उत्तराखंड। प्रबंधकीय सिद्धांतों के सिलेबस में अमूमन पढ़ाया जाता है कि किसी भी संस्थान की तरक्की के लिए उसके कर्मचारियों की आर्थिक व मानसिक स्थिति का बेहतर होना जरूरी होता है। इसी कार्यप्रणाली को अपनाती नज़र आ रही है श्री बद्रीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी)।
BKTC के अध्यक्ष अजेंद्र अजय के सार्थक प्रयासों से चार धामों के कपाट खुलने से पहले ही कर्मचारियों की वर्षों से लम्बित वेतन वृद्धि की मांग पूरी हो गयी है। लगभग 150 अस्थायी कर्मियों की पिछले कुछ सालों से लटकी वेतन वृद्धि के मामले में चली पत्रावली का 24 से 48 घंटे के भीतर निस्तारित होकर आदेश जारी होना, सरकारी प्रक्रिया में किसी अचरज से कम नहीं है। आपको बतादें कि जुलाई वर्ष 2010 में मुझे अखबार के काम से गोपेश्वर जाना था रात्रि विश्राम मंदिर समिति के धर्म शाला चमोली में हुआ सुबह स्नान ध्यान करने के बाद मेरे कान पर सुनाई दिया कि अब बद्रीनाथ धाम में जाओ।जेब मे 700 रुपये थे बद्रीनाथ धाम पहुंचे वहाँ घर से रुपये मंगाए काफी दिन रहने के बाद मैंने सोचा भगवान जी ने हमे किस लिए बुलाया मन मे तरह तरह के ख्याल आया करते।आखिर मंदिर में भगवान के दर्शन करने से ऐसा लगा कि भगवान कुछ कहना चाहते हैं कि यहाँ की व्यबस्था पर काम किजयेगा। फिर दिमाग में आया कि पत्रकार के नाते भगवान जी ने यहाँ की कमियों को सुधारने के लिए प्रकाशित करने के लिए कहा है।प्रवेश डंडरियाल वहां पर मुखकार्याधिकारी थे ।उनसे मैंने कर्मचारियों को कम वेतन देने के लिए सुधारने की बात प्रकाशित किया उसके फल स्वरूप वहां की व्यबस्था में सुधारने का काम बीडी सिंह मुखकार्याधिकारी के कार्यकाल में हुआ। और गति मान है।पहाडोंकीगूँज ने भी भगवान की सेवा करने एंव मंदिर की आय बढ़ाने के लिए कोई कोर कसर नही छोड़ी हैं।जिसके चलते उस समय 9 करोड़ रुपए का लेखा जोखा रहा जो आज 50 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है।यह परिणाम आज बोर्ड़ में काम करने की इच्छा शक्ति बढ़ाने वाला व्यक्तित्व का मार्गदर्शन है।
अमूमन सभी लोग इस कड़वी सच्चाई से रूबरू होंगे कि सरकारी कार्यप्रणाली में किसी भी फाइल को अंजाम तक पहुंचने में लंबा समय लगना तय है। मगर अजेंद्र अजय का अध्यक्ष पद संभालने के बाद से ही BKTC की प्रबंधकीय प्रणाली में बहुत परिवर्तन नज़र आने लगा है। इसकी यह एक बानगी है।
सूत्रों के अनुसार जैसे ही अजेंद्र के संज्ञान में आया कि BKTC में स्थिर वेतन पर कार्यरत अस्थाई कर्मचारियों की पिछले कुछ वर्षों से नियमित अंतराल पर होने वाली वेतन वृद्धि लंबित पड़ी हुई है। देवस्थानम बोर्ड का गठन होने और कोविड काल के कारण इन कर्मचारियों की वेतन वृद्धि को लेकर कोई निर्णय नहीं हो पाया था।
अजेंद्र ने तुरंत BKTC के अधीन श्री केदारनाथ अधिष्ठान व श्री बदरीनाथ अधिष्ठान से कार्मिकों की सूची, उनको देय वेतन और अतिरिक्त व्यय भार को लेकर रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट के प्राप्त होते ही उन्होंने मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह से चर्चा की और उसी दिन उनके सामने फाइल तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
इस पर BKTC के दोनों अधिष्ठानों से एक ही दिन में फाइल तैयार कर ऑनलाइन माध्यम से अध्यक्ष के अनुमोदन के लिए भेजी गई। अध्यक्ष ने उसी दिन फाइल को अनुमोदित कर आदेश जारी करने के निर्देश दे दिए। अध्यक्ष के हस्ताक्षर होने के बाद दोनों अधिष्ठानों ने अगली सुबह तक लगभग डेढ़ सौ अस्थिर वेतन कार्मिकों की वेतन वृद्धि के लिखित आदेश जारी कर दिए।
गौरतलब है कि आगामी मई प्रथम सप्ताह में श्री बद्रीनाथ व श्री केदारनाथ के कपाट खुल रहे हैं। इस वर्ष श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए यात्रा का जबरदस्त दबाब BKTC पर पड़ने वाला है। लिहाजा, अजेंद्र ने तय किया कि कर्मचारियों की इस अहम समस्या को युद्धस्तर पर निपटाया जाए। इस निर्णय के बाद BKTC के कर्मचारियों में खुशी की लहर है। कर्मचारी BKTC अध्यक्ष का आभार जता रहे हैं।
BKTC अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने के बाद से अजेंद्र लगातार कई बड़े निर्णय लेने में लगे हुए हैं। BKTC के स्थाई कार्मिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गोल्डन कार्ड बनाने के लिए उन्होंने बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित किया और उसे तत्काल राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को भिजवाया। प्राधिकरण के मुख्य कार्याधिकारी से बात कर उन्होंने जल्दी से कर्मचारियों के गोल्डन कार्ड बनाने को कहा। उम्मीद है कि जल्दी ही BKTC के स्थाई कार्मिकों को भी अन्य सरकारी कार्मिकों की तरह गोल्डन कार्ड का लाभ हासिल होगा।
अजेंद्र BKTC को प्रोफेशनल रूप देने की कोशिशों में लगे हुए हैं। कुछ माह पूर्व उन्होंने BKTC के विश्राम गृहों के प्रबंधकों और मंदिरों में फ्रंट लाइन वर्कर की भूमिका में रहने वाले कर्मचारियों के लिए तीन दिन का रिफ्रेशर कोर्स करवाया। यह कोर्स गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के पर्यटन व आतिथ्य विभाग में कराया गया, जिसमें कर्मचारियों को विशेषज्ञों द्वारा प्रोफेशनल अंदाज में कार्य करने और अतिथि सत्कार के गुर सिखाए गए।