देहरादून। सरकार का दावा है कि वह पूरी ताकत के साथ कोरोना के खिलाफ लड़ रही है तथा व्यवस्थाएं पूरी तरह से चाक चैबंद है। लेकिन क्वारंटीन सेन्टरों में हो रही मौतें सरकार के दावों की पोल खोल रही है। क्वारंटीन सेन्टरों में मौतों का सिलसिला जारी है। राजधानी दून के बालावाला क्वांरटीन सेन्टर में एक और युवक की मौत इन क्वारंटीन सेन्टरों की अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक लापरवाही का ताजा सबूत है। हैरत अंगेज बात यह है कि 215 अन्य लोगों के साथ रह रहे युवक की मौत की खबर दो दिन बाद लग सकी। क्वारंटीन सेंटर के नोडल अधिकारी कहंा थे? दो दिन तक किसी ने भी इस युवक की ओर ध्यान क्यों नहीं दिया। जैसे कई सवाल है जो प्रशासन की घोर लापरवाही का सबूत है।
जिस युवक ने क्वांरटीन सेन्टर की चैथी मंजिल पर अपने कमरे में लगे पंखे से लटक कर आत्महत्या की है उसकी उम्र 18-20 साल बतायी जा रही है तथा उसका नाम संकेत मेहता बताया गया है जो 5 जून को जबलपुर से टे्रन द्वारा देहरादून आया था और उसे बालावााल क्वारंटीन सेन्टर में रखा गया था। युवक ने कब और क्यों आत्महत्या की इसका किसी को भी पता नहीं है। आज उसके कमरे से बदबू आने पर कमरा खोला गया तो युवक पंखे पर लटका मिला। जिसका शव सड़ने लगा था। युवक कोरोना संक्रमित था या नही इसका भी पता नहीं है। सैम्पल जांच और पोस्टमार्टम से ही पता चल सकेगा कि उसने कब आत्महत्या की और क्यों की?
क्वांरटीन सेन्टरों में मौत का यह कोई पहला मामला नहीं है। अब तक आधा दर्जन से अधिक मौतें क्वारंटीन सेन्टरों में हो चुकी है। रूड़की में युवक की मौत तथा एक अन्य क्वारंटीन सेन्टर में सांप के काटने से बच्ची की मौत सहित कई मामले अब तक सामने आ चुके है। लेकिन सरकार इन क्वारंटीन सेन्टरों की व्यवस्थाओं को हमेशा चाक चैबन्द होने का दावा करती रही है। यहंा तक की विपक्ष कांग्रेस ने तो क्वारंटीन सेन्टरों को लेकर आंदोलन भी छेड़ा था जबकि हाईकोर्ट ने भी क्वांरटीन सेन्टरों की व्यवस्थाओं को सुधारने के सख्त निर्देश सरकार को दिये थे। इसके बावजूद भी हालात यह है कि क्वारंटीन सेन्टर में एक युवक आत्महत्या कर लेता है और उसका पता दो दिन बाद चल पाता है। जब राजधानी के क्वारंटीन सेन्टरों का हाल यह है तो राज्य के दूर दराज के क्वारंटीन सेन्टरों का क्या हाल होगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।