ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर आसीन दण्डी स्वामी माधवाश्रम महाराज ने शरीर त्याग दिया है। लंबे समय से बीमार चले रहे माधवाश्रम महाराज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में अंतिम सांस ली।
शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम महाराज भारत के बदरीनाथ तीर्थ के समीप जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य थे। वर्ष 1993 से ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य पद पर आसीन माधवाश्रम महाराज ने शुक्रवार को चंडीगढ़ में देह त्याग दिया। महाराज लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को देर शाम तक ऋषिकेश स्थित दंडीबाड़ा आश्रम में लाया जाएगा। पार्थिव शरीर को ऋषिकेश स्थित दण्डीबाड़ा श्रीजनार्दन आश्रम में आम लोगों के दर्शनार्थ के लिए रखा गया। इसके बाद विधि विधान के साथ आश्रम में भू-समाधि दी गई। उनके अनुयायियों ने तीर्थनगरी पहुंचकर उनको श्रद्धांजलि। स्वामी जी जैसे विद्धवान साधु समाज मे ,देश मे अनुकरणीय बने रहेंगे ।स्वामी जी उत्तराखण्ड मूल से शंकराचार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी थे। वे अखिल भारतीय धर्म संघ समेत विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के अघ्यक्ष एवं सदस्य रहे। महराज पर्यावरण प्रेमी रहे ।मानवता को जीवित रखने के लिये सदैव कार्य करते रहे।दुनिया मे मानव कल्याण के लिये अनेकानेक कार्यक्रम कर जगत कल्याण की भावना प्रत्येक प्राणी में जगाने का कार्य किया। पर्यवरण प्रेमी होने के नाते उन्होंने अपने शरीर को त्याग ने के बाद भूमि में समाधि देने के लिये अपने शिष्यों से कहा
स्वामी माधवाश्रम महाराज का लिखवार गावँ टिहरी गढ़वाल से रहा नाता
Sun Oct 22 , 2017