साजिश के लिए जनजाति क्षेत्र चकराता, कालसी एवं त्यूणी है आड़ ,फर्जी जनजाति प्रमाण पत्र बनाने की आई बाढ़

Pahado Ki Goonj

साजिश के लिए जनजाति क्षेत्र चकराता, कालसी एवं त्यूणी है आड़ ,फर्जी जनजाति प्रमाण पत्र बनाने की आई बाढ़
जाल साजी कर प्रमाण पत्र बनाकर उत्तराखंड की 5500वर्ष पूर्व की जनजाति संस्कृति को समाप्त करने का बड़ा षड्यंत्र होरहा है

देहरादून। जनजाति क्षेत्र चकराता, कालसी एवं त्यूनी तहसीलों में अभी तक दो हजार से अधिक फर्जी जनजाति प्रामण पत्र निर्गत करने की जानकारी सामाजिक संगठनों के माध्यम से मिल रही है इनमें नवक्रांति स्वराज मोर्चा ने इसका संज्ञान लेकर इस सडयंत्र के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है।

संगठन का कहना है कि

(” फर्जी प्रमाण पत्रों के पीछे कोई बड़ा षडयंत्र छिपा हुआ है।संगठन को जब सूचना मिली कि जनजाति क्षेत्र चकराता, कालसी एवं त्यूनी तहसीलों में दो हजार से अधिक जनजाति प्रमाण पत्र बनाए गए हैं ।तो संगठन ने इस मामले की तह तक जाने के प्रयास किए। संगठन का कहना है कि इन फर्जी जनजाति प्रमाण पत्रों को निरस्त किया जाए और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। इतना ही नहीं इस मामले में संबंधित तहसीलदारों,उपजिलाधिकारियों से होते हुए जिलाधिकारी के संज्ञान में मामला गया। यह मामला जब जनजाति आयोग के पास गया तो आयोग ने इसे गंभीर मानते हुए,
जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि फर्जी प्रमाण पत्रों को निरस्त किया जाए। पूर्व में भी कुछ फर्जी प्रमाण पत्र बनाने की बात सामने आई थी। तब मामला हाई कोर्ट तक गया था। हाई कोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्र निरस्त करने के निर्देश दिए थे। इन फर्जी प्रमाण पत्रों को बनाने की जड़ नेतागिरी में निहित है। फर्जी प्रमाण पत्र बनाने में भी यही नेता जिम्मेदार हैं और अब फर्जी के चिन्हिकरण में भी यही बाधक बन रहे हैं। वोट बैंक के चक्कर में ये यह सब कर रहे हैं। नवक्रांति इन फर्जी प्रमाण पत्रों को बनाने में सहयोगी बन रहे नेताओं को बेनकाब करने की मुहिम प्रारंभ करने जा रहा है। संगठन जिलाधिकारी के समक्ष इसके प्रमाण प्रस्तुत करेगा और जरूरत पड़ने पर हाई कोर्ट की शरण में भी जाएगा।”)

आज दो हजार फर्जी जनजाति प्रमाण पत्र बनाने वाले लोग जनजाति रीतिरिवाज संस्कृति 5500 साल पुरानी को समाप्त करने के लिये काफी है

आज यह दो हजार हैं 1,2,साल में इनके विवाह के बाद चार हजार हो जाएंगे 5 साल बाद इनकी आवादी 8 हजार होजाएगी 18 साल बाद इनकी जनता 15 हजार के आसपास पहुंच जाएगी जो उत्तराखंड की जनजाति संस्कृति रीति रिवाज को समाप्त करने के लिए काफी है। सडयंत्र कारी ताकत बर होता हैं।वह अपने मिशन में कामयाब होने के लिये कई प्रकार के लोभ लालच देकर सफल होने का प्रयास करते हैं। जनजाति इलाकों में हमारी उत्तराखंड की पहचान बच्ची हुई है।उत्तराखंड में
फर्जी जनजाति प्रमाण पत्र बनाने वाले जिम्मेदार इतने ताकतवर हैं कि न्यायालय और आयोग के निर्देश हो रहे हैं निष्प्रभावी।

 हाई कोर्ट तक गया था। हाई कोर्ट ने फर्जी प्रमाण पत्र निरस्त करने के निर्देश दिए थे। इन फर्जी प्रमाण पत्रों को बनाने की जड़ नेतागिरी में निहित है। फर्जी प्रमाण पत्र बनाने में भी यही नेता जिम्मेदार हैं और अब फर्जी के चिन्हिकरण में भी यही बाधक बन रहे हैं। वोट बैंक के चक्कर में ये यह सब कर रहे हैं। नवक्रांति इन फर्जी प्रमाण पत्रों को बनाने में सहयोगी बन रहे नेताओं को बेनकाब करने की मुहिम प्रारंभ करने जा रहा है। संगठन जिलाधिकारी के समक्ष इसके प्रमाण प्रस्तुत करेगा और जरूरत पड़ने पर हाई कोर्ट की शरण में भी जाएगा।”

आज दो हजार फर्जी जनजाति प्रमाण पत्र बनाने वाले लोग जनजाति रीतिरिवाज संस्कृति 5500 साल पुरानी को समाप्त करने के लिये काफी है आज यह दो हजार हैं 1,2,साल में इनके विवाह के बाद चार हजार हो जाएंगे 5 साल बाद इनकी आवादी 8 हजार होजाएगी 18 साल बाद इनकी जनता 15 हजार के आसपास पहुंच जाएगी जो उत्तराखंड की जनजाति संस्कृति रीति रिवाज को समाप्त करने के लिए काफी है। सडयंत्र कारी ताकत बर होता हैं।वह अपने मिशन में कामयाब होने के लिये कई प्रकार के लोभ लालच देकर सफल होने का प्रयास करते हैं। जनजाति इलाकों से हमारी उत्तराखंड की पहचान बच्ची हुई है।

उत्तराखंड में फर्जी प्रमाण पत्र बनाने वाले जिम्मेदार इतने ताकतवर हैं।फर्जी प्रमाण पत्रों की आड़ में उत्तराखंड नोकरी पाने का चारागाह बना हुआ है।इनके लिए न्यायालय और आयोग के निर्देश हो रहे हैं निष्प्रभावी।

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