देहरादूनः असम के बाद अब उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू करने को लेकर राज्य सरकार विचार कर रही है। बीते दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रदेश में एनआरसी लागू करने के संकेत भी दिए थे। हालांकि राज्य में एनआरसी लागू करने को लेकर पहले मंत्रिमंडल में चर्चा की जाएगी और फिर अगर जरुरत पड़ी तो उत्तराखंड में भी एनआरसी लागू किया जाएगा। तो वहीं अब त्रिवेंद्र मंत्रिमंडल के दो कैबिनेट मंत्रियों ने प्रदेश में एनआरसी लागू करने का समर्थन किया है। आपको बता दें कि एनआरसी यानी नेशनल सिटिजन रजिस्टर, जो भारतीय नागरिकों की पहचान के लिए बनाई गई एक सूची है, जिसका उद्देश्य राज्य में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों की पहचान करना है। इसकी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है। सरकार ने 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया था। अब उत्तराखंड सरकार भी एनआरसी लागू करने की बात कह रही है। एनआरसी का शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने समर्थन किया। सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने बताया कि राज्य में अभी तक कोई खतरा महसूस नहीं हुआ लेकिन यह हकीकत है की जहां शांति होती है वहीं अपराध के पलने की संभावना होती है। उत्तराखंड राज्य हिमालय प्रदेश है, लिहाजा यहां कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं। इसके साथ ही कई दुर्गम क्षेत्र ऐसे हैं जहां यहां के मूलनिवासी होते हुए भी नहीं जा पाते हैं, तो ऐसे में क्या गारंटी है देश का बड़े से बड़ा अपराधी, अपराध करके इन दुर्गम क्षेत्रों में आकर बैठा हो.लिहाजा अगर प्रदेश में एनआरसी लागू होती है, तो ऐसे अपराधी बेनकाब होंगे। उत्तराखंड राज्य देवभूमि है और देवभूमि की गरिमा सदैव बनी रहे इसलिए, एनआरसी बहुत आवश्यक है। साथ ही बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जो यह मुद्दा उठाया है इसका वो समर्थन करते हैं.यह भी पढ़ेंः प्रयागराज से भव्य होगा हरिद्वार महाकुंभ, चलेगी शटल ट्रेन और वाटर एंबुलेंसवहीं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार अगर असम का अध्ययन किया जाए तो पता चलेगा कि वहां पर बहुत से बाहर के लोग हैं। ऐसे में यहां भी बाहर के लोग न आएं, यह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत तय करेंगे. प्रदेश में एनआरसी लागू करने को लेकर विचार विमर्श करने और सघन चिंतन करने के बाद निर्णय लिया जाएगा, क्योंकि उत्तराखंड राज्य में भी बाहर के लोग आ रहे हैं। प्रदेश की काफी कुछ स्थिति भी बदल रही है और यहां के ताने-बाने में भी बदलाव आ रहा है। यह यथावत रहे, संस्कृति की रक्षा हो उस पर विचार विमर्श किया जाएगा। साथ ही बताया कि इस मामले पर विचार करने के बाद मुख्यमंत्री तय करेंगे।