देहरादून। उत्तराखंड राज्य की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इसके पीछे उन्होंने धन की कमी होना बताया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में अब धनबल और बाहुबल को बोलबाला है। बाहुबलियों और धनबलियों ने चुनाव की पूरी व्यवस्था को चौपट कर दिया है। साधारण और आर्थिक रूप से कमजोर प्रत्याशियों का इनसे मुकाबला करना मुश्किल है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड क्रांतिदल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी के लिए यह पहला मौका है। जब वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके पीछे एक अहम वजह उनके पास धन की कमी भी बताई जा रही है। काशी सिंह ऐरी ने कहा कि वह पार्टी के हित में चुनाव लड़ाने पर अपना फोकस करेंगे, जिससे मौजूदा राजनीति मैं भी बदलाव कर सकें। उन्होंने मौजूदा राजनीति के तौर तरीकों पर भी गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि वह चुनाव में बाहुबल और धनबल के प्रयोग से आहत हैं.अविभाजित उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड राज्य को अलग राज्य कराने में काशी सिंह ऐरी का बड़ा योगदान रहा है। उत्तराखंड क्रांति दल के जरिए उन्होंने राज्य विभाजन में अहम भूमिका अदा की। उनका एक लंबा राजनीतिक अनुभव भी रहा है। वे 1985 में डीडीहाट सीट से पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे थे। वे 1989 और 1993 में विधायक रहे। जबकि, 1996 में वे बिशन सिंह चुफाल से चुनाव हार गये थे। यही नहीं 2002 में वे कनालीछीना सीट से उत्तराखंड की पहली विधानसभा के लिए भी चुने गये।
काशी सिंह ऐरी 2007, 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव हार गये थे। इसके बाद ही उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने को फैसला किया है। इसी के जरिए उन्होंने चुनाव में धनबल और बाहुबल के बढ़ते प्रयोग पर चिंता जाहिर की है। उनको कहना है कि वह पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार करेंगे।