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बलात्कारी को फांसी देने का काननू बनाया जाय

Pahado Ki Goonj

रोकने के लिए सख्त काननू बनाया जाय। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक

महिला के अपराध इस साल तीन लाख 59 हजार 849 मामले दर्ज किए हैं।

*हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक के साथ हुई हैवानियत की घटना ने वाकई मानव समाज को शर्मशार कर दिया है।इस घटना ने एक बार फिर से वर्ष 2012 के दिल्ली के निर्भया कांड के बाद के गुस्से को एक बार फिर से जगा दिया है ।देश के हर कोने –कोने में इस घटना को लेकर जबर्दस्त गुस्सा लोगो में दिखाई दे रहा है । और जो लड़की इन घटनाओ के खिलाफ अपनी आवाज संसद भवन के बाहर बुलन्द करती है तो उसकी आवाज बन्द करने के लिए जबरन दिल्ली पुलिस बिना किसी अपराध के मारपीट करके चार घण्टे जबरन लॉकअप में बंद कर देती है। क्या इसी तरह महिला अपराधों के* *खिलाफ बोलने वालों का हश्र किया जाएगा क्या यही अच्छे दिन की बानगी देश वासियों को देखने को मिल रही है। वाकई बहुत ही शर्मनाक यह कृत्य है ।*
*देश में महिलाओं के प्रति अपराध कम नहीं हो रहे हैं, बल्कि बढ़ते जा रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में 50 लाख 07 हजार 44 अपराध के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से तीन लाख 59 हजार 849 मामले महिलाओं के खिलाफ अपराध संबंधी हैं।*
*साल 2015 में महिलाओं के प्रति अपराध के तीन लाख 29 हजार243 मामले दर्ज किए गए। 2016 में इस आंकड़े में नौ हजार 711 मामलों की बढ़ोतरी हुई और तीन लाख 38 हजार 954 मामले दर्ज किए गए। वहीं साल 2017 में ऐसे 20 हजार 895 मामले और बढ़ गए और इस साल तीन लाख 59 हजार 849 मामले दर्ज किए।*
*उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध के मामले सबसे ज्यादा दर्ज हुए हैं और उतनी ही तेजी से बढ़े भी हैं। वहीं, लक्षद्वीप, दमन व दीव, दादरा व नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेश और नागालैंड में* *महिलाओं के प्रति अपराध के सबसे कम मामले दर्ज किए गए हैं।*
*उत्तर प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 35 हजार 908 और साल 2016 में 49 हजार 262 थी।* *जबकि साल 2017 में कुल 56 हजार 11 मामले दर्ज किए गए।*
*वहीं एनसीआरबी के आंकड़े दिल्ली में काफी हद तक हालात सुधरने की ओर इशारा कर रहे हैं। दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 17 हजार 222 और साल 2016 में 15 हजार 310 थी। वहीं 2017 में इन आंकड़ों में कमी आई और 13 हजार 76 मामले दर्ज किए गए।*
*एनसीआरबी की रिपोर्ट राजस्थान में भी कुछ हद तक हालात सुधरने की ओर इशारा कर रही है, वहीं मध्य प्रदेश में स्थिति खराब हुई है। मध्य प्रदेश में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 24 हजार 231 और साल 2016 में 26 हजार 604 थी। वहीं 2017 में 29 हजार 788 मामले दर्ज किए गए।*
*वहीं, राजस्थान में महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज मामलों की संख्या साल 2015 में 28 हजार 224 और साल 2016 में 27 हजार 422 थी। वहीं 2017 में मामलों में कमी आई और 25 हजार 993 मामले दर्ज किए गए।*
*बिहार में साल 2015, 2016 और 2017 में क्रमश: 13 हजार 904, 13 हजार 400 और 14 हजार 711 मामले महिलाओं के प्रति अपराध के दर्ज किए गए। वहीं, महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या साल 2015, 2016 और 2017 में क्रमश: 31 हजार 216, 31 हजार 388 और 31 हजार 979 है।
बेहद चौकाने वाले यह आकडे किसी नासूर से कम नहीं है ।हैवानियत का यह गंदा खेल हमारी बहिन बेटियों के लिए नर्क बन गया ।सिर्फ यही नही यूपी के सम्भल में एक किशोरी को दुष्कर्म का विरोध करने पर जीन्दा जला दिया गया, जहाँ उसे गम्भीर हालत में दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में दम तोडा ।* *हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक के साथ हुई हैवानियत की घटना ने एक बार फिर से देशवासियों को इस जघन्य अपराध की विभित्सा के बारे में सोचने पर विवश कर दिया है । इस मामले को राष्ट्रीय महिला आयोग ने बेहद गम्भीरता से लिया है , साथ इसमें मामले में पुलिस की धीमी कार्यशैली पर भी सवाल उठाये है । राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने तेलंगाना के गृहमन्त्री* *मोह्म्मद महमूद अली के बयान “बहन के बजाय पुलिस को फ़ोन करती तो शायद बच जाती “ बयान को सवेंदनहीन बताया । हमारे देश में रोज कही न कही से रेप,* *दुष्कर्म , यौन उत्पीडन , छेड़छाड़ की घटनाये समाचार पत्रों की सुर्खिया बनती है । जब कोई महिला पुलिस को अपनी आप बीती बताती है तो अधिकतर मामलो में सुनवाई न करके पुलिस उल्टा बैरंग वापस भेज देती है। जिस देश में कन्याओ की पूजा की जाती हो उसी देश में एक लडकी को* *उसकी अस्मत लूटने के बाद उसकी पहचान मिटाने के लिए उसको जला दिया जाए , क्या यही हमारे देश की संस्क्रृति और सभ्यता है।वाकई मानवता को शर्मशार कर देने वाले इस मामले को देश की सुप्रीम संस्था सुप्रीम कोर्ट को बेहद गम्भीरता से लेते हुए महिलाओ के प्रति बढ़ते जघन्य अपराधो की सजा के लिए फ़ासी की सजा का तुरंत फरमान देना चाहिए,आखिर कब तक कितनी निर्भया इन हवस के वहसी दरिंदो का शिकार होती रहेंगी ।

गांव और शहर के सूनसान खंडहरों की बरसों तक जब कोई सुध नहीं लेता है तब यह जगह आवारा और आपराधिक किस्म के लोगों की समय गुजारने की स्थली बन जाती है।
यह जगह पुलिस और प्रशासन से दूर जहां इन लोगों के लिए ‘सुरक्षित’ होती है वहीं एक अकेली स्त्री के लिए बेहद असुरक्षित। महिला के चीखने-पुकारने पर भी कोई मदद के लिए नहीं पहुंच सकता।
*आज हमें बलात्कार को धर्म, मजहब के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। बलात्कारी कहीं भी हो सकते हैं, किसी भी चेहरे के पीछे, किसी भी बाने में, किसी भी तेवर में, किसी भी सीरत में। बलात्कार एक प्रवृति है।उसे चिन्हित करने, रोकने और उससे निपटने की दिशा में यदि हम सब एकमत होकर काम करें तो संभवतः इस प्रवृत्ति का नाश कर सकते है। कानून बनाने से  हैदराबाद

के  पशु डॉक्टर के साथ  हैमनियत करने वाले  चार दरिंदों के द्वारा पुलिस से हथियार छीन कर भागने पर उनका पुलिस के ऊपर गोली चलाने के बाद उनका एनकांउटर करने पर  जनता ने पुलिस के ऊपर फूल बरसाए कन्धों पर उनको उठा कर स्वागत किया गया है। ऐसी स्थिति पैदा नहो ।ऐसे अपराध को

रोकने के लिए  जनता फांसी की सजा देने को कह रही है । ऐसी स्थिति में समाज को देखते हुए उसके रोकने का कानून बनाया जाय तो ऐसे में जनता एवं साहसी पुलिस कर्मियों की फिर काननू  रक्षा कर सकेगा। साभार एवं जन के विचार पर आधारित    चर्चा के लिए है ।

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