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प्रवण मुखर्जी ने आर यस यस कार्यलय जाकर उनकी गर्दन ऊंची तो हुई पर कह गये जनता की ख़ुशी में राजा की ख़ुशी होनी चाहिये

Pahado Ki Goonj

प्रवण मुखर्जी ने आर यस यस कार्यलय जाकर उनकी गर्दन ऊंची तो हुई पर कह गये जनता की ख़ुशी में राजा की ख़ुशी होनी चाहिये ।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) संस्थापक डॉ. हेडगेवार के जन्मस्थल पर पहुंच उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद थे। पूर्व राष्ट्रपति ने नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में भाषण दिया और कई अहम बातें कहीं।  1. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भेदभाव और नफरत से भारत की पहचान को खतरा है। नेहरू ने कहा था कि सबका साथ जरूरी है। 2. विचारों में समानता के लिए संवाद बेहद जरूरी है। बातचीत से हर समस्या का समाधान मुमकिन है। शांति की ओर आगे बढ़ने से समृद्धि मिलेगी। 3. मैं यहां देश और देशभक्ति समझाने आया हूं। मैं यहां देश की बात करने आया हूं। 4. प्रणब ‘दा’ ने कहा ‘विचारों में समानता के लिए संवाद जरूरी है, संवाद के जरिए हर समस्या का समाधान हो सकता है। 5. उन्होंने कहा ‘राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान होती है। भारतीय राष्ट्रवाद में एक राष्ट्रीय भावना रही है। सहिष्णुता और विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।  6. उन्होंने कहा कि ‘मैं आज यहां राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रवाद पर अपने विचार रखने आया हूं। भारत एक स्वतंत्र समाज है, देशभक्ति में सभी का समर्थन होता है। 7. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि काफी समय कौटिल्य ने कहा था कि प्रजासुखे सुखं राज्ञः प्रजानां च हिते हितम्। नात्मप्रियं हितं राज्ञः प्रजानां तु प्रियं हितम्।। यानी  प्रजा की खुशी में ही राजा की प्रसन्नता निहित रहती है।  प्रजा के हित में ही राजा का हित होता है। 8. उन्होंने कहा कि सहनशीलता ही हमारे समाज का आधार है। हमारी सबकी एक ही पहचान ‘भारतीयता’ है। हम विविधता में एकता को देखते हैं। उन्होंने कहा कि हर विषय पर चर्चा होनी चाहिए। हम किसी विचार से सहमत हो भी सकते हैं और नहीं भी। 9. उन्होंने कहा कि विजयी होने के बावजूद अशोक शांति का पुजारी था। 1800 साल तक भारत दुनिया के ज्ञान का केंद्र रहा है। भारत के द्वार सभी के लिए खुले हैं। 10. उन्होंने कहा कि सबने इस बात को माना है कि हिंदू एक उदार धर्म है। ह्वेनसांग और फाह्यान ने भी हिंदू धर्म की बात की है। राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान है। देशभक्ति का मतलब देश की प्रगति में आस्था है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद सार्वभौमिक दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः’ से निकला है।

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