देश भर में मनाया जा रहा है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के सर्ववरिष्ट धर्माचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का शताब्दी वर्ष – पट शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के सर्ववरिष्ट धर्माचार्य स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती के जन्मोत्सव की तैयारी सुरु होगई हैं
30 अगस्त को भव्यायोजन के साथ मनाया जाएगा महाराज श्री का प्रक्टोउत्सव
जोशीमठ पहाडोंकीगूँज ukpkg.com शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी महाराज ने जानकारी दी है कि
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के सर्ववरिष्ट धर्माचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज का 99वां जन्म महोत्सव आगामी भाद्रपद शुक्ल तृतीया तदनुसार दिनांक 30 अगस्त 2022 मंगलवार को तोटकाचार्य गुफा, ज्योतिर्मठ, चमोली के योगिनी सभा में शङ्कराचार्य जी की पादुका के सान्निध्य में मनाया जाएगा ।इस अवसर पर चातुर्मास्य समारोह समिति के समस्त सदस्यगण
मध्याह्न 11 बजे से विशाल भण्डारा का आयोजन में सेवा करंगे और विभिन्न क्षेत्रों के विद्यालयों के छात्रों ,सामाजिक कार्यकर्ता मंडलियों के द्वारा सायं 4 बजे से 6 बजे तक विविध सांस्कृतिक ,भजन कार्यक्रम में प्रतिभाग किया जायेगा । (रीबर्स पलायन के लिए लिखवार गांव भदूरा टिहरी गढ़वाल एवं शेरगढ मांजरी देहरादून में ओर्गनिक काली हल्दी का उत्पादन किया जारहा है) जनता का कहना है कि सरकार काली हल्दी, काला आलू,काली अदरक ,काला धान काला गेहूँ को सरकारी जीन्स घोषित कर किसानों की आय दुगुनी करने की कार्यवाही करनी चाहिए।
( घर एंव अपने को सुरक्षित रखने ,बेरोजगारी दूर करने के लिए ,आज की महंगाई को देखते हुए शरीर से सुगर, मृगि, कोरोना, कैंसर ,सौंदर्य के बचाव के लिए काली हल्दी का प्रयोग कराने के लिए बड़े गमलों ,खेतों में उगा लीजयेगा। इसके उगाने से किसान को जहां कम जोत की खेती से ज्यादा आमदनी होगी वहीं ज्यादा से ज्यादा देश ,दुनिया के लोग इसका प्रयोग कर अपने को सुरक्षित रखने में सहायक होंगे। आयुर्वेद को बढ़ावा मिलेगा , बातावरणसुगन्धित रहने से जंगली जानवरों से नुकसान का खतरा कम रहता है जानकारी एवं बीज लेने के लिए संपर्क वट्सप नम्बर 8755286843 )
कार्यक्रम में समलित हुये विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले विशिष्ट विभूतियों का अभिनन्दन कर सम्मानित किया जाएगा कार्यक्रम में आने वाले श्रद्धालुओं को आश्रम में पहुचने के लिए सम्पर्क
मुकुन्दानन्द ब्रह्मचारी 9670296702 ,विष्णुप्रियानन्द ब्रह्मचारी 6390048101 किजयेगा।
पहाड़ों की गूंज राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र का app आ गया है । सभी सदस्य,सुधी पाठक नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके तुरंत ही जुड़ें और अपना सदस्य ID कार्ड प्राप्त किजयेगा – Powered by Kutumb App
https://kutumb.app/p-k-g-r-h-s-s-p?slug=17325052ab03&ref=TWIXW&screen=id_card_section
सुप्रभात पहाडोंकीगूँज राष्ट्रीय साप्ताहिक समाचार पत्र ने जन समस्याओं के निराकरण , रोजगार देने व बढ़ाने के लिए विगत 11 वर्षों के अल्प प्रयास दिखाई दे रहे हैं। आप सदस्य बनकर और दूसरे को जोड़कर हमारी टीम का उत्साह बढ़ाने में सहयोग किजयेगा। जय बदरीविशाल
आदि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती। जी महाराज का जीवन परिचय
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज (जन्म: २ सितम्बर १९२४) एक हिन्दू अध्यात्मिक गुरु, स्वतन्त्रता सेनानी हैं महाराज श्री स्वरूपानंद सरस्वती।
हिंदुओं को संगठित करने की भावना से आदिगुरु भगवान शंकराचार्य द्वारा 1300 बर्ष पूर्व भारत के चारों दिशाओं में चार धार्मिक राजधानियां (गोवर्धन मठ, श्रृंगेरी मठ, द्वारका मठ एवं ज्योतिर्मठ) बनाईं हैं। जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी दो मठों (द्वारका एवं ज्योतिर्मठ) के शंकराचार्य हैं । शंकराचार्य का पद हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है,हिंदुओं का मार्गदर्शन एवं भगवत् प्राप्ति के साधन आदि विषयों में हिंदुओं को आदेश देने के विशेष अधिकार शंकराचार्यों को प्राप्त होते हैं । सभी हिंदूओं को शंकराचार्यों के आदेशों का पालन करना चाहिये । वर्तमान युग में अंग्रेजों की कूटनीति के कारण धर्म का क्षय, जो किया है ।यह हमारी शिक्षा पद्धति के दूषित होने एवं गुरुकुल परंपरा के नष्ट होने से हुआ है। हिंदूओं को संगठित कर पुनः धर्मोत्थान के लिये चारों मठों के शंकराचार्य एवं सभी वैष्णवाचार्य महाभाग सक्रिय हैं । स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती जी, सांई बाबा की पूजा करने के विरोध में हैं क्योंकि कुछ हिंदू दिशाहीन हो कर अज्ञानवश असत् की पूजा करने में लगे हुए हैं जिससे हिंदुत्व में विकृति पैदा हो रही है । स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी के अनुसार इसके कारण गैर लोग भारत में आकर कृष्ण भक्ति की आड़ में धर्म परिवर्तन कर रहा है, ये अंग्रेजों की कूटनीति है कि हिंदुओं का ज्ञान ले कर हिंदुओं को ही दीक्षा दे कर अपना शिष्य बना रहे हैं ।
स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म २ सितम्बर १९२४ को मध्य प्रदेश राज्य के सिवनी जिले में जबलपुर के पास दिघोरी गांव में ब्राह्मण परिवार में पिता श्री धनपति उपाध्याय और मां श्रीमती गिरिजा देवी के यहां हुआ। माता-पिता ने इनका नाम पोथीराम उपाध्याय रखा। नौ वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ कर धर्म यात्रायें प्रारम्भ कर दी थीं। इस दौरान वह काशी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। यह वह समय था जब भारत को अंग्रेजों से मुक्त करवाने की लड़ाई चल रही थी। जब १९४२ में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा लगा तो वह भी स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और १९ साल की उम्र में वह ‘क्रांतिकारी साधु’ के रूप में प्रसिद्ध हुए। इसी दौरान उन्होंने वाराणसी की जेल में नौ और मध्यप्रदेश की जेल में छह महीने की सजा भी काटी। वे करपात्री महाराज की राजनीतिक दल राम राज्य परिषद के अध्यक्ष भी थे। १९५० में वे दंडी संन्यासी बनाये गए और १९८१ में शंकराचार्य की उपाधि मिली। १९५० में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती से दण्ड-सन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती नाम से जाने जाने लगे।
आगे पढें
वीडीसी बैठक मे सड़क,शिक्षा,स्वास्थ्य,विद्युत व पेयजल की समस्या छाई रही
आगेपढें