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उत्तराखण्ड  में राजनीतिक भविष्य को लेकर कांग्रेस में चिंता बढ़ी

Pahado Ki Goonj

देहरादून। 2016 के हॉर्स-ट्रेडिंग केस में सीबीआई के हरीश रावत , हरक सिंह रावत और पत्रकार उमेश कुमार शर्मा पर सीबीआई के केस दर्ज करने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में उबाल आ गया है। खासतौर पर कांग्रेस में उथल-पुथल मच गई है। हरीश रावत जेल जाएंगे या नहीं, यह तो नैनीताल हाईकोर्ट तय करेगा पर उत्तराखंड में कांग्रेस का भविष्य क्या होगा, यह कांग्रेस नेताओं को ही तय करना है। हरीश रावत के सामने सीबीआई केस के रूप में बड़ी चुनौती है. 70 की उम्र पार कर चुके हरीश रावत के लिए राजनीति का यह दौर इतना भारी पड़ेगा इसका अंदाजा उन्हें शायद ही रहा हो. केस दर्ज होने के बाद अब उन पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। कांग्रेस की समस्या यह भी है कि नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश भी 75 के पार हो चुकी हैं। इन दो बातों ने कांग्रेस पार्टी के अंदर समीकरण बदल दिए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह इसे राजनीति और वक्त का तकाजा बता रहे हैं।राजनीति के हालात और वक्त का साथ फिलहाल भले ही प्रीतम के साथ हो लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय खुद को बदलते वक्त से दूर रखना चाहते हैं और हरदा को ही बड़ा नेता बता रहे हैं। राजनीति में न कोई दोस्त होता है और न ही दुश्मन. सब कुछ वक्त और हालात के हिसाब से तय होता है। लेकिन इंदिरा की उम्र और हरीश रावत पर आई आफत से प्रदेश कांग्रेस में बड़े बदलाव की सूरत जरूर नजर आ रही है।

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