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जौनसार बावर में धूमधाम से मनाया जा रहा है मरोजपर्व ।

Pahado Ki Goonj

जौनसार बावर में धूमधाम से मनाया जा रहा है मरोज पर्व ।                                                              बडकोट ।।               ( मदनपैन्यूली )             उत्तराखंड में  पौराणिक संस्कृति त्योहार पर्व अपनी पुरानी परंपरा को बचाए हुए रखा है इसी के चलते रवाई नहीं अपितु जौनसार बावर जौनपुर  मरोज का त्यौहार इन दिनों धूमधाम से मनाया जा रहा है ,                     मरोज  के पर्व पर घर-घर बकरे काटे जा रहे हैं ,बाबर जौनसार क्षेत्र  में इस माघ महीने में मनाये जाने वाले मरोज के त्योहार पर जौनसार क्षेत्र में शनिवार को हजारों बकरे काटे जाने के साथ ही मरोज का त्योहार धूमधाम से मनाया गया ,   बावर क्षेत्र में शुक्रवार को बकरे कटने के साथ ही एक दिन पहले मरोज का त्योहार शुरु हुआ है। पूरा जौनसार बावर मरोज के त्योहार के जश्न में डूबा हुआ है। मरोज के त्योहार पर जहां घरों में तरह तरह के पकवान बनाकर उनका लुत्फ उठाया जा रहा है। वहीं पूरा जौनसार बावर हारुल और तांदी के गीतों पर थिरक रहा है। जौनसार बावर में पूरे माघ के महिने में मरोज का त्योहार मनाया जाता है। गुरुवार से  मंदिर में चुराज का बकरा कटने के साथ ही क्षेत्र में त्योहार का आगाज हुआ है। बावर क्षेत्र में शुक्रवार को बकरे काटे गये जबकि जौनसार में शनिवार सुबह को बकरों के काटे जाने के साथ ही मरोज का त्योहार धूमधाम के साथ शुरू हो गया है। मरोज के त्योहार पर जहां घर घर में तरह तरह के लजीज व्यंजन बनाये जा रहे हैं और उनका लुत्फ उठाया जा रहा है। वहीं घरों में जमकर मेहमानबाजी भी हो रही है। दूर दराज के क्षेत्रों से मेहमान जहां रिश्तेदारियों में आये हैं वहीं प्रवासी जौनसारी लोग भी अपनी नौकरी पेशा से छुट्टी लेकर त्योहार को मनाने के लिए पहुंचे हैं। एक दूसरे को गले लगाकर त्योहार का जश्न मना रहे हैं। हर कोई त्योहार के रंग में पूरी तरह से रंगा हुआ है। इस दौरान पूरा जौनसार बावर मरोज के त्योहार के रंग में पूरी तरह से रंग गया है। प्रत्येक गांव के पंचायती आंगनों से लेकर घर घर में पारंपरिक वाद्ययंत्रों ढोल, दमाऊ,रणसिंघा की तान पर हारुल, तांदी के गीत नृत्यों पर लोग थिरकर रहे हैं। पंचायती आंगनों में बुजुर्ग महिला, पुरुष, युवक, युवतियां, महिला पुरुष व बच्चे सामुहिक गीत नृत्यों पर थिरकते रहे। यही नहीं गांवों में रातभर लोग पारंपरिक सांस्कृतिक गीत नृत्यों के साथ घर घर में थिरकते रहे।

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