देहरादून:उत्तराखंड की लाइफ लाइन चारधाम यात्रा सदियों से होती रही है।परन्तु सरकार की अदूरदृष्टि के कारण सुभिधा बढ़ाने का नाम पर ऊँट के मुंह में जीरा के बराबर है। उत्तराखंड में दिन प्रतिदिन चार धाम में आने वाले यात्रियों, पर्यटकों की संख्या में जहाँ लाखों लोगों की बृद्धि साल दर साल होरही हैं।वहीं सरकार प्रशासन की तैयारियों की पोल दर पोल नाकामी खुल रहा है ।यमनोत्री में पैदल मार्ग इतना संकरा है कि एक साथ जाने वाले यात्रियों के लिए चढ़ाई है तो आने वाले यात्रियों के लिए उतराई के चलते आपस मे टकर होती रहती है।जान जोखिम का खतरा रहता है गंगोत्री धाम जाने वाले राष्ट्रीय राज मार्ग की भटवाड़ी से सोन गाड़ तक की चौड़ाई कम होने से जाम से छुटकारा कई सालों से नहीं मिल पारहा है।वहीं भैरों घाटी में गढ़वाल मंडल के गेष्ट हाउस कई सालों से उच्च अधिकारियों के गलत आचरण के चलते कार्य पूरा नहीं किया गया है इससे निगम को लाखों रुपए का घाटा जहाँ होरहा हैं वहीं इसके लिए लिए गये रुपये का व्याज जनता को भरना पड़ रहा है ऐसी स्थिति ऊखीमठ गेष्ट हाउस की भी है। 5घन्टे जाम में यात्री परेशान होने के साथ साथ अपनी रहने की व्यबस्था नहीं कर पारहे हैं। उत्तकाशी में तो छोटी गाड़ियों के स्टैंड ज्ञानसू बैंड,भटवाड़ी रोड़ पर जुसया डा में होने से स्थानीय लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।जो गाड़ियां गंगोत्री से सावरी लेकर आती हैं वह बस स्टैंड पर नहीं छोड़ने से यात्रियों के समान पहुचाने में परेशानी होती है उनको सवारी स्टैंड पर छोड़कर जाना चाहिए। केदारनाथ में यात्रियों की परेशानियों को लेकर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल स्वयं शिविर लगा कर उपलब्ध ता केआधार पर समस्या कम करने लिए प्रयास रत जहां हैं वहीं सोन प्रयाग गौरीकुण्ड के बीच यात्रियों को रहने से लेकर आवागमन की बहुत परेशानी होरही है। होटलों में मन माफिक किराया की वसूली की जारही है।
जहाँ यात्रियों की परेशानियों का अम्बार बढ़ रहा है वहीं यात्रा की भीड़ बढ़ने से स्थानीय लोगों की यातायात करने के लिये बस स्टेशन पर बस ,टैक्सी स्टैंड पर रूटीन टैक्सी नहीं है।और हैं भी तो मनमानी करने लगे हैं।सरकार को 1000 गाड़ियों की व्यबस्था पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रा करने वालों के लिए होनी चाहिए।साथही केंद्र सरकार से इस कार्य के लिए धन मांगने का कार्य प्राथमिकता के साथ किया जाना चाहिए।