आज दुनिया भर में मदर्स डे मनाया जा रहा है। कहा जाता है कि एक औरत का जीवन माँ बनने के बाद ही पूरा होता है लेकिन माँ बनने के लिए बच्चे को जन्म देना जरुरी नहीं और ये बात सच कर दिखाई है फरीदाबाद के एक गांव ने। दिल्ली से सटे ग्रीन फील्ड, फरीदाबाद में एक ऐसा गांव है जहाँ बच्चों का पालन-पोषण करने वाली माताएं उनकी जननी तो नहीं हैं पर मां का कर्तव्य बखूबी निभा रही हैं। अरावली की गोद में स्थित बच्चों के इस गांव में एक ही तरह के 20 घर बनाए गए हैं। हर घर में एक मां है। वह यहां आने वाले अनाथ बच्चों को बचपन से लेकर 25 साल होने तक उनकी परवरिश करती हैं। नौकरी लायक बनाकर और शादी करवाकर उनका काम खत्म होता है। यहां कोई मां 20 तो कोई 30 बच्चों का पालन पोषण कर चुकी है।
करीब दो दशक से मां की भूमिका अदा कर रहीं ओडिशा की सविता मोहंती कहती हैं कि ‘अब ये बच्चे मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं। अनाथ और बेसहारा बच्चों को पालकर मानसिक शांति मिलती है। हमें यशोदा मैया जैसा होने का गर्व होता है। 1989 से यहां पर मां की भूमिका निभा रहीं देवकी पंत कहती हैं कि यहां से जाने के बाद भी बच्चों से उनका संबंध खत्म नहीं होता। वह होली, दिवाली और मदर्स डे आदि पर आते हैं। अपनी माताओं से मिलते हैं। एसओएस मदर के रूप में विधवा, तलाकशुदा, बेसहारा और सामाजिक प्रताड़ना की शिकार महिलाओं को लिया जाता है। करीब दो साल की ट्रेनिंग के बाद ऐसी महिलाओं को इन बच्चों की यशोदा बनने का गौरव प्राप्त होता है।