देहरादून। पंचायतीराज विभाग द्वारा हटाये गये आउटसोर्स कर्मी पुनः धरने पर बैठ गये है।
उल्लेखनीय है कि अपनी मंागों को लेकर पंचायतीराज विभाग द्वारा हटाये गये कर्मचारी 95 दिनों से धरना दे रहे थे। उनके आंदोलन को देखते हुए मुख्यमंत्री के ओएसडी द्वारा मंागों पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन उसके बावजूद आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।
पंचायती राज कर्मचारियों का कहना था कि सीएम के ओएसडी द्वारा कर्मियों को झूठा आश्वासन दे कर उनका धरना समाप्त करवाया गया। उनसे कहा गया कि पंचायतीराज से निकाले गये कर्मचारियों की बहाली एक हफ्ते के अन्दर कर दी जाएगी। लेकिन एक माह बाद भी उनकी बहाली को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
सरकार की ओर मिले झूठे अश्वासन के विरोध में कर्मचारियों ने आज भी फिर धरना प्रारंभ कर दिया है। कर्मियों का कहना है कि अगर सरकार उनकी बहाली जल्दी नहीं करेगी तो वे सभी लोग जल्दी ही सचिवालय और निदेशालय का घेराव करेंगे। धरने पर आशुतोष सती, मोहनपाल, धीरेंद्र चैहान, ललित चमोली, राजपाल, पुष्पा सकलानी, पूजा, मनीषा तथा मनोज बैठे।
वहीं दूसरी ओर आउटसोर्स कर्मियों को उत्तराखण्ड क्रांति दल ने समर्थन दिया है। पिछले चार दिन से दून अस्पताल में धरने पर बैठे कोरोना वॉरियर्स स्वास्थ्य कर्मियों को उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं ने अपना समर्थन पत्र भी सौंपा।
उत्तराखंड क्रांति दल के नेता शिव प्रसाद सेमवाल ने आंदोलनकारी स्वास्थ्य कर्मियों को संबोधित करते हुए शासन प्रशासन से उनके नौकरी को नियमित किए जाने के बारे में मांग की है। कहा कि सरकार आंदोलनरत कर्मचारियों को एककृदो माह का एक्सटेसन देकर आउटसोर्स कर्मचारियों के आंदोलन को तोड़ने का षड्यंत्र कर रही है। इसलिए यह मांग नहीं मानी जाएगी।
उत्तराखंड क्रांति दल की युवा मोर्चा की जिला अध्यक्ष सीमा रावत ने आंदोलनकारी स्वास्थ्य कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल पूरी तरह से उनके आंदोलन के साथ है तथा समान कार्य समान वेतन का पुरजोर समर्थन करता है। कहा कि यदि सरकार जल्दी ही इनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है तो सड़कों पर उतर कर आंदोलन किया जाएगा।
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पलायन आयोग का गठन मात्र एक शिगूफाः दिवाकर भट्ट
देहरादून। उत्तराखण्ड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने कहा कि राज्य का युवा हताश है। राज्य के बने इन 20 वर्षो में भाजपा और कांग्रेस ने राज्य की बदहाली के सिवाय कुछ नहीं किया। राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य का स्तर गिरा है। रोजगार व सुनियोजित विकास न होने के कारण राज्य का पलायन कई गुना बढ़ गया।
आज केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए दिवाकर भट्ट ने कहा कि सरकार व सरकार के मुखिया केवल घोषणाओं तक सीमित हैं। युवाओं के भविष्य के चिंतित नहीं है। पलायन रोकने के लिये एक पलायन आयोग बनाकर शिगूफा फेंका है। स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने गांव में मकान बनाने की जगह गैरसैंण में बनाने का उदाहरण देकर क्या जताना चाहते हंै।
भट्ट ने कहा कि उक्रांद पूर्व से ही बड़े बांधों के खिलाफ रहा है। साथ ही पर्वतीय क्षेत्र में योजनाओं को बनाने व निर्माण में पर्यावरण का ध्यान नहीं रखा गया। आज इसी का नतीजा है कि चमोली रेणी की आपदा से स्पष्ट है कि उत्तराखंड में विकास कार्यों में हुई लापरवाही से ज्यादा नुकसान हुआ। केदारनाथ आपदा से सरकारें नही चेती।
उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार अब सरकारी संस्थाओं को निजीकरण की ओर ले जा रही है। सरकार पूंजीपतियों के हवाले हो चुकी है। कोरोना से जिन लोगो का रोजगार छीना उनको रोजगार के नाम पर सरकार घोषणाओं तक सीमित है। उपनल कर्मचारी हड़ताल पर है। दल पूर्व में ही उपनल व पीआरडी कर्मचारियों के साथ खड़ी है। सरकार उनकी मांगों पर अविलंब सकारात्मक कदम उठाते हुये हल निकाले।
उन्होंने बताया कि उक्रांद की 27 व 28 फरवरी को हल्द्वानी में केंद्रीय कार्यसमिति के बैठक सुनिश्चित हुई है। कार्यसमिति की बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव लेकर ठोस रणनीतियों पर चर्चा की जानी है। प्रेस वार्ता में लताफत हुसैन, जय प्रकाश उपाध्याय, सुनील ध्यानी, धर्मेंद्र कठैत, देवेंद्र चमोली, अशोक नेगी, डॉ वीरेंद्र रावत, राजेन्द्र प्रधान,दीपक मधवाल आदि थे।
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विकास के काम धन की कमी नहीं होने दी जाएगीः अग्रवाल
ऋषिकेश। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने विधायक निधि से 3 लाख 70 हजार रुपये की लागत से आईडीपीएल कॉलोनी में स्थित काली मंदिर की चार दिवारी का आज पूजा अर्चना के बाद विधिवत लोकार्पण किया ।
इस अवसर पर अग्रवाल ने कहा कि ऋषिकेश विधानसभा के प्रत्येक क्षेत्र में विकास के कार्य संचालित किए जा रहे हैं। अग्रवाल ने कहा है कि विकास के कामों के लिए धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। कहा है कि आईडीपीएल में अनेक मोटर मार्गों का डामरीकरण, पेयजल आपूर्ति, आदि तमाम कार्य संचालित किए गए हैं। जिसका लाभ स्थानीय जनता को मिल रहा है।
अग्रवाल ने कहा है कि काली मंदिर में चारदीवारी की स्थानीय लोगों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही थी जिसको विधायक निधि से पूरा किया गया है। उन्होंने कहा है कि इस स्थान पर सार्वजनिक कार्यक्रम संचालित करने के लिए किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। अग्रवाल ने कहा है कि आईडीपीएल के अंदर विकास कार्य कराने में आईडीपीएल प्रशासन व्यवधान उत्पन्न करता है। जिससे विकास का कार्य प्रभावित होते है। विकास अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है जिसे समय के साथ साथ पूरा किया जाता है।
कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी वीरभद्र मंडल के अध्यक्ष अरविंद चैधरी, पार्षद लक्ष्मी रावत, पार्षद शौकत अली, रमेश चंद शर्मा, रविंद्र कश्यप, रजनी बिष्ट, महिपाल त्यागी, राजकुमार भारती, डॉ सुधीर मलिक, ओम प्रकाश चैधरी, रमेश चंद श्रीवास्तव, सुनील कुमार, आरती दुबे, माया धुले, सुनीता भंडारी, माया रस्तोगी, गौरव रस्तोगी, तिलक शर्मा आदि सहित अनेक लोग उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन पार्षद सुंदरी कंडवाल ने किया ।
उत्पीड़न मामला, कांग्रेस ने संस्कृति सचिव के खिलाफ की कार्रवाई की मांग
देहरादून। उत्तराखंड में कार्यरत महिला निदेशक ने अपने विभागीय सचिव पर चारित्रिक व मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं।महिला निदेशक ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी को चार पेज का एक पत्र भी लिखा है। जिसके बाद कांग्रेस पार्टी ने भी अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से विभागीय सचिव के खिलाफ उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
कांग्रेस पार्टी की एआईसीसी सदस्य और पूर्व प्रदेश प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि जिस तरह से महिला निदेशक ने अपने ही विभाग के सचिव के ऊपर मानसिक उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, और इस मामले में एक शिकायती पत्र राधा रतूड़ी को सौंपा है। उसे देखकर यही लगता है कि भले ही आज देश के अंदर आधी आबादी महिलाओं की है, लेकिन महिलाओं के लिए आज भी अपने कार्य क्षेत्र में काम करना दुश्वार होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि अक्सर ऐसी अभद्र टिप्पणी महिलाओं को अपने कार्य क्षेत्र में सुनने को मिल जाती हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगी। एक निदेशक पर टिप्पणी नहीं की गई है बल्कि समूची मातृशक्ति इससे आहत हुई है।दरअसल संस्कृति विभाग की निदेशक बीना भट्ट ने प्रभारी सचिव दिलीप जावलकर पर चारित्रिक व मानसिक उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सचिव ने उत्पीड़न की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। महिला निदेशक ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी को भी पत्र लिखा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने भी महिला निदेशक का समर्थन करते हुए राधा रतूड़ी से आग्रह किया है कि निदेशक की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए दोषी अधिकारी के खिलाफ कारवाई की जाए।
प्वाइंट टू प्वाइंट हेली सेवाओं को केंद्र से मंजूरी
देहरादून। उत्तराखंड राज्य में एक स्थान से दूसरे स्थान तक यानी प्वाइंट टू प्वाइंट हेली सेवाओं को संचालित करने के साथ ही कुछ मार्गों को कम करने के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। ऐसे में प्वाइंट टू प्वाइंट हेली सेवाएं शुरू होने से न सिर्फ यात्रियों को कम किराया पड़ेगा, बल्कि समय की भी बचत होगी। यही नहीं, केंद्र सरकार ने देहरादून-पिथौरागढ़ के बीच हवाई सेवा शुरू होने के बाद अब इससे अतिरिक्त 14 अन्य स्थानों से हेली सेवाओं को शुरू करने की भी अनुमति दे दी है। देहरादून-पिथौरागढ़ के बीच हवाई सेवा के अतिरिक्त अन्य स्थानों से हेली सेवाओं के मार्ग में राज्य सरकार बदलाव करना चाहती है, जिसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। राज्य सरकार ने मांग की है कि अल्मोड़ा-हल्द्वानी-पंतनगर हवाई मार्ग को जौलीग्रांट-हल्द्वानी-पंतनगर-जौ
इसी तरह जौलीग्रांट-न्यू टिहरी-श्रीनगर-गौचर हवाई मार्ग के स्थान पर जौलीग्रांट से न्यू टिहरी, जौलीग्रांट से श्रीनगर और जौलीग्रांट से गौचर तक हेली सेवाएं संचालित करने की अनुमति मांगी है।
इसके अतिरिक्त, देहरादून-रामनगर-पंतनगर-नैनीता
पर्याप्त बारिश और बर्फबारी न होने से बढ़ने लगा तापमान
देहरादून। केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से हिमालय धीरे-धीरे बर्फ विहीन होता जा रहा है। जबकि निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से फरवरी माह में ही तापमान में वृद्धि होने लग गयी है। बर्फबारी और बारिश न होने से काश्तकारों की फसलों को खासा नुकसान हो रहा है। आने वाले दिनों में बारिश नहीं होती है तो मई व जून माह में भारी पेयजल संकट गहरा सकता है अैर तापमान का पारा अधिक चढ़ने से मनुष्य की दिनचर्या खासी प्रभावित हो जाएगी।
स्थानीय लोग फरवरी माह में ही तापमान में वृद्धि होना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं माने जा रहे हैं. आने वाले दिनों में यदि हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश नहीं होती है तो मई व जून में भारी पेयजल संकट गहराने से लोगों को दो बूंद के लिए तरसना पड़ सकता है। गर्मियों में मौसम का पारा अत्यधिक चढ़ने से मानव का जीना मुश्किल हो सकता है। व्यापार संघ चोपता के अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठाणी ने कहा कि दो दशक पूर्व अप्रैल महीने तक तुंगनाथ घाटी बर्फबारी से लकदक रहती थी, मगर इस वर्ष मौसम के अनुकूल बर्फबारी न होने से तुंगनाथ घाटी का पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हुआ है।
जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा ने बताया कि इस बार फरवरी माह में ही तापमान में वृद्धि होने लगी है, जो भविष्य के लिए शुभसंकेत नहीं हैं। मदमहेश्वर घाटी मंच अध्यक्ष मदन भट्ट का कहना है कि मानव द्वारा निरन्तर प्रकृति का दोहन करने के कारण लगातार ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ती जा रही है। आचार्य हर्ष जमलोकी ने कहा कि फरवरी माह में पृथ्वी का तापमान बढ़ने के पीछे कहीं ना कहीं मनुष्य जिम्मेदार है। वहीं आने वाले भविष्य में यदि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ बंद नहीं कि गई तो भविष्य में इसके बुरे परिणाम भुगतने होंगे।
बैरागी अखाड़ों के संतों ने लगाया सरकार पर फैसले थोपने का आरोप
हरिद्वार। कुंभ मेला शुरू होने में अब कुछ ही समय शेष बचा है, मगर उससे पहले हरिद्वार में बैरागी अखाड़ों की नाराजगी दूर होती दिखाई नहीं दे रही है। इसी कड़ी में की नाराजगी दूर करने के लिये हरिद्वार पहुंचे अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी ने संतों से बंद कमरे में कई घंटे तक वार्ता की। इस दौरान बैरागी अखाड़ों के संतों ने कुंभ मेले के कार्यों को लेकर अपनी नाराजगी दर्ज कराई। इस मुलाकात में बैरागी अखाड़ों के श्री महंत और संतों ने कुंभ मेले के कार्य बैरागी कैंप में न होने पर अपनी नाराजगी दर्ज कराई। पंच निर्मोही अणि अखाड़े के श्री महंत राजेंद्र दास का कहना है कि हम चाहते हैं हरिद्वार का कुंभ भव्य और दिव्य हो. अभी तक कुंभ मेला प्रशासन द्वारा बैरागी अखाड़ों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है, इसको लेकर अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि से चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री से भी अनुरोध है कि प्रयागराज और वृंदावन की तर्ज पर ही कुंभ मेले को कराया जाए।
वहीं, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहना है कि बैरागी अखाड़े के श्री महंत और संतों की मांग सही भी है, क्योंकि बैरागी अखाड़ों में टेंट, बिजली, पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। सरकार से इस बारे में बातचीत की जाएगी और कहा जाएगा कि 13 अखाड़ों को जो भी व्यवस्था दी जाती है, वह सभी अखाड़ों को दी जाए। नरेंद्र गिरी ने कहा कि अभी तक हुए सरकार के कार्यों से संत संतुष्ट नहीं है, क्योंकि कुंभ मेले को लेकर बैरागी अखाड़ों के साधु संतों में असमंजस है।
वहीं, राज्य सरकार पर शाही स्नान और कुंभ की अवधि घटाए जाने को लेकर भी महंत नरेंद्र गिरि ने नाराजगी जताई और कहा कि इस फैसले में अखाड़ा परिषद को विश्वास में नहीं लिया गया, इसलिये उसको मानने के लिए हम तैयार नहीं है। उनका कहना है कि कुंभ मेले के शाही स्नान की घोषणा मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा की गई थी। उसमें कुंभ के चार स्नान की घोषणा की गई थी। यह बैठक कोरोना महामारी के वक्त हुई थी। मगर अब मुख्य सचिव द्वारा कहा जा रहा है कि दो ही शाही स्नान किए जाएंगे। इसको लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से सरकार ने कोई वार्ता नहीं की है।
संतों ने सरकार को आश्वासन दिया गया था कि कोरोना महामारी को देखते हुए कुंभ का आयोजन किया जाएगा। मगर प्रयागराज का कुंभ हो गया, वृंदावन में मेला चल रहा है। वहां कोरोना को लेकर कोई दिक्कत नहीं हुई, मगर हरिद्वार में सरकार अपनी कमियां छुपाने के लिए कोरोना का बहाना कर रही है। उनका कहना है कि कुंभ मेले को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और शासन द्वारा निर्णय लिया जाता है।मगर उत्तराखंड सरकार अपने आप ही निर्णय ले रही है और उन फैसलों को हमारे ऊपर थोप रही है।
उचित दाम न मिलने पर किसान सब्जियां फेकने को मजबूर
हरिद्वार। कमरतोड़ महंगाई और पेट्रोलियम पदार्थों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इसके बाद भी हाड़तोड़ मेहनत करके फसलें उगाने वाला किसान परेशान है। मंडी में पहुंचकर किसानों को उसकी सब्जी का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। किसानों को मुनाफा तो दूर खाद, बीज और मंडी लाने का भाड़ा तक नहीं निकल रहा है। हताश किसान मंडी में ही सब्जियां फेंकने को मजबूर हैं। जबकि कई किसानों ने मंडी के बजाय ट्रैक्टर ट्राली में सब्जियां लादकर फेरी लगाना शुरू कर दिया है। वहीं भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के आह्वान पर और उपज का पूरा मूल्य नहीं मिलने से दुखी जसपुर के किसान ने अपने खेत में खड़ी गोभी की फसल पर ट्रैक्टर चला दिया। फरवरी में लोकल सब्जियों की खूब आवक होती है। शादियों का सीजन नहीं है। इसलिए भी बाजार में सब्जियों की खपत कम है। आवक अधिक और खपत कम होने का असर काश्तकारों पर पड़ रहा है। काश्तकारों को कई सब्जियों के वाजिब दाम तक नहीं मिल रहे हैं। मंडी में बिचैलिये मनमाने दामों में खरीद रहे हैं। लागत तक नहीं निकलने से टमाटर, बैगन, धनिया, पालक, फूल और पत्ता गोभी को मंडी में ही फेंक रहे हैं। ज्वालापुर स्थित मंडी से किसानों की फेंकी सब्जियों को कई पशुपालक बटोरकर मवेशियों के लिए ले जा रहे हैं।
गढ़मीरपुर निवासी काश्तकार किशन पाल ने बताया कि डीजल और पेट्रोल के दामों बढ़ने से भाड़ा भी बढ़ गया है। किसान को उसकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा है। धनौरी के काश्तकार जगदीप सिंह ट्रैक्टर ट्राली में आलू बेचते हुए दिखे। उन्होंने बताया कि 40 किलो का कट्टा 250 रुपये बेचना पड़ रहा है। जबकि मंडी में 4 रुपये किलो के खरीदार नहीं है। आलू फुटकर बाजार में दस रुपये किलो बिक रहा है। मंडी में भाव नहीं मिलने से खुले बाजार में आलू बेचने को मजबूर हैं। जगदीप सिंह बताते हैं उसकी तरह गांव के कई काश्तकार मंडी के बाजाए बाजार में आलू-मटर और अन्य सब्जियां बेच रहे हैं।
कैबिनेट फैसलाः मुख्यमंत्री घसियारी योजना और वन भूमि नवीनीकरण को मंजूरी
देहरादून। मुख्यमंत्री आवास में कैबिनेट की महत्वपूर्ण बैठक सुबह करीब 10 बजे शुरू हुई। बजट सत्र से पहले होने वाली इस कैबिनेट बैठक में सत्र से जुड़े 7 महत्वपूर्ण फैसलों पर निर्णय लिया गया। वहीं, आज की कैबिनेट बैठक में सरकार द्वारा आगामी चुनावी माहौल को देखते हुए बड़े फैसले भी लिए गए हैं। बता दें कि 1 मार्च से गैरसैंण में विधानसभा सत्र होना है। जिसमें कई विधेयक और अध्यादेश लाए जाएंगे। मुख्यमंत्री घसियारी योजना को मंजूरी दे दी है। उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में काम करने वाली महिलाओं के स्वाबलंबन का उद्देश्य है। वन भूमि नवीनीकरण को मंजूरी, लीज की भूमि को अगले 30 सालों के लिए बढ़ाया गया है। साथ ही लीज के मूल्यों में भी बदलाव किया गया है। कोविड-19 के तहत बनाए जा रहे हैं 600 बेड के अस्पताल में 50 आईसीयू बेड की मंजूरी दे दी गयी है।.संस्कृत शिक्षा विभाग के अंतर्गत अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में काम करने वाले 57 अशासकीय शिक्षकों को उन्हीं के सापेक्ष पदों पर किया गया। नियुक्त.उत्तराखंड कृषि उपज और राज्य पशुधन विपणन अधिनियम में संशोधन. मंडी परिषद में अध्यक्ष पद पर केवल एक बार नॉमिनेट किया जाएगा। जल जीवन मिशन अभियान के अंतर्गत संरचनात्मक ढांचे में 2 अतिरिक्त पद अपर परियोजना निदेशक और अधीक्षण अभियंता पदों को मिली स्वीकृति.उत्तराखंड पुलिस अधीनस्थ दूरसंचार सेवा नियमावली में संशोधन किया गया है।
पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ौतरी के बाद अब लोगों का रूझान सीएनजी की ओर
देहरादून। पेट्रोल डीजल के दामों में हो रही बेतहाशा वृद्धि के चलते अब लोगों के घरों का बजट बिगड़ने लगा है। ऐसे में राजधानी देहरादून में भी लोगों ने अपने वाहनों में सीएनजी किट लगवाना शुरू कर दिया है।
राजधानी में इस वक्त पेट्रोल के दाम 89.70 रुपए तक है। जबकि सीएनजी का रेट प्रति किलो 59.50 रुपए चल रहा है। ऐसे में लोग अपने वाहन में सीएनजी किट लगवाने को बेहतर विकल्प मान रहे हैं। राजधानी देहरादून में सीएनजी किट के एक मात्र डीलर राहुल रावत बताते हैं कि पिछले 2 माह से प्रतिदिन वह दो से तीन निजी वाहनों में सीएनजी किट लगा रहे हैं। जबकि पहले निजी वाहन स्वामियों की तुलना में ज्यादा व्यवसायिक वाहन स्वामी सीएनजी किट लगाने के लिए पहुंचा करते थे।
सीएनजी किट डीलर राहुल बताते हैं कि लोगों को सीएनजी किट लगाने के कई फायदे हैं। एक तो सीएनजी पेट्रोल से काफी किफायती है। वहीं, दूसरी तरफ इसका कोई अधिक मेंटेनेंस भी नहीं है। सीएनजी किट लगे हुए वाहनों में मौजूद सिलेंडर को हर 3 साल में सर्विसिंग की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा इसमें और कोई मेंटेनेंस की आवश्यकता नहीं पड़ती, सामान्य तौर पर 25 से 30 हजार के खर्च पर सीएनजी किट एक वाहन में लग जाती है। लेकिन यह दाम वाहन के अनुसार बदलते रहते हैं।
सीएनजी ( कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) नेचुरल गैस को कंप्रेस्ड कर तैयार की जाती है। वहीं, यह पेट्रोल-डीजल के मुकाबले सस्ती होने के साथ ही काफी हद तक पर्यावरण फ्रेंडली भी होती है। यानी कि वाहनों में इसके इस्तेमाल से पेट्रोल-डीजल की तुलना में पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचता है। यही कारण है कि सरकार भी पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वाहनों में सीएनडी ईधन के इस्तमाल को बढ़ावा दे रही है। गेल गैस लिमिटेड की ओर से जनपद देहरादून में सीएनजी (कंप्रेस्ड नेचुरल गैस) फिलिंग स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं। अगले 8 सालों में गेल गैस लिमिटेड की ओर से जनपद देहरादून में कुछ 50 सीएनजी फिलिंग स्टेशन स्थापित जिए जाएंगे। जिसमें से 4 सीएनजी फिलिंग स्टेशन शुरू भी हो चुके हैं।
आईरिस रिकॉग्निशन के आधार पर एंट्री देने की तैयारी
देहरादून। लोक सेवा आयोग परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्रों में अब आईरिस रिकॉग्निशन के आधार पर एंट्री देने की तैयारी कर रहा है। अब तक परीक्षार्थी परीक्षा केंद्रों में बायोमेट्रिक हाजिरी के माध्यम से प्रवेश करते थे तो वहीं कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए अब ये फैसला लिया गया है।
दरअसल, बायोमेट्रिक हाजिरी में इस बात का खतरा बना रहता है कि इससे कोरोना संक्रमण अन्य परीक्षार्थियों पर न फैल जाए। लिहाजा आयोग ने फेस रिकॉग्निशन और आईरिस रिकॉग्निशन की व्यवस्था लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए टेंडर भी आमंत्रित किए गए हैं। ऐसे में जिस कंपनी का भी चयन किया जाता है व कंपनी अगले 3 सालों तक परीक्षा केंद्रों में फेस रिकॉग्निशन और आईरिस रिकॉग्निशन की व्यवस्था करेगी। बायोमेट्रिक की तुलना में फेस रिकॉग्निशन और आईरिस रिकॉग्निशन ज्यादा सुरक्षित भी है। अक्सर ऐसा देखने में आया है एक व्यक्ति अंगूठे का फर्जी निशान बायोमेट्रिक मशीन लगाकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश कर जाता है। लेकिन फेस रिकॉग्निशन और आईरिस रिकॉग्निशन में इस तरह का कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया जा सकता। वैज्ञानिक दृष्टि से एक व्यक्ति की आंख की पुतली किसी अन्य व्यक्ति की आंख की पुतली से मेल नहीं खा सकती। वहीं न ही इसका कोई डुप्लीकेट बनाया जा सकता है।
आम आदमी को झटकाः घरेलू सिलेंडर हुआ ₹25 रुपये महंगा
देहरादून। महंगाई की मार से पहले ही परेशान चल रही आम जनता को महंगाई का एक और बड़ा झटका लगा है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन की ओर से घरेलू गैस सिलेंडरों के दामों में बुधवार देर रात से 25 रुपए की बढ़ोतरी कर दी गई है। वहीं कमर्शियल गैस सिलेंडर के दामों में जनता को मामूली राहत देते हुए 5 रुपए घटाए गए हैं।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के सेल्स मैनेजर सुधीर कश्यप ने बताया कि अबतक प्रदेश में घरेलू गैस सिलिंडर 788 रुपए पर उपभोक्ताओं को मिल रहा था लेकिन बुधवार देर रात को घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में 25 रुपए की बढ़ोतरी कर दी गई है। जिसके बाद अब घरेलू गैस सिलिंडर 813.50 पैसे का हो चुका है। वहीं, दूसरी तरफ कमर्शियल गैस सिलेंडर के दामों में 5 रुपए की कटौती की गई है, जिसके बाद अब तक 1556 रुपए का मिलने वाला कमर्शियल गैस सिलेंडर अब 1551 रुपए का हो चुका है।
गौर हो कि आम जनता पर लगातार महंगाई की मार पड़ रही है। इससे पहले फरवरी माह की शुरुआत में ही घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में 50 रुपए की बढ़ोतरी की गई थी। फरवरी माह के खत्म होने से पहले ही अब एक बार फिर घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 25 रुपए बढ़ा दिए गए हैं। इस तरह घरेलू रसोई गैस उपभोक्ताओं को एक माह के अंदर ही घरेलू गैस सिलेंडर पर 75 रुपए का महंगाई का झटका लग चुका है।