देहरादून: सरकारी सिस्टम और इतनी फुर्ती, यकीन नहीं आता, लेकिन करना ही पड़ेगा। कारनामा ही कुछ ऐसा है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में चिकित्साधिकारी (एमओ) पदों पर नियुक्ति की जो प्रक्रिया तीन साल में भी पूरी नहीं हो पाई थी, वह महज 24 घंटे में निबटा ली गई। यह दीगर बात है कि हो-हल्ला मचा तो विवि प्रशासन अब बैकफुट पर आता दिख रहा है। कहा किया जा रहा है कि अभी अंतिम परिणाम जारी नहीं किया गया है। साथ ही आपत्ति दाखिल करने को और समय देने का दावा भी किया जा रहा है।
तीन साल के दौरान तमाम विवादों के चलते आयुर्वेद विवि में चिकित्साधिकारी पदों की भर्ती प्रक्रिया लटकी हुई थी। कभी कुलपति और कुलसचिव के बीच शीतयुद्ध तो कभी मानकों की धज्जियां उड़ाने के आरोपों के चलते इसमें रोड़ा अटकता रहा। लेकिन इस बार आयोजकों ने भर्ती प्रक्रिया में गजब की तत्परता दिखाई। चिकित्साधिकारी के 19 पदों के लिए तीन रोज पहले यानि 11 मार्च को लिखित परीक्षा कराई गई।
इसमें 798 अभ्यर्थी शामिल हुए। रविवार अपराह्न परीक्षा खत्म हुई और उसी रात विवि प्रशासन ने परीक्षा का परिणाम भी जारी कर दिया। इसके अगले 12 घंटे के दरम्यान नियुक्ति की लगभग सभी प्रक्रियाएं पूरी कर लीं गई। वेबसाइट पर आंसर शीट (उत्तर कुंजी) अपलोड करना, अभ्यर्थियों की ओएमआर का मूल्यांकन, परीक्षा परिणाम घोषित करना, इस पर आपत्तियां मांगना, उनका निपटारा और साक्षात्कार का शिड्यूल सब कुछ विवि प्रशासन ने 24 घंटे के भीतर निबटा डाला।
गले नहीं उतरी जल्दबाजी
नियमत: किसी भी परीक्षा के तत्काल बाद उसकी आंसर की संबंधित वेबसाइट पर अपलोड की जा सकती है, ताकि अभ्यर्थी उसके मिलान कर अपने अंकों को अनुमान लगा सकें। आंसर की अपलोड करने के बाद अभ्यर्थियों को आपत्ति दाखिल करने के लिए कुछ घंटों का नहीं, बल्कि समुचित समय दिया जाता है। यही नहीं, आपत्तियों का निस्तारण विशेषज्ञों के पैनल से रायशुमारी के बाद किया जाता है।
इसके बाद ही परीक्षा का परिणाम तैयार किया जाता है। साक्षात्कार की प्रक्रिया इसके अगले चरण में शुरू की जाती है। हैरत देखिए आयुर्वेद विवि ने उपरोक्त सभी प्रक्रियाएं परीक्षा संपन्न होने 24 घंटे के अंतराल में पूरी कर डालीं। विवि की यह अप्रत्याशित जल्दबाजी न केवल किसी के गले नहीं उतर रही, बल्कि इसको लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
मंत्री और अफसरों के सुर जुदा
इस मामले में प्रदेश के आयुष मंत्री डा. हरक सिंह रावत और आयुर्वेद विवि के कुलसचिव अनिल कुमार गक्खड़ के सुर जुदा हैं। मंत्री के मीडिया को दिए बयान के अनुसार गड़बड़ी की शिकायतों के मद्देनजर साक्षात्कार प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। जबकि, विवि के कुलसचिव कहना है कि उन्हें न लिखित में ऐसा कोई आदेश मिला और न ही मौखिक।
आपत्तियों पर यू टर्न
विवि प्रशासन के मुताबिक 11 मार्च की रात परिणाम घोषित करने के बाद 12 मार्च सुबह से शाम पांच बजे इस पर आपत्तियां मांगी गई। इधर, इस बीच विवि के स्तर से 12 मार्च को ही सफल अभ्यर्थियों का साक्षात्कार कराने की औपचारिकताएं पूरी कर ली गईं। बीते रोज मामला मीडिया में उछला तो अब विवि प्रशासन ने यू टर्न लेता दिखाई दिखा। विवि अधिकारियों के मुताबिक आपत्तियां दाखिल करने का समय एक दिन और बढ़ाकर मंगलवार शाम तक आपत्तियां ली गईं। अब कहा जा रहा है कि इन्हें विशेषज्ञों को भेजा जा रहा है।
आयुष और आयुष शिक्षा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बताया कि विभागीय सचिव हरबंस सिंह चुघ को निर्देश दिए गए हैं कि इस मामले में कुलपति से विस्तृत आख्या मांग ली जाए। सचिव की ओर से मंगलवार को इस आशय का पत्र कुलपति का भेजा गया है। कुलपति की आख्या आने और सरकार की ओर से इस बारे में निर्णय लेने तक इंटरव्यू डिले करने को भी कहा गया है।
वहीं विवि के कुलसचिव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने बताया कि रविवार रात को जारी परिणाम, प्रोविजनल रिजल्ट था। क्योंकि परीक्षा ओएमआर पर हुई थी और कम्प्यूटीकृत व्यवस्था के तहत इन्हें जांचने में बहुत ज्यादा वक्त नहीं लगता। अभ्यर्थियों का कहना था कि आपत्ति के लिए उन्हें कम वक्त दिया गया। यह वक्त भी विवि ने एक दिन बढ़ा दिया। हमारी तरफ से कोई कमी नहीं की जा रही। जहां तक जांच व साक्षात्कार पर रोक का प्रश्न है, ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है।