उत्तराखंड यमुना घाटी के लोक संस्कृति मेला की अनोखी झलक के साथ त्रिदिवसीय मेले का समापन- मदन पैन्यूली
बड़कोट । सरनौल में आयोजित तीन दिवसीय प्राचीन व पौराणिक मां रेणुका का मेला भव्यता के साथ सम्पन्न हो गया , हजारों की संख्या में उमड़े श्रद्वालुओं ने अपनी कुशलक्षेम की कामना की और धारदार हथियार डांगरे के उपर देव पशुआ का चलना मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहा । मेले में लोक संस्कृति की अनोखी झलक के साथ पाण्डव नृत्य ने श्रद्वालुआंे को झुमने के लिए विवश कर दिया।
मालुम हो कि यमुनाघाटी के सीमान्त गांव सरनौल में हर साल तीन दिवसीय मां रेणुका का मेला आयोजित होता है , मां रेणुका के दर्शन के लिए दूर दूर से हजारों की संख्या में श्रद्वालु आते है और पौराणिक मेले में आम श्रद्वालु मां रेणुका से अपनी कुशलक्षेम की कामना करते है। मेले के दूसरे दिन धारदार हथियार के उपर देव पशुआ (पुजारी)का चलना मुख्य आकर्षण का केन्द्र होता है , इस पल के लिए चारों ओर भारी भीड़ जमा हो जाती है और नंगे पैर पुजारी का धारदार हथियार (डांगरे) के उपर चलना देव शक्ति की अनुभूति कराता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन जो भी श्रद्वालु मां रेणुका के दर्शन करता है उसकी सभी मनोकामनायें पूर्ण होती है , इतना ही नही आज के दिन सन्तान की कामना करने वाले जोड़े को सन्तान की प्राप्ती होती है। पौराणिक रेणुका मेले में लोक संस्कृति की झलक के साथ पाण्डव नृत्य में श्रद्वालु झुमने को विवश हो गये। तीन दिवसीय मेले मेें उत्तराखण्ड राज्य भर के अलावा यूपी , दिल्ली , हरियाणा , हिमाचल प्रदेश के श्रद्वालुओं ने मां रेणुका की उत्सव डोली के दर्शन किये और लोक संस्कृतिक को नजदीक से देखकर खुशी जाहिर की ।