बजट में की गयी स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जुमलेबाजी प्राइवेट अस्‍पतालों व इंश्‍युरेंस कम्‍पनियों के हित में है

Pahado Ki Goonj

*बजट में की गयी स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी जुमलेबाजी गरीबों के नहीं बल्कि प्राइवेट अस्‍पतालों व इंश्‍युरेंस कम्‍पनियों के हित में है।*
✍By Mukesh Aseem
अमेरिकी क़ानूनी-अदालती रहस्य-रोमांच लेखक जॉन ग्रिशम ने कई उपन्यासों में बीमा और अस्पताली कंपनियों के गठजोड़ द्वारा मरीजों, खासकर गरीब मजदूर और वृद्धों, से की गई भयंकर ठगी, लूट और अपवाद मामले में पकड़े जाने पर पूरी न्याय व्यवस्था को खरीद लिए जाने का वर्णन किया है| ख़ैर, उनके उपन्यासों में तो अंत में कोई कंगाल वकील हीरो सब दांव पर लगाकर इन कंपनियों से मुक़दमा जीत लेता है|
*भारत में बीमा वाला काम अभी थोड़ा नया है, पर यहां की हकीकत तो पहले ही खतरनाक है|* स्क्रॉल की रिपोर्ट पढ़ लें कि पहले की राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में क्या-क्या हुआ| 2011 में सिर्फ बिहार में ही 16000 महिलाओं के गर्भाशय निकालने के ऑपरेशन का बीमा अस्पतालों ने लिया, कुछ के तो झांसे में फंसा के निकाल ही डाले, कुछ के तो कागजों में ही! 2013 में कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में 38 गांवों के सर्वे में 707 महिलाओं के गर्भाशय निकालने के केस मिले, इनमें से आधी 35 वर्ष से कम, 20% तो 30 वर्ष से कम थीं, कुछ मात्र 20 साल की! पेट दर्द हुआ, डॉक्टर को दिखाया तो ‘बच्चेदानी ख़राब है, निकलवाओ नहीं तो कैंसर हो जायेगा!’ डराओ, ऑपरेशन करो, बीमा ले लो!
ऐसे मामले राजस्थान, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, पूरे देश में पकड़े गए हैं| यह तो 25-30 हजार के बीमा की स्थिति थी, अब पांच लाख में मोदी जी का प्रिय निजी क्षेत्र क्या-क्या जुल्म ढा सकता है, यह कल्पना तो फोर्टिस, आदि के हाल में सामने आये मामले बता ही रहे हैं|
*सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के बदले बीमा का विचार स्वास्थ्य सुधारने का नहीं पूंजीपतियों के फायदे का विचार है!*

Next Post

कमरे में घुसे तेंदुए को ग्रामीण ने साहस दिखाकर किया कैद

बाजपुर, उधमसिंह नगर : गोबरा गांव में एक तेंदुए को ग्रामीण ने सूझबूझ का परिचय देते हुए कमरे में कैद कर लिया। तेंदुए को देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। वन विभाग उसे पिंजरे में कैद करने की तैयारी में जुटा है। गोबरा सहित आसपास के गांवों में […]

You May Like