- मानव के लिये गंगोत्री से ऊपर 40 साल तक जाने के लिये बंद करदेना चाहिए वर्ष1974 में हिमपुत्र हेमवतीनंदन बहुगुणा ने उत्तरकाशी से ऊपर जाने के लिये विना परमिट के जाने की सुविधा दी थी उस समय सरकार को विदेशी मुद्रा एंव धनाभाव के कारण सरकार को लागों की आवजाही बढ़ा कर रोजगार देने की आवश्यकता थी परंतु अब ऐसी स्थिति नही है ।वहाँ कांवड़ियों के सैकड़ों क्विंट ल कपड़े ,प्लास्टिक हटाने के लिए शन्ति ठाकुर ने कार्य किया माँभागीरथी को बचाने की चिंता स्थनीय लोगों को ज्यादा है ।क्योंकि उनके जीवन मरण यहीं है आज मा भगिरथी में पर्यावरण से उसके अस्तित्व का खतरा पैदा हो गया । भोजवासा में भोज पत्र के 2पेड़ वर्ष 1996 तक दिखाई दिये वर्ष 1973 में वहां भोज पत्र का जंगल था ।यात्रियों ने ओर आश्रमो ने जंगल जला जला कर नष्ट कर दिया ।वहाँ का तापमान बढ़ने से खतरे उत्पन्न हो रहे है।कोई वहीं पर रासायनिक पदार्थों का उपयोग किस काम के लिये कर रहा है ।कोई रोकने वाला नही है ।वहां जो रहने तपस्या के लिये जाता है अपना व्यापार बढ़ता है । अब वहाँ आर मानव की गतिविधियों को 40 के लिये बैंन कर वहां भोजपत्र के पेड़ों को लगाने की आवश्यकता है वहां से आश्रमो को हटाने की आवश्यकता है ताकि माँ भागीरथी की सुरक्षा की जासके ।गंगोत्री में प्रतिदिन 200किग्रा जौ 400 किग्रा तिल 200 किग्रा घी को जलाया जाय तो वातावरण सुध होगा । इसमे 41 साल मानवीय हलचल ने भागीरथी के गिलेश्वर को 30 पीछे खिसकने को मजबूर करदिया अब यहां पर मानव गतिविधियों को बंद किया जाना नदियों की सुरक्षा एवं जैब विविधता को बचाने के लिए जरूरी है।यह नदी ही नहीं हमारी संस्कृति वेद पुरणो में बर्नित होने की सच्चाई का प्रमाण है।अब माननीय न्यायालय मा भागीरथी को न्याय दिलाने की पहल करते हुये बचाये रखने के और उपाय देसकता है।
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Sat Oct 14 , 2017
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