ की गई थी। उन्होंने इशारा किया कि पंजाब पुलिस के कुछ पुलिसकर्मी इस साजिश में शामिल हो सकते हैं।

इंडिया टीवी पर प्रसारित होने वाले शो ‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा के सवालों का जवाब देते हुए खट्टर ने कहा, ‘इस बात में सत्यता है, केवल हरियाणा पुलिस के कमांडो ही नहीं, एक दुर्भाग्य ये भी है कि उनको जेड सिक्यूरिटी हरियाणा ने देनी थी, लेकिन आठ पुलिसकर्मी ऐसे मिले हैं जो पंजाब पुलिस के हैं, और पंजाब पुलिस के वे लोग हरियाणा के व्यक्ति को एसकॉर्ट करने के लिए भेजे गए हैं। किस अथॉरिटी से भेजे गए हमें मालूम नहीं, हमारी पुलिस के पास एक-एक वेपन थे, उन आठ के आठ पुलिसवालों के पास दो-दो वेपन मिले हैं। वो किस प्रकार की साजिश। हां ठीक है, हमने उन पांचों लोगों को तुरन्त पकड़ा, तुरन्त सस्पेंड किया। उन्हें नौकरी से बाहर कर दिया है। ऐसे आठ लोग पंजाब के, उन्हें भी हमने पकड़ा है। ये बहुत बड़ी कांस्पिरेसी थी कि अगर बाबा को सजा हो जाएगी तो हम निकाल करके, छुड़ा करके भाग जाएंगे। लेकिन हमारी पुलिस, पैरामिलिटरी फोर्स ने उनकी इस कार्रवाई को विफल कर दिया और इस तरह उसको (जेल) ले जाने का रास्ता बना।’
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 अगस्त को बाबा को पंचकूला की अदालत में ले आना बेहद ‘जोखिम’ भरा था। यह पूछे जाने पर कि क्या समर्थकों को पंचकूला में इकट्ठा होने देने के लिए उन पर बाबा की तरफ से दबाव डाला गया था, खट्टर ने कहा, ‘हमारे ऊपर कोई प्रेशर नहीं था, लेकिन यह जरूर है कि जो पिछले अनुभव हैं वो हमको ध्यान में थे। 26 अक्टूबर, उसके ठीक 11 दिन बाद रामपाल प्रकरण शुरू हो गया। कोर्ट ने आदेश दिया कि 7 नवम्बर को रामपाल को कोर्ट में पेश करो। उनका एक आश्रम था बरवाला में, 30 हजार लोग थे उनके किलानुमा आश्रम में। उस आश्रम से उनको निकालना हमारे लिए एक परीक्षा का समय था। वो 30 हजार लोग निर्दोष थे, लेकिन रामपाल दोषी था। हमें सिर्फ रामपाल को निकालना था, ये एक बड़ा चैलेंज था। सात दिन तक फोर्सेस ने आश्रम की घेराबंदी की, वहां की बिजली काट दी, पानी काट दिया, हमारा उद्देश्य था रामपाल को बिना गोली चलाए, बिना कैजुअल्टी के निकालना। वहां एक भी गोली चली नहीं, बल्कि पत्थरबाजी में कुछ पुलिसवाले घायल हुए, हमने रामपाल को बाहर निकाला और कोर्ट में पेश किया।’
 
खट्टर ने कहा, ‘हमारे सामने विषय था कि अगर ऐसी परिस्थिति पैदा हो गई कि राम रहीम कोर्ट में पेश नहीं होते और कोई भी बहाना लगाते किसी भी प्रकार का, कितना नुकसान होगा उनके कोर्ट में लाने का या न लाने का। लेकिन हमने जो विजुअलाइज किया, जो पूर्वानुमान लगाया, अगर बाबा को सिरसा के डेरे से निकालना पड़ता, सिरसा के डेरे के अन्दर एक लाख लोगों के रुकने की व्यवस्था है। रामपाल के अनुयायी तो बहुत कम हैं हरियाणा में, उनके अनुयायी छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, वहां से लोग ज्यादा आते थे, लेकिन राम रहीम के अनुयायी हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, ये क्षेत्र हैं जहां कई लाखों में अनुयायी हैं। अगर कोई स्थिति पैदा हो गई कि हमने उनको न आने के लिए बहाना दे दिया और डेरे से निकालना पड़ गया, तो लाख लोग अन्दर होंगे, बीच में फोर्सेस होंगी, और एक लाख लोग बाहर होंगे, उस समय क्या दृश्य बनेगा, उनकी कल्पना आप कर सकते हैं।’
 
यह पूछे जाने पर कि एक लाख समर्थकों को पंचकूला क्यों आने दिया गया, खट्टर ने कहा, ‘हमने कोई उनका स्वागत नहीं करवाया था। हमने बसें रोक दीं, हमने ट्रेन्स रोक दीं, हमने पंचकूला के इर्द-गिर्द 17 नाके लगाए, लेकिन जो आ रहे हैं, वो उनकी ब्लाइंड फॉलोविंग है, ऐसे अंधभक्त जिन्हें कुछ नहीं पता कि बाबा असलियत में क्या है। उनको जो भारी पेस है, कि ये एक बाबा है, जो हमको प्रेच करता है, हमको कथा सुनाता है, उनकी फिल्में आती हैं, वो एक्टिंग करता है। उसके लालच में उनके बहुत से अनपढ़ फॉलोअर्स, पता नहीं किस किस रास्ते से आए, बहुत बड़ी संख्या में पंजाब से लोग आए, सिर्फ 30 पर्सेंट सीमा पंचकूला की हरियाणा के साथ लगती है, बाकी 70 पर्सेंट सीमा तो पंजाब या चंडीगढ़ के साथ है। हिमाचल-पंजाब का हाइवे नम्बर 22, वो बिल्कुल ओपन है, उसे हम बन्द नहीं कर सकते थे।’
 
उन्होंने कहा, ‘हमारी जो सोच थी वो ये कि अगर बाबा किसी तरह कोर्ट में उपस्थित होता है तो कल के संकट को बचाया जा सकता है। ये भी ध्यान में था कि अगर कोई घटना 25 तारीख से पहले हो गई, तो पर्याप्त बड़ा कारण बन जाएगा कि वो राम रहीम अपने डेरे से चलेगा कि नहीं चलेगा। हमको 24 तारीख की आधी रात को भी ये पता नहीं था कि वो चलके आएगा या नहीं आएगा। आएगा तो कौन से रूट से आएगा। वो हरियाणा से आएगा या पंजाब से आएगा, क्योंकि सिरसा-चंडीगढ के दोनों रूट लगते हैं। ये भी नहीं पता कि वो काफिले से आएगा, अपनी गाड़ी से आएगा या बाय एयर से आएगा। उन्होंने एक बार ये भी अनाउन्स किया था कि हम हेलीकॉप्टर से जाएंगे। और आते समय रास्ते में कहां रुकेगा, ऐसे कम से कम 9 परिदृश्य बनते थे, जिन पर हमने काम किया।’
 
जब खट्टर से सवाल किया गया कि पूछ ही लेते बाबा से कौन से रूट से आओगे, तो उन्होंने कहा, ‘हमने बहुत प्रयत्न किए, हमारी पुलिस ने, हमारे इंटेलिजेन्स ने भी प्रयत्न किए। पहली बात तो बाबा किसी से मिलता नहीं था, और अगर बीच के कोई आदमी मिलके बताते भी थे, तो तीन दिन पहले कोई सिनारियो था, दो दिन पहले कोई और सिनारियो था। वो भी हमको भ्रम में रखने की नीति, ऐसा हमको लगता था।’
 
यह पूछे जाने पर कि बाबा को क्यों 200 गाड़ियों के काफिले के साथ यात्रा करने की इजाजत दी गई, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं फिर कहूंगा हम कोई बहाना नहीं देना चाहते थे। बाबा का काफिला डेरे के अन्दर से निकलता है, मामला CBI कोर्ट और बाबा के बीच का है। सरकार का ऐसा कोई रोल नहीं था कि रास्ते में चलते रोकें किसी को। रास्ते में रोकने का कोई प्रावधान नहीं है। वह 200 गाड़ी में आएं, वह हजार गाड़ी में आएं, 2 हजार गाड़ी में आएं, वह 8 हजार गाड़ी में आएं। अगर रास्ते में रोकते तो बाबा बोलता मैं नहीं जाता, और फिर परिस्थिति वही बनती। वह कितनी गाड़ियों में आए, हमें गाड़ियों से कोई मतलब नहीं है। कोई अर्थ नहीं है। हमारा एक ही अर्थ है कि बाबा को पेश होना चाहिए। बाबा नहीं आता, केवल गाड़ियां आ जातीं, तो क्या करना था हमें? बाबा आए, उनके साथ कितनी गाड़ियां आएं, हमें उसकी कोई चिन्ता नहीं है। हां, हमारी इंटेलिजेन्स को श्रेय जाता है जिसने हमें बताया कि बाबा की 5 गाड़ियों में से कौन-सी 2 गाड़ियों में से एक में बाबा है, और वही 2 गाड़ियां कोर्ट में गईं।’
 
यह पूछे जाने पर कि बाबा को दोषी करार दिए जाने के बाद पंचकूला की अदालत से रोहतक जेल हेलीकॉप्टर से क्यों भेजा गया, खट्टर ने उत्तर दिया, ‘जिस तरह एक हाई प्रोफाइल अपराधी है, हम पर प्रश्नचिह्न लगाया जा रहा है कि सिरसा से लेकर चंडीगढ़ तक इतना बड़ा काफिला आया। बाद में सजा होती है इतने लोग इकट्ठा हुए, इतनों की जानें चली गईं। हमको पता था कि ज्यों ही अपराधी घोषित हो जाएंगे, उसके बाद भी उनके फॉ़लोवर्स हैं, highly charged हैं वो, उनके बीच 200 किलोमीटर के रोड पर मैं बाबा को ले जाने का काम करता हूं, और 200 किलोमीटर रोहतक जाने में 4 घंटे लगेंगे, उस 4 घंटे में क्या हो जाएगा, ये रिस्क मुझे नहीं लेना था।’
 
जब रजत शर्मा ने पूछा कि क्यों उनकी गोद ली हुई बेटी हनीप्रीत को दोषी के साथ हेलीकॉप्टर में बैठने की इजाजत दी गई, मुख्यमंत्री ने कहा, ‘नहीं, अपराधी अपराधी होता है। जब कोर्ट में पेश हुए, उनकी बेटी ने जज से कहा कि मुझे उनके साथ कोर्ट में जाने की अनुमति दी जाए। सीबीआई जज ने उनको अनुमति दी कि आप कोर्ट में खड़ी हो सकती हैं। उनको दोषी करार दे दिया गया, जज से फिर पूछा, जज ने फिर कहा, यानी उनके वकील ने कहा, और राम रहीम, उनकी बेटी ने कहा कि मैं उनकी फिजिशियन हूं, उनको मेडिकल हेल्प देने के लिए मेरी आवश्यकता रहती है, और उन्होंने कहा कि इनको साथ में रहने की अनुमति दी जाए। जज साहब ने कहा कि ये काम मेरा नहीं है। प्रॉपर ऑथरिटिज आपको अनुमति देंगे तो ठीक है, नहीं तो नहीं। अब प्रॉपर ऑथरिटिज चूंकि हमें उनको सुनारिया जेल लेकर जाना है, प्रॉपर ऑथरिटिज को निर्णय रोहतक में लेना है, और रोहतक में अगर प्रॉपर ऑथरिटिज कहते हैं कि हम इनको साथ रहने की अनुमति देते हैं, और वो साथ नहीं जाती, तो इसीलिए मानवीय आधार पर उनकी बेटी को यदि लगता है मेडिकल हेल्प की रास्ते में आवश्यकता पड़ सकती है, अनुमति मिलेगी तो रहेंगी, अनुमति नहीं मिलेगी, तो चली जाएंगी। दूसरा, चूंकि उन्होंने उस समय उनको अपनी बेटी कहा, अब बेटी के नाते से वहां हाई प्रोफाइल सिनारियो बन रहा है, इसलिए उनको वहां रखना एक बड़ी सुरक्षा देने का एक और कारण बन जाता, इसलिए दोनों कारणों से। ये कोई सोचा-समझा निर्णय प्रशासन ने लिया ऐसा नहीं है। ये स्थानीय तौर पर वहां जिनने निर्णय लेना था, उन्होंने निर्णय लिया कि इनको साथ जाने देते हैं, रोहतक में जाकर फैसला हो जाएगा, रोहतक में प्रिजन ऑथरिटिज ने निर्णय लिया कि इनको साथ रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती, हमने उनके रिश्तेदारों को बुलाकर उनके हवाले कर दिया।’
 
मुख्यमंत्री ने उन रिपोर्ट्स को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि बाबा को दोषी करार दिए जाने के बाद रोहतक के एक रेस्ट हाउस में ले जाया गया था। उन्होंने कहा, ‘1300 कैदी हैं रोहतक जेल में, तो एक कैदी वहां ले जाएंगे तो 1301, 1302 हो जाएंगे, लेकिन ये कितना हाई प्रोफाइल कैदी है, इसके रखने के लिए वहां एक सेल को सैनिटाइज करते हैं। सैनिटाइज करने के लिए जेल ऑथरिटीज ने कहा कि हमको अभी दो घंटे लगेंगे, तो एक घंटा तो हेलीकॉप्टर ले लेगा, बाकी एक घंटा कहां रखना। तो उसी समय टेम्परेरी जेल की व्यवस्था की गई। बाकायदा उसका ऑर्डर कराया गया कि वो पुलिस ट्रेनिंग सेंटर का मेस है, रेस्ट हाउस नहीं है। रेस्ट हाउस प्रचारित किया गया, मेस के एक कमरे को टेम्परेरी जेल बनाया गया, वहां एक घंटे रखा गया, जब जेल अधिकारी ने कहा कि सेल तैयार है, तो एक घंटे बाद वहां ले जाकर के उन्हें छोड़ दिया गया और एक घंटे बाद उसको डिनोटिफाई कर दिया गया।’
 
खट्टर ने मीडिया को भी इस बात के लिए निशाने पर लिया कि बाबा को दी गई सजा के क्वांटम के बारे में गलत ब्रेकिंग न्यूज दी गई। उन्होंने कहा, ‘मीडिया ने तो जब चाहे बिना वेरीफाई किए बोल दिया। जिस दिन सजा का क्वांटम सुनाया गया, वो क्वांटम जज ने 3 बजे शुरू किया, साढ़े 6 बजे क्वांटम सुनाया। मीडिया के लोगों से 4 बजे ही कहना शुरू कर दिया कि 10 साल की सजा और 65 हजार का जुर्माना, जबकि साढ़े 6 बजे जजमेंट आता है। जिस मीडिया ने फरीदकोट के DIG का एक पत्र दिखा कर कहा कि सीएम खट्टर ने पत्र का कोई संज्ञान नहीं लिया, पंजाब का DIG वो अपने जिलों में भेजता है, मेरे पास कोई खबर नहीं, और मेरे से पूछते हैं।’
 
यह पूछे जाने पर कि क्यों पंचकूला में 25 अगस्त को उनकी पुलिस न्यूज चैनल्स की 3 ओबी वैन को डेरा समर्थकों द्वारा आग के हवाले किए जाने से बचाने में नाकाम रही, खट्टर ने कहा, ‘मैं ये कहना चाहता हूं वहां 12 ओबी वैन थी, 9 ने हटा ली, 3 ने नहीं हटाईं। जिन 3 ने नहीं हटाईं, वो 3 जल गईं। आखिर मीडिया पर भी एक लिमिटेशन रहनी चाहिए कि सिक्युरिटी का ध्यान रखने वाले पुलिस अफसर जो बता रहे हैं, उसके अनुसार करना चाहिए। लेकिन मीडिया के रिपोर्टर चाहते हैं हमारी एक्सक्लूसिव रिपोर्टिंग, ताकि एडिटर उस पर एक कहानी बना सके क्योंकि वो स्टूडियो में बैठा है। उसका प्रत्यक्ष क्या, वो पता नहीं, रिपोर्टर की खबर के आधार पर एक स्टोरी चल जाती है। मीडिया सब काम गलत करता, ऐसा मैंने कभी नहीं कहा, लेकिन जिन मीडिया के लोगों ने गैरजिम्मेवाराना व्यवहार किया, उनको नुकसान हुआ, मैं ये सिद्ध करना चाह रहा हूं। मीडिया के लोग अगर ठीक व्यवहार करते, जो उनके लिए स्थान बताया गया, वहां जाते, तो नुकसान शायद न होता, या कम होता।’
 
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के इस दावे पर कि पंजाब में कोई हिंसा नहीं हुई, खट्टर ने कहा, ‘डेरा हरियाणा में, रूट हरियाणा में, कोर्ट हरियाणा में, सारा अखाड़ा हरियाणा में, और वो पीठ थपथपा रहा है अपनी कि हमारे यहां कुछ होने नहीं दिया। वहां भी कई स्टेशन जले हैं, उन्होंने भी दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया है, वहां पर भी लाठीचार्ज हुए हैं, वहां पर भी कई बिजली के स्टेशन्स फूंके गए हैं। जो घायल हुए हैं, उनमें करीब 50 पर्सेंट पंजाब के थे। जब हमने खदेड़ा उन्हें 25 की शाम को, उनकी 1200 बसें जिरकपुर से लेकर उन्हें पंजाब में छोड़ के आई हैं। उन्हें तो कम से कम हमदर्दी दिखानी चाहिए थी। उन्होंने तो बल्कि ये कहा कि हरियाणा जलता है तो जल जाए।’
 
हरियाणा के डिप्टी ऐडवोकेट जनरल द्वारा पंचकूला कोर्ट में बाबा का बैग उठाने पर खट्टर ने कहा, ‘वो उनके अनुयायी भी हो सकते हैं। हमने उनको दोषी माना, अगले ही क्षण उनको बाहर कर दिया। वो केस लड़ने के लिए नहीं गया था। केस लड़ने के लिए सीबीआई के वकील थे। जैसे और वकील कार्ड दिखाकर जा सकते हैं, कार्ड दिखाकर वो भी चला गया।’
 
मुख्यमंत्री ने 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान डेरा सच्चा सौदा से समर्थन लेने के अपनी पार्टी के फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘ठीक है, 2014 में राम रहीम ने हमारा सपोर्ट किया, लेकिन राम रहीम तो डेरे के प्रमुख बने थे 1990 में। 1990 से लेकर के 2014 तक कितने इलेक्शन आए। 1991, 1996, 1998 में आया। 1999, 2000 में आया। फिर इलेक्शन 2004, 2005, 2009 में आया। 2014 से पहले 8 इलेक्शन आए, इनमें राम रहीम ने किसको सपोर्ट किया वो नहीं उठाएंगे? आज भी पंजाब में कांग्रेस के नेताओं के साथ उनके संबंध उजागर हैं। पत्रकार, जिसके मर्डर का दोषी राम रहीम है, उसके बेटे ने कहा कि अमरिंदर सिंह की पत्नी का प्रेशर था जिसके कारण हम इसे आगे नहीं बढ़ा पाए। इनके तो फॉलोअर्स हरियाणा से ज्यादा पंजाब में हैं। भूपिन्दर सिंह हुड्डा के कहने का मतलब, इसमें हम लीपापोती करते रहते, रामपाल को भी ऐसे ही पालते, राम रहीम के रास्ते पर भी ऐसे चलते रहते, 5 साल निकल जाते, आगे 5 साल बाद कोई आए। अरे ये समस्याएं हमको खत्म करनी हैं। हरियाणा के हित में ऐसा कोई काम नहीं होने देना, किसी को ऐसे आगे नहीं बढ़ने देना, ये हमारा संकल्प है।’
 
यह पूछे जाने पर कि क्यों स्पीकर समेत बीजेपी के 31 विधायक 2014 का चुनाव जीतने के बाद बाबा का आशीर्वाद लेने गए, खट्टर ने कहा, ‘डेरा में जाने में कोई आपत्ति नहीं थी, केवल भाजपा के ही नहीं, कांग्रेस के भी एमएलए, यहां तक कि 2002 में चौटाला और उनका बेटा अभय चौटाला वहां गए। हमारे कांग्रेस के कुलदीप शर्मा, वो भी वहां गए, हुड्डा भी गए, सब लोग उनसे मिलते-जुलते रहे हैं। जब तक व्यक्ति दोषी सिद्ध नहीं हो जाता, तब तक मिलने-जुलने में कोई ऐतराज नहीं है। किसी की श्रद्धा थी, कोई अपने वोट के लालच में जाता है, ये सामान्य गतिविधियों का हिस्सा था। अब अगर कहीं दोषी है तो राम रहीम है, हम उसकी जनता को दोष नहीं देते हैं। जो पैसे भी दिए गए वो 2016 और 2017 की शुरुआत के हैं। बाद 2017 का जो पैसा है, वो अभी गया नहीं, उनको मंत्रियों ने रोक दिया है।’
 
जब रजत शर्मा ने सवाल उठाया कि वह एक बार राम रहीम के साथ झाड़ू लेकर खड़े हुए थे, खट्टर ने कहा, ‘करनाल मेरी कॉन्स्टिचुएंसी है। उन्होंने कहा मैं स्वच्छता अभियान चलाना चाहता हूं, देखिए, राम रहीम के दो पहलू हैं, एक पहलू- उसका डार्क साइड जो आज सब हम देख रहे हैं। एक पहलू उसका ब्राइट साइड, जो सेवा के वो काम करता है, सफाई अभियान के अन्तर्गत दिल्ली में सफाई की, हरियाणा में की, जब आह्वान देते हैं, उनके लाखों अनुयायी आ जाते हैं। सफाई अभियान केवल मेरा या नरेन्द्र मोदी का कार्यक्रम नहीं है, ये जन-जन का कार्यक्रम है। जन-जन के कार्यक्रम में अगर कोई सहयोग करता है, तो मैं उसे खुशी-खुशी अपनाउंगा। और अब तो, उस समय दोषी नहीं थे, आज दोषी हैं, आज उनको 20 साल का सश्रम कारावास हुआ है, अगर वो सश्रम में अपना ये च्वाइस दें कि मैं जेल में सफाई का काम करूंगा, तो जेल में सफाई का काम उससे लिया जा सकता है।’
 
बाबा की दत्तक पुत्री हनीप्रीत, जो अंडरग्राउंड हैं, के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कम से कम हनीप्रीत उनको बहुत जल्दी मिलने वाली नहीं है। ऐसा कभी नहीं होगा। हनीप्रीत के लोकेशन के बारे में हमने अलर्ट कर दिया है, और उसमें अगर कल वो आएगी, तो उसके खिलाफ जो अलग से चार्जेज लगेंगे, उन चार्जेज का सामना करेगी, और सजा के हिसाब से उनको जहां रखना होगा, रखा जाएगा।’
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी सिरसा में स्थित डेरा में चल रहा सर्च ऑपरेशन अगले एक-दो दिनों तक चलेगा। उन्होंने कहा, ‘कोर्ट ने आदेश दिया है कि उनके हर डेरे को सैनिटाइज, सर्च किया जाए। कोर्ट के आदेश पर एक जूडिशल मैजिस्ट्रेट के निर्देश में सर्च ऑपरेशन चल रहा है। किसी प्रकार की कोई आपत्तिजनक सामग्री डेरे से नहीं निकलने दी गई है। ये लोग सब आर्मी और पैरामिलिटरी फोर्सेज की घेराबंदी से तलाशी देकर निकले हैं। ऑपरेशन अभी चल रहा है। शायद एक-दो दिन में खत्म होने की संभावना है।’
 
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी सरकार ने राम रहीम के प्रति ‘नरम रुख’ अपनाया, खट्टर ने कहा, ‘हमारा कोई सॉफ्ट कॉर्नर होता, तो आज बाबा जेल में क्यों होता? कोर्ट ने ऑर्डर दिया ठीक, लेकिन जैसा कि भुपिन्दर हुड्डा कह रहे हैं, हम कुछ आगे ले जाते, तो हम भी आगे ले जाते, हम वोटों की राजनीति नहीं करते हैं। वोट लेने के लिए ऐसा कोई समझौता नहीं करते जो देशहित और प्रदेश के हित में न हो।’

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