देहरादून: उत्तराखंड में गहराते मानव-वन्यजीव संघर्ष को थामने के लिए जर्मनी ने मदद को हाथ बढ़ाया है। इस सिलसिले में जर्मन इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी ने देश के तीन राज्यों उत्तराखंड, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में मानव व वन्यजीवों के बीच छिड़ी जंग के कारणों के साथ ही इसके समाधान के उपायों को लेकर गहन अध्ययन करने के लिए चुना है। इसके लिए 32 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। इस कड़ी में उत्तराखंड में कवायद भी प्रांरभ कर दी गई है।
71 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष चिंताजनक स्तर पर पहुंच चुका है। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि पिछले 17 सालों में 550 से अधिक लोग मारे गए, जबकि लगभग 1800 घायल हुए हैं। तमाम कोशिशों के बाद भी लगातार गहराती इस समस्या का निदान नहीं हो पाया है। इस बीच इससे निबटने की कड़ी में जर्मनी ने भी सहयोग देने का निश्चय किया है।
वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जय राज के अनुसार जर्मन इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी ने तीनों राज्यों में मानव-वन्यजीव संघर्ष के कारणों, इसके निदान समेत अन्य बिंदुओं पर समग्र अध्ययन के लिए चार मिलियन यूरो यानी करीब 32 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। वन विभाग के सहयोग से राज्य में भी एजेंसी इसका अध्ययन कराएगी। इस कड़ी में देहरादून में कार्यशाला भी आयोजित की गई, जिसमें योजना से संबंधित जानकारी दी गई। इसमें भारतीय वन्यजीव संस्थान, वन विभाग और जर्मन एजेंसी के प्रतिनिधि व विशेषज्ञ मौजूद थे।