देहरादून। उत्तराखंड में जमीन किसानों की उसके आधार पर ऋण दिया जारहा है ।योजना के नाम पर ऋण दीनदयाल उपाध्याय नाम से किसानों को देने का सिलसिला जारी है यह गलत तरीका सरकार ने लागू कर किसानों को आत्महत्या का हतियार दे दिया ।अगले साल जँहा सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात कह रही है।वहीं किसानों से ऋण चुकाने के लिये पैसा होगा नहीं तो दीनदयाल उपाध्याय के नॉम से हत्यारि योजना कारूप मिल कर योजना गलत साबित होगी। किसानों को ऋण तो दिया गया पर उसकी जरूरत के हिसाब से वह नाके बराबर है मसलन एक भैंस 70000 हजार की रही है ।उससे उसकी लागत भी नहीं उठ पाएगी कमसे कम 4 भैंस पर वह व्यबसाय कर सकता है। 110000 का खच्चर आरहा तो 2 खच्चर के लिये 220000 चाहिए आप 1 लाख डेरहे तो वह कुछ भी नहीं ले परहाहै। पैसा बैंक का लेकर असमंजस में है। किसानों को असल मे सरकार आत्मनिर्भर बनाने के लिये ।3लाख का ऋण देने की आवश्यकता है ताकि वह 4भैंस गाय 2खच्चर रखने लायक पूंजी मिले।
।-मूल समस्या फसल की सूखे, ओलबृष्टि, से नुकसान की छतिपूर्ती की है उसके लिये सरकार को 60000/हेक्टर किसानों को देने की गरंटी होनी चाहिए यह नीति बनाने। की आवश्यकता है ।किसान तो गलत निर्णय के चलते खेती छोड़ कर पलायन करते आज 400 गावँ खाली होगये 500000 से ज्यादा वेरोजगार हैं। सरकार जो भी आई उसने प्रदेश वासियों को भ्र्ष्टाचार की दल दल में फंसा कर कर्ज दार बनाया। सोचने की बात है जिस प्रदेश का 80% बजट वेतन पेंशन में जारहा है उसके विकास की बात करना भ्र्ष्टाचार के चलते बेईमानी सावित होगी विकास पर 8% मात्र ख़र्च हो रहा है।