कश्मीर। 10 सितंबर यानी आज से मोहर्रम को देखते हुए घाटी में कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। मोहर्रम पर विरोध प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है। इस महीने के पहले दस दिनों तक मुसलमान इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। इमाम हुसैन इस्लाम के आखिरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद के नवासे थे। साल 680 में इराक स्थित कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन और उनके समर्थकों की उस समय के शासक यजीद की सेना के खिलाफ जंग हुई थी। जिसमें इमाम हुसैन अपने साथियों समेत मारे गए थे। दुनिया भर के मुसलमान इस घटना की याद में मोहर्रम के महीने में मातम मनाते हैं और शोक जुलूस निकालते हैं। मोहर्रम पर जम्मू-कश्मीर में परंपरा रही है कि मोहर्रम की आठ, नौ और 10 तारीख को बड़े-बड़े जुलूस निकलते थे. लोग अपने हिसाब से मातम करते हैं। लेकिन प्रशासन ने पहले ही घर-घर जाकर कह दिया था कि धारा 144 लागू है और एक साथ चार लोगों का इकट्ठा होना मना है। रविवार को श्रीनगर के लाल चैक से एक जुलूस निकालने की कोशिश की गई थी लेकिन लोगों को भगा दिया गया।
मोहर्रम जुलूस के दौरान आज देहरादून में यातायात रहेगा डायवर्ट
Tue Sep 10 , 2019