HTML tutorial

जीतमणि पैन्यूली सम्पादक उत्तराखंड के प्रदूषण को शीघ्र कम करने के उपाय बता रहे हैं

Pahado Ki Goonj

देहरादून, प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह द्वारा उत्तराखंड में प्रदूषण रोकने के लिए अधिकारियों की बैठक सोमवार को सचिवालय सभा गार में की गई।

बैठक में उन्होंने प्रदेश के साथ साथ  देहरादून ,ऋषिकेश, काशीपुर में प्रदूषण मानक से ज्यादा बढ़ने की  चिंता जाहिर करते हुए कहा सड़क के किनारे व स्कूल की खाली जगह पर  पेड़ लगाने के साथ साथ15साल पुराने बणिज्य गाड़ियों को अन्य राज्यों के अनुभव का ध्यान रख कर  उनके अनुभव  लेने के लिए सुझाव दिया।शक्ति से   मानक लागू करने के लिए विभागों को निर्देश दिया है बैठक में मुख्य सचिव  उत्पल कुमार सिंह ने परिवहन, नगर निगम, उद्योग, निर्माण कार्य से जुड़े विभागों को निर्देश दिए कि दूषित वायु से आम जन को निजात दिलाने के लिए वे अपने -अपने विभागों की कार्य योजना के साथ आगामी बैठक में आए। उन्होंने विभागों द्वारा वायु प्रदूषण नियंत्रण के मध्यनजर अब तक किए गए प्रयासों की अद्यतन प्रगति के साथ बैठक में उपस्थित होने के निर्देश दिए।
मुख्य सचिव द्वारा देहरादून, ऋषिकेश तथा काशीपुर में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अपनाए जाने वाले उपायों को शामिल करते हुए सम्बन्धित विभागों को आगामी बैठक में ठोस कार्ययोजना सहित प्रतिभाग करने के निर्देश दिए।
इस क्रम में मुख्य सचिव द्वारा प्रबंध निदेशक परिवहन निगम को निर्देश दिए गए कि 15 वर्ष पुराने डीजल चलित वाणिज्यिक वाहनों को फेज ऑउट करने के सम्बन्ध में अन्य राज्यों के अनुभवों का भी अध्ययन किया जाए। उन्होंने वाणिज्यिक वाहनों हेतु सी0एन0जी0 एवं एल0पी0जी0 लागू करने, शत-प्रतिशत पी0यू0सी0 सार्टिफिकेट जारी करने, वाणिज्यिक वाहनों की निरंतर फिटनैस चेक करने आदि को भी भावी कार्ययोजना में शामिल करने के निर्देश एम.डी. परिवहन निगम तथा परिवहन आयुक्त को दिए।

एकओर जहाँ पेड़ लगाने वायु प्रदूषण में कमी आएगी वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संरक्षण का कार्य होंगे । तत्काल वायु प्रदूषण रोकने के उपाय से  बीमारी फैलने से लेकर जनता के मन में भय बना रहता है।उत्तराखंड में वायु प्रदूषण  सुधारने के लिए आदि काल से यज्ञ करने का विधान है।यज्ञ करने से जहाँ वातवरण सुद्ध होता है वहीं बीमारियों के कीटाणु नष्ट होजाते है। पत्र के संपादक के रूप में जीतमणि पैन्यूली

अपने अनुभव को साझा करते हुए सरकार एवं शासन से आग्रह करते हैं कि आज उत्तराखंड में कई प्रकार की बीमारीयों से जनता जूझ रही है।इस पर सरकार का करोड़ों रुपये खर्चा हो रहा है। जन सुरक्षा व्यवस्था सरकार का पहला कर्तव्य बनता है।इसके लिए उपाय करने के लिए

एक भाग जौ दो भाग तिल डेड भाग देशी घी या तिलों के तेल को अग्नि में डालने के   1:2:1.75 अनुपात में मिलाकर कार्य किया जाय।यह आदि काल से किया जाता है।इन तीनों शहरों में  यह कार्य   किया जासकता है।  किसी मैदान में उक्त अनुपात मेंं 15 x15x1फिट गहरा गड्डा बना कर 400 केे .जी. जौ 800 k .g .तिल 350k. g. घी या तिल का तेल60kg कपूर के मिश्रण को

3000kg लकड़ी में अग्नि प्रज्वलित कर  इसको धुंवे की शक्ल में धीरे धीरे लकड़ियों में जलाया जाय तो निश्चित ही प्रदूषण को रोकने का कार्य किया जासकता हैं।इसके लिए पहले  प्रदूषण के मानक को  नापा जा सकता है।इसके प्रयोग करने  से प्रदूषण में सुधार अवश्य होगा। यह जन हित में किया जाय ।इसके फायदे प्रदूूूषण कम होगा बीमारी के कीटाणु कम होंगे जनता के लिए राहत मिलेगी।फसलों पर लगने वाली बीमारी भी कम होगी।उत्तराखंड के इन तीनों शहर में  यह प्रयोग किया जाता है तो इसके लाभकारी प्रणाम मिलेंगें।

योगश पैन्यूली सह सम्पादक

 

 

Next Post

नए साल के जश्न के लिए उत्तराखण्ड पर्यटकों से गुलजार,होटल पैक

देहरादून। न्यू ईयर पर देहरादून शहर के साथ ही मसूरी, चकराता, ऋषिकेश और अन्य हिल स्टेशन भी पर्यटकों के स्वागत के लिए तैयार हैं। मसूरी और चकराता में सभी होटल फुल हो गए हैं। दून और ऋषिकेश में लगभग सभी बड़े होटल, रेस्टोरेंट और रिसॉर्ट में थर्टी फर्स्ट को जश्न […]

You May Like