इस दिन नकारात्मक शक्तियां ज्यादा सक्रिय रहती हैं जो कि नुकसान पहुंचा सकती हैं।अमावस्या शुभ व अशुभ भी हो सकती है। अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने की मान्यता है। सुबह जल्दी उठें। पानी में काले तिल डाल कर स्नान करें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। अमावस्या पर पूजा-पाठ करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा मिलती है। अमावस्या पर पति-पत्नी को दूरी बनाकर रखना चाहिए। इस रात में संबंध बनाने से बचें। इस साल सोमवती अमावस्या पर सूर्य-चंद्रमा मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में रहेंगे। वैशाख मास और अश्विनी नक्षत्र का ये संयोग 17 साल बाद बन रहा है। इसके बाद ऐसा शुभ संयोग 10 साल बाद 24 अप्रैल 2028 को बनेगा। सात्विक और देवगण वाले इस नक्षत्र के साथ सोमवार और अमावस्या का संयोग बनने से ये दिन पितृ पूजा, पितृ दोष और कालसर्प दोष की शांति के लिए बहुत खास हो गया है।सोमवार, 16 अप्रैल को हिन्दी पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या है। सोमवार और अमावस्या के योग की वजह से इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है।
सांसारिक जीवन में गृहस्थ जीवन में विधि विधान से रहना भी एक बडा कार्य है– वैशाख अमावस्या की तिथि अंग्रेजी कैलेंडर 16 को है
मैती स्वयंसेवी संस्था द्वारा शराब ना परोसने वाले परिवार को सम्मानित किया
Mon Apr 16 , 2018