सीएम साहब, एक अध्यादेश पहाड़ के दुकानदारों और भवन स्वामियों के लिए भी लाईये
चारधाम रोड चौड़ीकरण ने सैकड़ों व्यवसायियों को कर दिया दर-ब-दर
2013 की आपदा क्या कम थी जो आप इन व्यापारियों को ले डूबे
देहरादून में मलिन बस्तियों के लिए त्रिवेंद्र सरकायेर अध्यादेश ले आयी। मलिन बस्तियां अवैध रूप से सरकारी जमीनों पर थी और इसमें सरकारी एजेंसी, नेता, दलाल और अफसर सब शामिल थे। सीएम साहब, आपने वोट बैंक के लिए मलिन बस्तियों से अतिक्रमण हटाने के खिलाफ अध्यादेश ले आए, लेकिन आप पहाड़ के लिए एक भी अध्यादेश नहीं लाए। आपने सड़क चौड़ीकरण के नाम पर पहाड़ के हजारों पेड़ों की बलि ले ली। हजारों पेड़ मलबे के नीचे दब गये, जिनका कोई हिसाब नहीं है। सड़कों के चौड़ीकरण के नाम पर जिन दुकानदारों ने पहाड़ को जिन्दा रखा। छोटा सा व्यवसाय चला कर ग्रामीणों की रोजमर्रा की वस्तुओं की आपूर्ति करते थे, उन पर आल वेदर रोड की गाज गिर गयी।
रुद्रप्रयाग के अधिकांश व्यवसायी केदारनाथ आपदा से भी नहीं उबर पाये थे कि आपने आल वेदर के नाम पर उनकी आंखों से सूखते आंसुओं के सैलाब को दोबारा लाने का काम कर दिया। सड़कों के किनारे बनी दुकानों का न तो मुआवजा ही मिल रहा है और न ही दोबारा बसाने की कवायद की जा रही है। ऐसे सैकड़ों दुकानदार और भवनस्वामी हैं जो सड़क किनारे छोटी सी दुकान चला रहे थे और उनके पास कागजात भी नहीं है। आल वेदर रोड के नाम पर उनकी दुकानों पर जेसीबी चल गयी और उनकी कोई सुध नहीं ले रहा है। सरकार की सहानुभूति भी उनके साथ नहीं है। क्योंकि सरकार को इनसे कोई ख़तरा नज़र नहीं आता। मलिन बस्तियों से सरकार को ख़तरा महसूस हुआ तो अध्यादेश आने में देर नहीं लगी।
नेताओं का यहां से पलायन हो चुका है। सीएम साहब आप भी सतपुली से डोईवाला पहुंच गये हैं, लेकिन यदि सतपुली में ही अतिक्रमण अभियान चला तो आपका दिल नहीं दुखेगा क्योंकि आपको नहीं पता एक व्यक्ति की रोजी रोटी छिनने से पूरा परिवार प्रभावित होता है। यदि आप वाकई पहाड़ के प्रति कुछ सम्मान और सहानुभूति रखते हैं तो जिन व्यवसायियों और भवनस्वामियों का आल वेदर रोड के नाम पर रोजगार छीना गया है उनकी दुकानों पर जेसीबी चलाई गई, उन्हें अविलम्ब मुआवजा दिया जाय और उन्हें बसाने के लिए नीति तैयार की जाय।