दुनिया में पहली बार किसी लोकतंत्र की फोटो भारत के ग्राफिक्स रूप में

Pahado Ki Goonj

साइंटिफिक-एनालिसिस

दुनिया में पहली बार किसी लोकतंत्र की फोटो …..भारत के ग्राफिक्स रूप में

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत का हो, सबसे शक्तिशाली अमेरीका का व अन्य किसी भी देश का सभी धीरे-धीरे विघटित हो रहे हैं | इसके लिए सभी देशों के प्रमुख आपस में अमेरिका के राष्ट्रपति की अध्यक्षता में तीन बार मीटिंग कर चिंता जता चुके हैं परन्तु इस विघटन को रोकने का कारगर उपाय व तरीका किसी के पास नहीं हैं | इसके कारण वर्तमान में कुछ ठोस कार्य नहीं हो पा रहा हैं व भूतकाल को देखते हुए बिखरने का आभास तो हो रहा हैं परन्तु भविष्य नहीं बन पा रहा हैं |

भारत में लोकतंत्र 1950 में दुनिया के मौजूद सभी लोकतंत्रों की अच्छाईयों को लेकर संविधान के रूप में स्थापित किया गया | यह उस समय के अनुसार किताब के रूप में मौजूद हैं | मैंने जब अपने आविष्कार के फायदे (एक मिनिट में मर रहे एक इंसान को बचाने) को देश व दुनिया के लोगों तक पहुंचाने के लिए फैसले एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु देश के राष्ट्रपति को दुनियाभर से प्राप्त दस्तावेजों से बनी दस पेज की संकलन सूची वाली 3.5 किलोग्राम की फाईल में 8 नम्बर 2011को भेजा जो 11नम्बर को प्रक्रिया में सुचिबद्ध हुआ तब इन्हीं दस्तावेजों के आधार व इस समय तक चली सरकारी प्रक्रियाओं के आधिकारिक दस्तावेजों सें पहली बार एक ग्राफिक्स रूप में सिस्टम यानि लोकतंत्र को उसकी अवधारणाओं के अनुरूप व्यक्त करते हुए संविधान संरक्षक राष्ट्रपति के पद की शक्तियों, जिम्मेदारीयो एवं कर्तव्यों के सम्मान में इस फाईल के कवर यानि पृष्ठ में सबसे ऊपर लगा दिया था | जब इस फाईल पर हुई कार्यवाही की जानकारी मांगी तो इस कवर पर राष्ट्रपति-सचिवालय ने मोहर लगा व आधिकारिक साईन करके जवाब दिया |

इस प्रकार बने लोकतंत्र के पहले ग्राफिक्स रूप में हर बारिकी को एक पेज में अभिव्यक्त करना असम्भव था इसलिए बड़े-बड़े हिस्सों को ही स्पष्ट करा | इसमें सभ्यताएं, वंश, पूर्वजों का जीवन सार, ईंसानों की राष्ट्रीयता व नैतिकता को एक हिस्से या निचे का केन्द्रीय बिन्दु रखा | इसके ऊपरी सतह पर समय-चक्र को स्थापित किया जिसका अर्थ समय के आगे बढ़ते चक्र के साथ कितनी ही पीढ़ीया आती गई व नई-नई उन्नतिया इसमें जुडती चली गई |

इसके ऊपर कानूनों को अगली सतह के रूप में स्थापित किया | जिसके अनुसार वर्तमान में जीवित सभी मनुष्यों के रहन-सहन जीवन जीने की सुविधाएं, अधिकार व कार्यों का निर्धारण होता हैं | यदि यह सतह ठोस व मजबूत बनी रही तो लोकतंत्र ऊपर की तरफ एक चेहरे के रूप में दिखाई देता हैं अन्यथा एक गलत या कमजोर कानून व लूपपोल वर्तमान में जीवित लोगों को नीचे पूर्वजों व सभ्यताओं में धकेल देता हैं |

इसके ऊपरी सतह पर व्यवसाहिक ढांचे को अभिव्यक्त करा हैं | इसका तात्पर्य जब लाखों-करोड़ो की संख्या में लोग हो जायेंगे तो उनके रहने, खाने, जीने, पीने, पहने व किसी भी काम के लिए प्रतिदिन जरूरतों को पूरा करने हेतु बड़े स्तर पर व्यवसाहिक ढांचा चाहिए अन्यथा सभी लोगों को अपने काम के लिए समान रूप से सुविधाएं उपलब्ध नहीं हुई तो वे आपस में उसे पाने के लिए इधर-उधर घुमते ही रहेंगे, वे सभी संगठित होकर लोकतंत्र का एक चेहरा कैसे बन जायेंगे |

इसके ऊपर लोकतंत्र की अवधारणा के अनुरूप चार स्तम्भों को प्रदर्शित किया गया व उनके केन्द्रों को वर्तमान भवनों की फोटो के रूप को चस्पा किया ताकि हर ईंसान लोकतंत्र की इस ग्राफिक्स अभिव्यक्ति को आसानी से समझ सके | इसमें पहला स्तम्भ न्यायपालिका का दिखाया जिसके केन्द्र के रूप में उच्चतम न्यायालय की फोटो को लगाया |

इसके बाद दूसरे स्तम्भ कार्यपालिका को दिखाया जिसके केन्द्र रूप में प्रधानमंत्री कार्यालय की फोटो लगाई | इससे लोग अपनी भौतिक व दैनिक प्रक्रियाओं से ज्यादा जुडें होने के कारण सामान्य रूप से सरकार कह देते हैं जबकि सरकार को तो संविधान में चारों स्तम्भों के सामुहिक रूप पर राष्ट्रपति के संविधान संरक्षक वाली संवैधानिक कुर्सी के अधीन को बताया गया हैं | इसलिए राष्ट्रपति ही अपने अभिभाषण में “मेरी सरकार” कहकर सम्बोधन करते हैं | इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, विधायिका (संसद) के नामों के आगे समान रूप से भारत सरकार दर्ज होता हैं |

इस ग्राफिक्स के तिसरे स्तम्भ के रूप में विधायिका को दिखाया व उसके केन्द्र के रूप में संसद की फोटो लगाई हैं | इसके आगे बात आती हैं चौथे स्तम्भ यानि पत्रकारिता करने वाले लोगों की, पत्रकारिता करना जीवन का एक कर्म मार्ग हैं कोई स्तम्भ का रूप नहीं | इससे जुडें लोग आपस में संगठित नहीं है इसलिए इस स्तम्भ का नाम नहीं हैं व न कोई उसे संवैधानिक चेहरा दे रखा हैं इस कारण इसके केन्द्र बिन्दु पर कोई फोटो नहीं लगाई उसे अस्पष्ट व धुंधली लिखा हैं | मैंने कई जगह इस स्तम्भ को “जनसंदेशिका” के रूप में सम्बोद्धित करा हैं परन्तु यह तो मीडिया के सभी लोगों के आपसी संगठन के रूप में सम्बोद्धित करा हैं परन्तु यह तो मीडीया के सभी लोगों के आपसी संगठन के रूप में जुडकर आपस में तय होने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद निर्धारित होगा |

इन सभी स्तम्भों के ऊपर राष्ट्रपति भवन की फोटो को लगा उसे केन्द्रित करा हैं जहां राष्ट्रपति भवन के ऊपर भारत का गणतांत्रिक तिरंगा लहराता हुआ रहता हैं | संविधान में राष्ट्रपति पद को ही सबसे शक्तिशाली माना हैं और उस पर बैठे व्यक्ति को ही अधिकार होता हैं कि वह किसी भी स्तम्भ के प्रमुख को हटा सके व शपथ दिलाकर बैठा सके | इसलिए मुख्य न्यायाधीश, प्रधानमंत्री व लोकसभा स्पीकर को वे ही शपथ दिलाते हैं व चौथे स्तम्भ का केन्द्र ही नहीं इसलिए शपथ की बात ही नहीं आती हैं |

संविधान में चारों स्तम्भों को एक समान व बराबर माना हैं | इनके अधिकार व कार्यों की अलग-अलग प्रासंगिकता होते हुए भी कोई छोटा व बड़ा नहीं हैं व एक-दूसरे के निचे अभिव्यक्त नहीं करे गये हैं | क्योंकि एक स्तम्भ पर लोकतंत्र का पुरा भवन नहीं टीक सकता हैं | यदि चारों स्तम्भों में से एक स्तम्भ को ज्यादा ताकतवर व बडा बना दे तो राष्ट्रपति-भवन स्थिर न रहकर डामाडोल हो जायेगा और लोकतंत्र गिरने या खत्म होने के मार्ग पर खिसकने लगेगा |

इसके साथ इस ग्राफिक्स में चारों स्तम्भों को ढकते हुए राष्ट्रपति-भवन के सहारे सुरक्षा कवच के रूप में स्वायत्त संस्थानों को दिखाया हैं जो रहती राष्ट्रपति-भवन के अधिन हैं | यह ग्राफिक्स समतल कागज पर हैं व एक ही एक्स के रूप में बनाया गया हैं इसलिए इसें दोनों तरफ समान रूस से तीर के गोल निशान के रूप में अभिव्यक्त किया हैं |

शैलेन्द्र कुमार बिराणी
युवा वैज्ञानिक

व्यक्तिगत रूप से पेटेंट हासिल करने वाले देशवासियों के लिए राष्ट्रीय अवार्ड शुरू कराने वाला

350 वर्ष पुरानी आधुनिक डिस्पोजेबल प्लास्टिक आधारित चिकित्सा विज्ञान में दुनिया के अन्दर भारत को अग्रणीय बनाने वाला

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