कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर वन विकास निगम के कर्मचारियों का धरना / प्रदर्शन जारी ।

Pahado Ki Goonj

कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर वन विकास निगम के कर्मचारियों का धरना / प्रदर्शन जारी ।

देहरादून

सोमवार को वन विकास निगम के कर्मचारियों का धरना / प्रदर्शन कार्यक्रम वन विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक मुख्यालय में पूर्वानुसार जारी रहा धरना दे रहे कर्मचारियों ने वन निगम प्रबंधन पर कर्मचारियों की न्यायोचित व ज्वलंत समस्याओं के निराकरण ना किए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर कर्मचारियों की समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर वन निगम में हुए तमाम घोटालों में लिप्त अधिकारियों पर कोई उचित दडात्मक कार्यवाही न करते हुए उन्हें बचाए जाने का प्रयास किया जा रहा है, धरना स्थल पर बैठे कर्मचारियों के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राणा ने वन निगम के प्रबंध तंत्र को भ्रष्ट प्रबंध तंत्र की संज्ञा देते हुए कहा कि जिन कर्मचारियों की कड़ी मेहनत से वन विकास निगम फला फूला है और वन निगम हर वर्ष लाभ अर्जित करता हुआ आ रहा है वही कर्मचारी आज अपने देयकों के भुगतान न होने की स्थिति से परेशान हैं राजेन्द्र राणा ने प्रबंध तंत्र की हठधर्मिता व उदासीनता रवैया अपनाए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वन विकास निगम प्रबंधन व सरकार की कर्मचारियों के प्रति नकारात्मक सोच के कारण कर्मचारी परेशान हैं , वन विकास निगम के आउटसोर्स पर लगे कर्मचारियों को अब पूंजिपतियों के हवाले की जाने की तैयारी की जा रही है वन निगम का कार्य जैसे वन सम्पदा का दोहन, उप खनीज का दोहन के साथ – साथ डिपुओं में करोड़ों रुपए के प्रकाष्ठ की सुरक्षा आदि कार्य भी पूंजिपतियों के हवाले किया जा रहा है इस प्रकार से पूंजीवाद नीति को बढ़ावा दिए जाने से प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ने के साथ- साथ जहां एक ओर वनों एवं नदी नालों का अनैतिक ढंग से दोहन होगा वहीं दूसरी ओर पर्यावरण भी प्रभावित होने की सम्भावना बनी रहेगी।
राजेन्द्र राणा ने बताया कि वनों के अनैतिक दोहन एवं पर्यावरण संरक्षण को दृष्टिगत रखते हुए कर्मचारी संघ जनता के सम्मुख जाकर जनसंपर्क माध्यम से जन जागरण करेगा जिससे कि वनों में प्रकाष्ठ दोहन व नदी नालों में उप खनीज दोहन कार्य जैसे कार्यों को पूंजिपतियों के हवाले से बचाया जा सके।
कर्मचारी संघ के प्रांतीय अध्यक्ष टी .एस. विष्ट ने भी वन विकास निगम के सेवारत, सेवा निवृत्त एवं आउटसोर्स के माध्यम सेवा कर रहे कर्मचारियों की समस्याओं के निदान न होने पर पर वन विकास निगम प्रबंधन की कटु शब्दों में आलोचना करते हुए कहा कि यदि अभी भी समय रहते हुए कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया तो संघ द्वारा चलाए जा रहे आन्दोलन को विभिन्न प्रकार से उग्र रूप दिया जाएगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी वन निगम प्रबंध तंत्र की होगी।
कर्मचारियों की मुख्य समस्याएं जैसे कि …
*01 -* वसूली के नाम पर कर्मचारियों के देयकों का भुगतान न होना और माननीय उच्च न्यायालय के परमादेश के आधार पर कर्मचारियों को उनके देयकों का भुगतान न किए जाने में वन निगम प्रबंध तंत्र का *रवैया सकारात्मक* नहीं लग रहा है।
*02 -* वन विकास निगम में सेवा कर रहे बाहृय श्रोत से लगे सेवकों की सेवा निजी हाथों में दिए जाने की प्रबंध तंत्र की *कुचक्र नीति* अपनाए जाना और आने वाले समय में वन निगम के सम्पूर्ण कार्यों के सम्पादन हेतु *पूंजिपतियों* के हाथों सौंपा जाना जिससे कि वन निगम में सेवारत कर्मचारियों को प्रभावित होने की सम्भावना है।
*03 -* विगत वर्षों से स्केलर संवर्ग की मांग थी कि उन्हें *₹२०००* ग्रेड पे दिया जाए । स्केलर संवर्ग *ग* श्रेणी का कर्मचारी हैं और ग्रेड पे दिया जा रहा है *घ* श्रेणी के कर्मचारी का । *04 -* कुछ लौगिंग प्रभागों में वन विभाग द्वारा वन विकास निगम को काफी लम्बे समय से लौट आवंटित नहीं किए जा रहे हैं क्या यह वन निगम कर्मचारियों की कमी है या फिर वन विभाग व वन निगम के अधिकारियों की कमी है सोचनीय विषय है।
*0 5 -* वन विकास निगम के टौंस प्रभाग पुरोला में वन विभाग द्वारा प्रकाष्ठ निकासी की अनुमति न दिए जाने से करोड़ों रुपए के प्रकाष्ठ की गुणवत्ता खत्म हो गई है जबकि वन विकास निगम द्वारा वन विभाग को पेड़ों की *Rayalty* ( स्वामित्व कर) के रूप में कीमत पहले ही अदा कर दी गई है और वन विभाग द्वारा समय से निकासी न मिलने पर वन निगम को जो लाभ होना था लाभ की जगह करोड़ो रुपए की हानि होने की पूर्ण संभावना बनी हुई है ।
*06 -* फायर सीजन चरम सीमा पर है प्रदेश में वन विकास निगम के डिपुओं की ओर नजर डालें तो कहीं फायर वाचक की सेंक्शन नहीं तो कहीं प्रकाष्ठ के डिपुओं में डिपुओं के क्षमता से अत्यधिक मात्रा में बहुमूल्य प्रकाष्ठ की चट्टावन्दी की गई अथवा की जा रही है गौरतलब है एवं बहुत ही सोचनीय विषय यह भी है पश्चिम क्षेत्र रामनगर लौगिंग प्रभाग के अन्तर्गत बैल पड़ाव लौट संख्या 8 , वर्ष 2024 – 2025 वर्तमान में तकरीबन 100 घन मीटर गोल प्रकाष्ठ अग्नि की चपेट में आने से वन निगम को लाखों रुपए का नुक्सान हो गया है यह सब वन विकास निगम प्रबंधन की हठधर्मिता नीति एवं वन निगम के प्रति नकारात्मक सोच के कारण को दर्शाता है ज्ञातव्य है कि यह सब अग्नि घटना स्थल में कर्मचारियों की कमी के कारण हुआ है , साथ ही यह भी संज्ञान में आया है कि प्रकाष्ठ डिपुओं में डिपुओं की क्षमता से अत्यधिक मात्रा में बहुमूल्य प्रकाष्ठ की चट्टावन्दी की गई है अथवा की जा रही है इसी तरह से काफी अनियमितताएं उजागर होती हुई दिखाई दे रही हैं । *वाह वन विकास निगम प्रबंधन तेरा भी कोई जवाब नहीं*
वन विकास निगम के सेवारत, सेवा निवृत्त एवं आउटसोर्स पर लगे कर्मचारियों का *वन विकास निगम कर्मचारी संघ की प्रांतीय कार्यकारणी के आह्वान* पर दिनांक – *25/03 2025 से* वन विकास निगम मुख्यालय अरण्य विकास भवन प्रांगण देहरादून में आन्दोलन के रूप में *कर्मचारी संघ* द्वारा डेरा डालो – घेरा डालो कार्यक्रम के पश्चात अब धरना कार्यक्रम पूर्वानुसार दिनांक :-07/04/2025 को भी जारी है ।

वन विकास निगम के अस्तित्व एवं कर्मचारियों की मान मर्यादा व प्रतिष्ठा को देखते हुए यह आन्दोलन एक निर्णायक आन्दोलन के रूप में तब्दील होगा इसके लिए संघ के पदाधिकारी जनप्रतिनिधियों से सम्पर्क बनाए हुए हैं।

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