देहरादून : लोकसभा में तीन तलाक बिल पास होने से मुस्लिम महिलाएं खुश हैं। उनका मानना है कि यह महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उठाया गया सराहनीय कदम है। हालांकि, महिलाओं में एक संशय भी है कि क्या पुरुष वर्ग और धर्म गुरु इसे स्वीकार करेंगे।
अधिवक्ता रजिया बेग ने कहा कि बिल पास हो गया है और अब इसे जल्द ही कानून भी बन जाना चाहिए। बिल में क्या-क्या है, ये तो बाद में पता चलेगा। अगर कुछ कमियां भी हुईं तो वह दूर की जा सकती हैं। सरकार भले ही किसी दल की हो, लेकिन यह कदम सराहनीय है। जो लोग तीन तलाक कानून के खिलाफ बोल रहे हैं, वह ये बताएं जब महिला को तलाक देकर सड़क पर छोड़ दिया जाता है, तब वह कहां रहते हैं।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश संयोजक सीमा जावेद का कहना है कि रूढ़ीवादी ताकतों की वजह से तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के लिए नासूर बन चुका था। इसकी मुखालफत करना समय की मांग थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हम महिलाओं के दर्द को समझा और तीन तलाक पर कानून बनाने का बड़ा फैसला लिया।
श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम की प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर नूर तब्बसुम का कहना है कि तीन तलाक का दुरुपयोग होता था और महिलाओं की जिंदगी नर्क बन जाती थी। कोई विदेश में बैठा है और पत्नी को फोन कर एक बार में तीन तलाक दे दिया और बस रिश्ता खत्म। इस्लाम में कहीं भी तीन तलाक नहीं लिखा है। बल्कि रिश्ते को बचाने के लिए तीन मौके दिए गए हैं। इस्लाम में तो बहुत कुछ लिखा है। जैसे पांच वक्त नमाज पढऩा, शराब का सेवन न करना आदि। सवाल ये है कि क्या लोग सभी बातों का पालन करते हैं। केंद्र सरकार की इस पहल से वह खुश हैं।
अपना घर संस्था की अधीक्षक नाजिया कौसर का कहना है कि बिल पास हो गया और कानून भी बन जाएगा। लेकिन, सवाल ये है कि इसकी खिलाफत करने वाले लोग क्या इसे स्वीकार करेंगे। इसमें भी कोई दो राय नहीं हैं कि तीन तलाक का गलत इस्तेमाल होता रहा है।
जल्दबाजी में लिया निर्णय
नायब सुन्नी शहर काजी सैय्यद अशरफ हुसैन कादरी का कहना है कि तीन तलाक देना इस्लाम में भी गुनाह बताया गया है। लेकिन, सरकार ने इस मुद्दे पर राजनीति करते हुए बिल पास करने का यह निर्णय जल्दबाजी में लिया। मुस्लिमों से जुड़े इस मसले पर मुस्लिम विद्वानों और धर्मगुरुओं से मशविरा करना चाहिए था।