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राजभवन कूच कर रहे राज्य आंदोलनकारियों को पुलिस ने रोका, दिया धरना

Pahado Ki Goonj

देहरादून। बीते 6 वर्षों से राजभवन में राज्य आंदोलनकारियों का 10ः क्षैतिज आरक्षण का मामला पेंडिंग होने के खिलाफ सैकड़ों राज्य आंदोलनकारियों ने आज राजभवन कूच किया। राजभवन घेराव कार्यक्रम को कांग्रेस पार्टी और उत्तराखंड क्रांति दल ने समर्थन किया। दोनों दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने राज्य आंदोलनकारियों के साथ मिलकर राजभवन घेराव में भाग लिया।
सबसे पहले राज्य आंदोलनकारी बहल चैक के पास एकत्रित हुए। उसके बाद जुलूस की शक्ल में सभी राजभवन घेराव को निकले। इस बीच पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हाथीबड़कला में बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। रोके जाने से नाराज प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जमकर धक्का-मुक्की हुई। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने राज्यपाल गो बैक के नारे लगाए। सभी नाराज प्रदर्शनकारी सड़क पर ही धरने पर बैठ गए और एक सभा का आयोजन किया। सरकार से नाराज राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्यपाल ने उन्हें कभी मिलने का समय नहीं दिया। राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि बीते 6 वर्षों से राज्य आंदोलनकारियों से जुड़े 10ः क्षैतिज आरक्षण का बिल राजभवन में कैद है, जबकि कई बिल या तो राजभवन से पास हो चुके हैं या फिर वापस हो गए हैं.। लगातार सैकड़ों आंदोलनकारियों की नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन सरकार राज्य आंदोलनकारियों की घोर अनदेखी कर रही है. प्रदीप कुकरेती का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी की है, लेकिन उन्हें नए सीएम धामी से उम्मीद है कि वो जल्द राज्य आंदोलनकारियों की समस्याओं का निराकरण करेंगे। इसके अलावा राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण के मामले लंबित पड़े हुए हैं। समूह ग की नौकरी पूरे भारत के लिए खोल दी गई है, इससे उत्तराखंड के भौगोलिक सीमांत क्षेत्र का नौजवान आहत है। उसी तरह प्रदेश का भू-कानून पूरे भारत के लिए खोल दिया गया। राज्य आंदोलनकारी प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति और राजधानी गैरसैंण बनाए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार राज्य आंदोलनकारियों का अपमान कर रही है। वहीं, चिह्नित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि जबसे भाजपा सत्ता में आई है, राज्य आंदोलनकारियों को सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। 10ः आरक्षण और उनकी पेंशन के मामलों पर सरकार कुछ नहीं कर रही है। आंदोलनकारियों के चिह्नीकरण की प्रक्रिया अटकी पड़ी है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश कोरोना, भ्रष्टाचार में नंबर वन है. आने वाले समय में प्रदेश की जनता इस सरकार को उखाड़ फेंकेगी।

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