भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के प्रयासों के बीच दोनों देशों के बीच मनोवैज्ञानिक और धारणा की जंग चल रही है। चीन ने भारत के खिलाफ धारणा बनाने के लिए ग्लोबल टाइम्स के अलावा सोशल मीडिया को हथियार बनाया है। बाहरी देशों के सर्वर से भारत विरोधी प्रचार और चीन के समर्थन को हवा दी जा रही है। चीन के खिलाफ बनती धारणा को रोकने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों पर दबाव भी बनाया जा रहा है। उधर भारत में भी एजेंसियों ने छद्म धारणा के खिलाफ सतर्कता की रणनीति अपनाई है। कई स्तरों पर गैर सरकारी तरीके से भी चीन की कोशिशों को जवाब दिया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा चीन की हमेशा से आक्रामक रणनीति रही है। वह कई मोर्चे एक साथ खोलता है। डोकलाम के वक्त भी चीन ने यही किया था। इस बार भी ग्लोबल टाइम्स ने लगातार भारत विरोधी प्रलाप किया। चीन की ताक़त प्रदर्शित करने के लिए वीडियो जारी किये। भारत को पड़ोसियों के प्रति अच्छा व्यवहार न रखने वाले देश के रूप में प्रचारित करने के लिए सोशल मीडिया मुहिम का सहारा लिया गया। इधर, भारत मे स्वाभाविक तौर पर चीन के प्रति लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर लगातार नजर आ रहा है। चीनी कंपनियों के खिलाफ आक्रोश को जनप्रतिनिधियों ने भी गैर सरकारी तरीके से आगे बढ़ाया है।
सूत्रों ने कहा, भारत अब चीन की व्यापारिक वर्चस्व के लिए धारणा बनाने की कोशिश कामयाब नही होने देगा। दुनिया के कई देश जो पहले चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते के लिहाज से ज्यादा करीब थे, अब भारत की ओर उन्मुख हुए हैं। ऐसे में भारत की ओर से भी ब्रांडिंग की कोशिश विभिन्न स्तरों पर होना तय है। इसलिए पर्दे के पीछे वर्चस्व की जंग आने वाले दिनों में ज्यादा तेज हो सकती है।