धर्म नगरी ऋषिकेश में ब्रिटिश शासनकाल में छह नवंबर 1922 को ऋषिकेश नोटिफाइड एरिया कमेटी का गठन हुआ। ऋषिकेश निकाय भंग होने के बाद 1950 के महाकुंभ में पहली बार यहां दो इंजन लगाकर लाइट की व्यवस्था की गई। तीन दिन बाद चार मई को जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ऋषिकेश आए तो पूरा शहर बिजली की रोशनी से पहली बार नहाया था। 1930 में यहां के लोगों ने पहली बार रेल सेवा का लाभ उठाया।अब कर्णप्रयाग रेल लाइन पर कार्य रेलवे अधीन हिमांशु बडोनी की रेख देख तीव्रगति से किया जारहा है।
1922 को ऋषिकेश में नोटिफाइड एरिया कमेटी बनी थी। महंत परशुराम इसके प्रथम अध्यक्ष हुए। ऋषियों की की नगरी के रूप में पहचान रखने वाली तीर्थनगरी में 1924 में भयंकर बाढ़ आई। जिसमें तीन सौ महात्मा बह गए थे। अब ऋषिकेश मैं चंडी प्रसाद पुरोहित और उनका परिवार।और बाकी कुछ सन्यासी ऋषिकेश वासी बचे रहें। 1950 से पूर्व निकाय के कर्मचारी सड़क किनारे लैंप पोस्ट में तेल डालकर उसे मशाल से जलाते थे। 1950 के महाकुंभ में पहली बार यहां दो इंजन से बिजली की व्यवस्था हुई। चार मई 1950 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बदरीनाथ जाते हुए जब यहां पहुंचे तो पूरा शहर पहली बार रोशनी में नहाया था। 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ऋषिकेश आए थे। उनसे भरत मंदिर के महन्त फरशुराम शर्मा जी के छोटे भाई
शान्ति प्रपन्न शर्मा पूर्व मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार की मित्रता थी उन्होंने जीवन रक्षक दवाई के कारखाने से हजारों लोगों को रोजगार देने के लिए आई डी पी यल कारखाना रुस सरकार की मदद लगा कर रिश्केश की धरती से समृद्ध राष्ट्र निर्माण बनाने का कार्य किया।
अक्टूर राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बदरीनाथ जाते हुए फिर ऋषिकेश आए थे। ऋषिकेश में पहली बार वर्ष 1930 में रेल सेवा पहुंची थी। सुभाष चौक, मेन बाजार, क्षेत्र रोड यहां के मुख्य बाजार होते थे। 1929 में तत्कालीन अध्यक्ष स्वामी अद्वेतानंद ने पहली बार क्षेत्र रोड की सड़क का पक्का निर्माण कराया था और उसी दौरान नगर पालिका भवन का भी निर्माण हुआ। 1933-34 में पहली बार ऋषिकेश की सड़कों का नक्शा प्लान तैयार हुआ।1947 में पहली बार विभाजन के बाद पाकिस्तान से शरणार्थी ऋषिकेश आए थे। 1940 में कोतवाली देहरादून रोड के सामने पहली प्राथमिक पाठशाला का निर्माण हुआ। 28 नवंबर 1925 को ऋषिकेश की सीमाएं निर्धारित हुईं। जब राष्ट्रपति ने पत्तल में खाना खाया। एक अक्टूबर 1960 को जब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ऋषिकेश में आए थे तो यहां के पौराणिक और प्रख्यात धाíमक संस्था बाबा काली कमली में भंडारे की व्यवस्था की गई और उन्हें भोज में बुलाया गया था। उनके सम्मान में संस्था के प्रमुख संचालकों ने जब सोने-चांदी के बर्तनों में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भोजन परोसा तो उन्होंने इन बर्तनों में बड़े ही सरल भाव में भोजन करने से इन्कार किया। उनकी इच्छा का सम्मान किया गया। और ऋषिकेश पुरोहितों और उन्होंने संतों के साथ जमीन पर बैठकर पत्तल में भोजन ग्रहण किया था। इस दौरान राष्ट्रपति श्री भरत मंदिर के दर्शन किए। उसके बाद हीरालाल अग्रवाल 1954 से 1967 तक 13 वर्ष अध्यक्ष रहे।उसके बाद देवेन्द्र स्वरूप ब्रह्मचारी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने।यहाँ पर उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के लिए सिंचाई विभाग का ,दीजिबीआर ,आई टी बी पी बेश कैंप कार्यालय खुलने से, आबादी में बृद्धि से नगर का आकार बढ़ा, अब टिहरी बांध परियोजना का मुख्यालय, आय कर,बिक्री कर, मंडी समिति के बड़े कार्यलय काम कर रहे हैं।1972 चीला पावर हाउस के निर्माण, नगर पालिका परिषद से लगे नगर पंचायत मुनिकीरेती कैलाश गेट पर प्रतापनगर भदूरा निवासी
नत्था सिह कीर्ति सिंह पोखियाल मैनेजर जाने माने समाज सेवी के नाम से रोलर फ्लोर मिल का निर्माण किया गया उसके बाद
ग्राम पंचायत ढालवाला को उद्योग केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।टिहरी गढ़वाल के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ,लेखक, पत्रकार पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली की सकारात्मक सोच से चार धाम यात्रा,उधोग से रोजगार को बढ़ावा देने के लिए गढ़वाल मंडल विकास निगम की स्थापना की गई है। वह हिमांचल प्रदेश के दोबार कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए वहां के विकास की स्थितियों को देखते हुए कार्य कर खुशहाली लाने का काम किया।
अब ,राफ्टिंग उधोग, योगा, एंव अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, के विकास होने से ऋषिकेश धर्म नगरी की महत्ता बढ़ रही है। सावन माह में नीलकंठ महादेव मंदिर में एक करोड़ से ज़्यादा भगत जल चढ़ाने देश के कोने कोने से आते हैं।आधुनिक ढंग से बस टर्मिनल का निर्माण विकास पुरूष नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री ने करवाया है उन्हीं के द्वारा स्थापित उधोगों से उत्तराखंड की आय होरही है।
छह नवंबर 1922 में नोटिफाइड एरिया कमेटी बनी थी। आठ अगस्त 1949 को टाउन एरिया कमेटी बोर्ड का गठन हुआ। 12 नवंबर 1953 को नगर पालिका परिषद वजूद में आया। पुरोहित परशुराम इसके अध्यक्ष बने।
हृषिकेश मैं सबसे पौराणिक इतिहास ऋषिकेश पुरोहितों का है। राजपुरोहित चंडी प्रसाद।
।।नितिन पुरोहित।।