गौं कोटली (पाबौ) अर गवाणी (पोखड़ा), पौड़ी गढ़वाल म साहित्यिक-सांस्कृतिक समारोह को चार दिवसीय सफल आयोजन-जगमोरा रिपोर्ट
प्रिय देवतुल्य प्रबुद्धजनों,
आप सब्यूंक चरणों से हमरी गौं-कोटली (पाबौ) अर गवाणी (पोखड़ा) की धरती धन्य ह्वै, आप सब्यूं का गुणगान करदा इ द्वी गौं का लोग थकणा नि छन भारै। आप सब्यून अपणी अपणी बेश्कीमती साहित्यिक-सांस्कृतिक म्यलाग देकि यखा लोगों का दिल म अमिट छाप छोड़ दे। गौं कोटली मेरो जनम से कमयूं च त गौं गवाणी मेरु करम से कमयूं च, त आज मि दावा से कहदौं कि मिन छक्कणै पुण्य-धरम आप सभी विद्वतजनों का आशीष से कमैयाल।
उत्तराखण्ड लोक भाषा साहित्य मंच, दिल्ली का तत्वावधान म उरयां चार दिवसीय प्रथम राठ साहित्यिक-सांस्कृतिक महोत्सव, 2023 गौं कोटली मा अर प्रथम फीलगुड साहित्यिक-सांस्कृतिक महोत्सव, 2023 गंवाणी मा विधिवत सम्पन्न अर सफल ह्वै, ज्यां को श्रेय आप सब विद्वतजनों तैं जांद। ये महायज्ञ मा गौं कोटली-गवाणी, रंत रैबारी परिवार, डीपीएमआई, फीलगुड, ह़स फाउंडेशन, पहाड़ी फ्रैश, उत्तराक्ष, धात साहित्यिक मासिक पत्रिका, रंत रैबार, चिट्ठी-पत्री, मेरु मुलुक अर राठ का लाडला यूट्यूब चैनल को विशेष सहयोग रै, ज्यांखुणी मि यूं सब्यूं को विशेष आभार करदौं।
यूं दुयुं महोत्सवों को विशेष आकर्षण छयो मेरी द्वी पजल पोथी ‘लुणत्यळि’ अर ‘दुणत्यळि’ को ब्यो-विमोचन समारोह, साहित्यिक/कवि सम्मेलन, लोक भाषाओं फर भाषाविदों द्वारा लोकल स्कूलों-कालिजों का विद्यार्थियों का दगड़ा भाषा परैं परिचर्चा, अठारह ग्रामीण महिलाओं द्वारा सांस्कृतिक रंगारंग प्रोग्राम, यानी हर उम्र, हर वर्ग का श्रेत्रीय लोगों द्वारा बड़चड़ीक प्रतिभाग करणों, यूं दुई मैराथनी महोत्सवी जातरा खुणै मील को पत्थर साबित ह्वे।
हाथ कंगन को आरसी क्या? अर पढ़ै-लिखे को फारसी क्या? लोक साहित्य की य नै-नवाड़ ‘पजल विधा’ लोक जगत मा लोक साहित्य मा रिमझिम अमृतमय बरखा का सान्निध्य समाज को दर्पण बणीक यनु छपछपाई जनु कि देवतुल्य लोगों कि जिकुड़ि बुकड़ि अर मुखड़ि मा दूधबोलि छपछपी लगांद। आदरणीय श्री सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ जी, आदरणीय श्री बृजमोहन वेदवाल शर्मा जी अर आदरणीय रंत-रैबारी मातृशक्ति श्रीमती सविता (सीमा) पंत जी का द्वारा पुरस्कार आधारित तीन पजलों को वांचन स्थानीय लुखों का बीच मा सफल प्रयोग रै, दुई जगौं मा तीन पजल हि हल नि ह्वेनि, बल्किन ज्यै साहित्य कि अर जखा साहित्य की रचणा ज्यादातर साहित्यकार शहरों मा लेखि करदन, वो साहित्य वीं देवभूमि का जळणों तक भी पौंछी, यो अभिनव प्रयोग पैल्या हि प्रयास म बहुत सफल रै, किलैकि पजल फारमेट की छंदबद्ध 32 लाईनों की शुरुआती 4 लाईनों मा स्थानीय लोगों द्वारा पजल हल कन्नो, इं पजल विधा तैं स्थानीय देवतुल्य लोगों द्वारा सर्व स्वीकार्य करणौं प्रत्यक्ष प्रमाण च। जब इं नै-नवाड़ गढ़गीतिकाब्य पजल विधा तैं देवभूमि का स्थानीय लोग बड़चड़ीक अंगीकार करणा छन्, त मि सभी साहित्यकारों से विनीत आग्रह करदौं कि अज्यूं तक लिखीं चार मानस पुत्री स्वरूप चार पजल पोथियां हुणत्यळि, गुणत्यळि, लुणत्यळी अर दुणत्यळी वूंका लैकवान ब्योला-पाठकों का हात मा ऐ ग्येनी, त इ चरि नातानुसार आपकी ब्वारी बेटी ह्वैगिनी, त यूं तैं यथोचित स्थान दीण मा अपणी अपणी म्यलाग द्यावा। यूं मातृशक्तियों को सम्मान सरस्वती का देवतुल्य वरदपुत्र नि करला, त हौरी कु करलो भै?
जणकि आप सब्यूं तैं विदित ह्वेगि कि यूं दुई महोत्सवों मा मातृशक्तियों अर स्कूली बच्चों को विशेष योगदान रै, यानी आप बोल सकदां कि साहित्य को नख-शिख जागृत ह्वेगि। जख एक ओर गोपेश्वर का एक तेरह साल का बच्चान् अपणी कविता द्वारा सब्यूंको दिल जीति, वखी गवाणी की 80 साल से ऊपर पदनी बोडी श्रीमती थानेश्वरीन् गीत कविता का रूपम ब्वै दुर्गा सि सब्यूं तैं आशीष दीनी।
उत्तराखंड लोकभाषा साहित्य मंच, दिल्ली का आयोजक मंडल का सभी साहित्यकारों को आयोजन सफल बणाण म विशेष योगदान दे, वोंन, खासकर मंच का झंडाबरदार कृष्ण जनु हमर आदरणीय श्री दिनेश ध्यानी जी, संयोजक, धरमराज युधिष्ठिर जनु हमर बड़ा भैजी आदरणीय श्री सुशील बुड़ाकोटी ‘शैलांचली’ जी (जोंकि छतरछाया मा मि द्वी दिन पैलि ही स्कूलों, आयोजन स्थलों मा सफल आयोजनों की भूमिका बंधणु रौं), अपणी पाबौ गाड का भीम जनु सर्वश्रेष्ठ बलशाली आदरणीय श्री अनिल पंत जी, समन्वयक (जो मि तैं साहित्य संत का रूपम परिभाषित कन फर लग्यां छन), कंधा से कंधा मिला वला अपणा सच्चा साथी आदरणीय श्री दर्शन सिंह रावत, कार्यक्रम समन्वयक जीन् आह्वाहन का मुताबिक अपणी कविता पाठन से ऊपर उठीक ये महायज्ञ मा बड़ा रोल मा अपणी म्यलाग दे, त वूं सब्यूं को विशेष आभार व्यक्त करदौं। विशेष सलाहकारों का रूप म मि आदरणीय श्री रमेश घिल्डियाल जी, आदरणीय श्री जबर सिंह कैंतुरा जी को भी विशेष आभार व्यक्त करदौं। हनुमान जनु अपणा राम तैं ‘चर दिनै धक्काधूम’ म नचाणु खुण मि आदरणीय भुला श्री कामेश बहुगुणा जी को अर गवाणी मा अंगद की तरां पांव जमाणु खुण मि आदरणीय भुला श्री जसवीर जस्टिस को विशेष आभार व्यक्त करदौं, किलै कि वो ही क्रमशः ईं पजल विधा स्वरूप रामायण का जय श्री हनुमान अर हिमालय जनु अडिग श्री अंगद छन।
मंच संचालक का रूपम आदरणीय श्री गणेश खुगशाल गणी जी को रोल प्रथम पुजण्य श्री गणेश जनु हि हुणत्यळो रै त आदरणीय श्री गिरीश सुंदरियाल जी को रोल श्री हनुमान जनु ज्ञान गुन सागर सि गुणत्यळो रै।
भाषाविद साहित्यकार दंपति आदरणीय श्री रमाकांत बेंजवाल अर आदरणीय श्रीमती बीना बेंजवाल यूं दुई महोत्सवों कि आन बान अर शान बणीकी रैनी, त वरिष्ठ गजलकार आदरणीय श्री पयाश जी अर आदरणीय श्री दीन दयाल बन्दूणी ‘दीनु’ भैजी गजल विधा का शिरोमणि अर हीरामणि बणीकी आकाशवाणी मा वितानित ह्वेनि। आदरणीय श्री राकेश मोहन ध्यानी जी अर आदरणीय श्री ओम ध्यानी जीन् , आदरणीय दिनेश ध्यानी जी का महायज्ञ म अपणा सुरों की हामी भरी त श्रीनगर से अयां द्वी सिद्धहस्त गीतकारों आदरणीय देवेंद्र उनियाल अर आदरणीय संदीप रावत जीन् अपणी गायकी से समा बांधी।
आदरणीय चंदन प्रेमी जीन गौं का गदिनों मा चंदन बौगै त आदरणीय भगवती प्रसाद जुयाल गढ़देशी जी को ‘मेरु बुड्या को ब्यो च’ म ब्योला जनु ‘मालार्पण’ खूब भाई। आदरणीय गिरधारी रावत, आदरणीय ओम प्रकाश पोखरियाल, त्याग द्वी स्कुल्या मित्र आदरणीय दीवान सिंह नेगी जी अर आदरणीय योगराज सिंह रावत जी को भी मि विशेष आभार ब्यक्त करदौं, जौन् अपणु बेशकीमती म्यलाग दे। खुद अपणा हि इंतजाम से, देहरादून से अयां आदरणीय मदन डुकलान जी, आशीष सुंदरियाल जी अर डाक्टर अनूप वीरेंद्र कठैत जी, भोपाल से अयां आदरणीय के पी जोशी जी अर दिल्ली से अयीं तीन मातृशक्ति भुली आदरणीय श्रीमती निर्मला नेगी जी, श्रीमती सुमन पोखरियाल जी अर श्रीमती सीमा नेगी भैंसोड़ा जी को भी आभार व्यक्त करदौं। बकि भूल चूक जैकु भी नौ लेण से रैगी, वूंको भी मि दिल से आभार ब्यक्त करदौं।
देवभूमि की अपणी य जातरा 10-11 मई तक अनवरत चलणी रैली, त उम्मीद करदौं कि ये महायज्ञ का दुसरा पड़ाव मा मि साहित्य जगत का वूं कुछेक खास श्रेष्ठजनों से ब्यक्तिगत मुलाकात करलो, जो कै वजै से समारोह मा सामिल नि ह्वे सकन।
आखिर म मि अपणा सह आयोजकों कोटली का द्वी अपणा भुला आदरणीय सुधीर रावत कर आदरणीय भरत सिंह रावत अर फीलगुड (गवाणी) का संस्थापक आदरणीय सुधीर सुंदरियाल जी अर आयोजक सदस्य जसवीर जस्टिस को भी विशेष आभार व्यक्त करदौं। मि आशा करदौं कि देवभूमि का ये महायज्ञ मा न्यूत्यां सभी मैमान सुखद यादों का साथ अपणा अपणा घार पौंछीकी कुशल मंगल होला, यूं ही शब्दों का साथ मि सब्यूं को एक बार पुनः आभार व्यक्त करदौं।
जगमोहन सिंह रावत ‘जगमोरा’
प्रथम गढ़गीतिकाब्य पजलकार
मोबाइल नंबर-9810762253
गौं-कोटली, पाबौ, पौड़ी गढ़वाल