कृपया शादियों में शराब को बढावा ना दें-मैती संस्था
कई परिवारो में कल से शादियाँ है की और से अग्रीम शुभकामनाऐं !
कृपया शादियों में शराब को बढावा ना दें जो लोग काँकटेल करते है उनका समर्थन ना करें !
काँकटेल में शामिल ना हो महिलाओ से निवेदन है की अपने बच्चो को समझाऐ !
क्योकी सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओ को उठानी पडती है
समाज के जागरूक लोगो से निवेदन है की लोगो को जागरूक करें महिलाओ का सहयोग करें !
और मैतीसंस्था संस्था के अभियान में सामिल हो खाली सोसल मिडिया में ही नही धरातल पर भी इस मुहिम को उतारें हमारा एक छोटा सा प्रयास किसी परिवार के काम आ सकता है आऔ नशा मुक्त स्वस्थ समाज बनाऐं समाज के चिन्तन शील लोगो से अनुरोध है की अपना अपना अमुल्य सुझाव दें ! यदि हम स्वयं ही शराब की खरीद एवं खपत में अप्रत्याशित गिरावट करदें !
और ठान लें, एक मन बना लें की नहीं पीनी है तो नहीं पीनी है और इस क्रम को कम से कम दो माह तक जारी रखें ….उस धन से कुछ घरेलु इस्तेमाल की वस्तुवें खरीदें या जितना धन मासिक तीन हजार औसत रूप से हम शराब के उपयोग में खर्च करते हैं उतने के बराबर धन को अलग बचाकर रख दें …..
तो क्या होगा फिर ………तीन से छह हजार रूपये की बचत
व्याह शादी के अवसर हैं तो पेटियों के हिसाब से पहले ही पुख्ता इंतजाम कर लिया गया है जिसकी कीमत लगभग बयानवे हजार है ……आठ हजार मिलाओ तो लाख
अब सोचने वाली बात की एक तरफ हम उसे सामाजिक बुराई भी कह रहे ,अपनीं अपनी राय दे रहे ,सरकारी मशीनरी को ख़राब बता रहे
सरकार की किरकिरी कर रहे
हम सरकार को क्यों दोषी ठहराएं
उसने तो ला एन्ड आर्डर मेंटेन करना है
हमे यदि इस उत्तराखंड के लिए कुछ बदलना है तो हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी
सरकार यदि मुहैया करवा रही है तो उसके भी आय का साधन है अनेकों योजनाओं में इस आय का इस्तेमाल होना है !
यदि इतना ही बुरा लग रहा है तो प्रण करते हैं की नहीं पिएंगे
फिर देखिये कोई हमें जबरदस्ती नही कर सकता
फिर तब चाहे गली गली शराब की दुकान क्यों न हो
ऐसा हम कर नही सकते ,शाम होते ही खाजी शुरू होंदी
खोजा लिवाल भेजदु आदमी
कभी कै खाल ,कभी कै धार
फिर कैकी गलती या …??????
(लेखक के खुद के निजी विचार )